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vishnu prabhakar singh
पारस्परिक प्रेम ठहर नहीं रहा ज्ञात नहीं आप छल कर रहे हो या वो अमूक कोई भी छल कर रहा हो प्रेम को अप्रभावित ही रहना चाहिए इसलिए इस प्रेम विभाग को भगवान देखें फिर मानूंगा सफल सत्ता। ना दुख रहा है, ना सुख रहेगा🥰 #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #yqhindi #life #love
R.K.Patel
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन, एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ ।। #gif Shayari Comments आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन, एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ ।।
shaik azam
shaik azam ©shaik azam बहुत दुख रहा है दिल अब बर्दश नही हो रहा, सच कहो तो मुझे हसने से बहुत तकलीफ हो रही है...
𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन... एक सफर किया था मैंने तेरे साथ खाबों में...! ©𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉 #DOn't quIT❤️ आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन... एक सफर किया था मैंने तेरे साथ खाबों में...! #Flower
vishnu prabhakar singh
ध्यान दीजिए,पैगाम दीजिये एक से हजार होते श्रृंखला को लगाम दीजिये जनता,कर्फ्यू लगाइये,चक्रव्यूह सजाइये इस संक्रमण के हाथ ना आइये कृतज्ञयता बढाइये,सहानुभूति बरतिए स्वास्थ्य सेना की अनुभूति रखिये योगदान दीजिये,सलाम भेजिए आवाजाही के विकल्प का सम्यक ज्ञान दीजिये जोश कैसा है,बता दीजिए हाथ धो-धो कर सजा दीजिये। ध्यान दीजिए,देश का सर दुख रहा है, बाम दीजिये। सुप्रभात। ध्यान दीजिए, ध्यान से हल होंगी सारी मुश्किलें। #ध्यान #yqdidi #YourQuoteAndMine C
Praveen chouhan
Poet Shivam Singh Sisodiya
ये दिल कुछ भावनाओं से जो जुड़ बैठा तो है ड्रामा | किसी का दिल किसी की ओर मुड़ बैठा तो है ड्रामा || अगर दिल दुख रहा है तो बहाओ 'अश्रु' ना बेशक, अगर बाहर निकलकर दुख जो उड़ बैठा तो है ड्रामा || ©® शिवम् सिंह सिसौदिया ये दिल कुछ भावनाओं से जो जुड़ बैठा तो है ड्रामा | किसी का दिल किसी की ओर मुड़ बैठा तो है ड्रामा || अगर दिल दुख रहा है तो बहाओ 'अश्रु' ना बेश
Jyotshna Rani Sahoo
मत करो परेशान मुझे नहीं खाना है अभी तुम्हारा क्या जाता है जब मेरी पेट नहीं भरता है हां थोड़ी दुख रहा है सिर पर तुम्हे इतना दर्द क्यूं मेरी शरीर मेरी तखलीप पर तुम इतनी परेशानी में क्यूं में जब जब हारती हूं चलते चलते फिसल के गिरती हूं संभाल लूंगी खुद को में बार बार तो बोलती हूं पर मेरे गिरने से तुम्हे चोट क्यूं लगता है जमाने के तरह तुम्हारे बर्ताव क्यूं नहीं होता है है कमी हजार मेरी पर तुम्हे मेरे खामियों के एहसास क्यूं नहीं होता है प्यार जताते तो हो बार बार और मेरे इनकार से कोई फरक नहीं पड़ता है चलो में भी करती हूं इजहार आज है बेइंतहा प्यार मुझे जो बढ़ता जाता है पर तुम्हारा सागर को भी मात देता है मत करो परेशान मुझे नहीं खाना है अभी तुम्हारा क्या जाता है जब मेरी पेट नहीं भरता है हां थोड़ी दुख रहा है सिर पर तुम्हे इतना दर्द क्यूं मेरी श
Kantilal Bhabor
हंसिका, आज फिर तुमने अपनी कॉपी का पन्ना इतनी बुरी तरह फाड़ा हुआ कि देखने वाले को भी तरस आ जाए। आखिर तुम यह कॉपी किताबों का अपमान करना कब छोड़ोगी?’ प्रिया बोली। ‘क्या मम्मा, आपने स्कूल से आते ही शुरू हो गर्इं। पन्ना ही तो फाड़ा है। किसी की जान तो नहीं ली।’ ‘हंसिका, बहुत बोलने लगी हो आजकल। कॉपी-किताबें साक्षात सरस्वती का रूप हैं और अगर तुम कॉपी-किताबों की दुर्गति कर सरस्वती का अपमान करोगी तो उनकी तुम पर कभी कृपा नहीं होगी।’ हंसिका और प्रिया का विवाद छिड़ गया। प्रिया ने हंसिका को प्यार से समझाया। प्रिया ने उसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया। वह नियमानुसार ही खेलती, पढ़ती और दूसरे काम करती थी। आरंभ से ही वह कक्षा की होनहार छात्रा थी । इस समय वह आठवीं में थी । हंसिका ने खाना खाने के बाद होमवर्क करने के लिए अपनी कॉपी निकाली तो उसकी नजर गणित की कॉपी पर पड़ी, जिसके आज उसने पन्ने फाड़े थे और वह मुचड़ी हुई सी नजर आ रही थी। होमवर्क करके बैग बंद कर वह अपने बिस्तर पर आ गई । कुछ ही देर बाद उसने खुसर-फुसर की आवाजें सुनी तो वह चौंक कर इधर-उधर ताकने लगी। सब ओर देखने के बाद उसकी नजर जमीन पर पड़ी तो वह यह देख कर हैरान रह गई कि उसकी कॉपी और किताबें बैग से बाहर निकलकर जमीन पर आ गई थीं। उसने देखा कि गणित की कॉपी में से कराहने की आवाज आ रही थी और सारी कॉपी और किताबें उसे सहलाकर सांत्वना दे रही थीं। गणित की कॉपी रोते हुए बोली, ‘मैं अब हंसिका के पास नहीं आऊंगी। जैसे ही वह मुझे हाथ में लेगी तुरंत उसकी पकड़ से छूट जाऊंगी। उसने मेरा पन्ना इतनी बुरी तरह फाड़ा है कि मेरा अंग-अंग दुख रहा है।’ उसकी बात सुनकर साइंस की कॉपी बोली, ‘माना कि हंसिका को पढ़ाई से बहुत लगाव है और वह हम पर बड़े प्यार से अक्षरों को सजाती है, लेकिन उनका बदला वह हमें बेदर्दी से फाड़कर, मसोसकर लेती है।’ तभी हिंदी की कॉपी बोली, ‘वह होशियार भी तो हमारी ही बदौलत है। वह लिख-लिख कर हम पर अभ्यास करती है तभी तो प्रश्न और जवाब उसके दिमाग में बैठते हैं।’ सभी पुस्तकें और कॉपियां अब इस वार्तालाप में शामिल हो गई थीं। आखिर प्रश्न तो सभी के अस्तित्व का था। वे सभी कॉपी-किताबें जो हंसिका के पास थीं, उसके लापरवाह और बेदर्द से सुलूक करने के कारण बेहद परेशान थीं और हंसिका से मुक्ति के उपाय सोच रही थीं। अंगरेजी की पुस्तक बोली, ‘हां, तुम सब का कहना सही है। हर बार पढ़ने के बाद वह हमारे साथ ऐसा बर्ताव करती है जैसे दोबारा उसे हमारी जरूरत ही नहीं होगी। लेकिन, बार-बार उसे जरूरत तो पड़ती ही है।’ यह सुनकर सामाजिक विज्ञान की पुस्तक बोली, ‘हम अभी से कठोर रूप बना लेते हैं । अब अगर हंसिका हमें हाथ भी लगाएगी तो हम उसकी पहुंच से दूर भागने की कोशिश करेंगे और अगर हमारे सारे प्रयास निष्फल भी हो जाते हैं तो भी हम उसे सही से पढ़ने नहीं देंगे।’ सभी कॉपी-किताबें इस बात पर सहमत हो गए और हंसिका के स्कूल बैग के अंदर जाकर आराम करने लगे। कुछ देर बाद हंसिका के साथ ऐसा ही हुआ। उसने स्कूल बैग में से गणित की कॉपी निकाली तो वह उसके हाथ लगाते ही छिटक कर दूर जा गिरी। यह देखकर हंसिका अवाक रह गई। इसके बाद उसने साइंस की पुस्तक को हाथ लगाया तो वह तो उसके हाथ ही न आई। वह जब भी उसे पकड़ने की कोशिश करती तो वह उससे दो कदम दूर हो जाती। इसके बाद उसने हिंदी की कॉपी निकाली तो वह तो बोल ही पड़ी,‘हंसिका, हमें भी तुम्हारी तरह दर्द होता है। अगर कोई तुम्हारा हाथ मरोड़े तो।’ फिर पास ही पड़ी अंगरेजी की पुस्तक बोली, ‘और अगर कोई तुम्हें बेवजह थप्पड़ मारे तो।’ इसके बाद सामाजिक विज्ञान की कॉपी बोली, ‘या कोई तुम्हारा कान ऐंठे…।’ इन सबकी बातें सुनकर हिंदी की पुस्तक बोली, ‘तो क्या तुम्हें दर्द नहीं होगा या चोट नहीं लगेगी।’ उन सब कॉपी-किताबों की बातें सुनकर हंसिका हैरानी से बारी-बारी से सभी कॉपी-किताबों की तरफ देखने लगी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे? कुछ देर बाद वह बोली, ‘पर तुम्हें कैसे दर्द होगा? न तो तुम सुन सकती हो, न देख सकती हो और न ही चल-फिर सकती हो।’ ‘क्यों क्या हम तुम्हें अंधी-गूंगी बहरी नजर आ रही हैं?’ साइंस की पुस्तक कड़क कर बोली। उसके करारे जवाब से हंसिका एक पल को सहम गई। फिर धीमे स्वर में बोली, ‘यह देखकर तो मैं भी हैरान हूं कि तुम सभी चल-फिर, देख और बोल कैसे रही हो।’ पास ही रखी गणित की कॉपी बोली, ‘आज, तुमने मेरा बहुत बुरा हाल किया है । इसलिए अब से कोई भी कॉपी-किताब तुम्हारे हाथ में नहीं आएगी और न ही तुम पढ़ पाओगी। जब हम तुम्हारे हाथ ही नहीं आएंगे तो तुम हमारी दुर्गति नहीं कर पाओगी।’ हिंदी की कॉपी बोली, ‘इस तरह तुम अशिक्षित रह जाओगी। ये बातें सुनकर हंसिका चीख उठी, ‘नहीं नहीं, मैं पढ़ना चाहती हूं और पढ़-लिखकर कामयाब बनना चाहती हूं।’ सबसे पहले अपने स्कूल बैग में से गणित की फटी हुई कॉपी निकाली और उसे माथे से छूकर माफी मांगी। इसके बाद वह अपनी कॉपी-किताबों को संवारने में लग गई। साप्ताहिक रविवारी के अन्य लेख यहां पढ़ें लोकप्रिय खबरें  स्मृति ईरानी से अलका लांबा ने पूछा- क्या आपकी बेटी ने सच में किया है फर्जीवाड़ा? कहा- जवाब देंगी या भागेंगी  एक बाबा आजकल जहर खिला रहे हैं, उन पर कैसे लगाम लगाएंगे? रामदेव के बारे में पूछने पर बोले स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया- लोग अपना दिमाग लगाएं  इंजीनियर से बनीं IPS, फिर हिंदी मीडियम से IAS बन रचा इतिहास; पढ़ें- गरिमा अग्रवाल को कैसे मिली UPSC में सफलता  Pukhraj Gemstone Benefits: इन 4 राशियों के लिए पुखराज पहनना माना जाता है बहुत शुभ, जानिए कब और कैसे करें धारण ©Kantilal Bhabor हंसिका, आज फिर तुमने अपनी कॉपी का पन्ना इतनी बुरी तरह फाड़ा हुआ कि देखने वाले को भी तरस आ जाए। आखिर तुम यह कॉपी किताबों का अपमान करना कब छोड़ो
Navneet gupta
𝙂𝙤𝙫𝙚𝙧𝙣𝙢𝙚𝙣𝙩 𝙥𝙤𝙡𝙮𝙩𝙚𝙘𝙝𝙣𝙞𝙘 𝙟𝙝𝙖𝙣𝙨𝙞 - 🅂🄾🄼🄴 🄼🄴🄼🄾🅁🄸🄴🅂 📝 Government polytechnic #झांसी 😔 कुछ यादें जो कभी नहीं भूलाई जा सकती* बात कर रहा हूं झांसी शहर की, जिसका नाम कभी सिर्फ मेरे 🄶.🄺 के ज्ञान