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Kamlesh Kandpal
चिड़िया देख रही है उजड़ते चमन को हवाई जहाजो से भरे हुए गगन को जमीन में कंक्रीट का बिछा कर जाल नभचरों का जीना भी कर रहा है मुहाल इंसान इतना बेशर्म, बेहया हो गया है मन से आदिम, बाहर से नया हो गया है ©Kamlesh Kandpal #chidiya
vivekanand
White life is a golden opportunity.some persons didn't understand the situation.so they're losing the house of happy. ©vivekanand poem
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read moreMayank Kumar
White एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम रिया था। रिया का सपना था कि वह बड़ी होकर एक प्रसिद्ध लेखिका बने। गांव में पढ़ाई के साधन बहुत कम थे, लेकिन रिया ने हार नहीं मानी। वह हर रात चाँद की रोशनी में बैठकर लिखती और किताबों के पन्नों में अपने सपनों को तलाशती ©Mayank Kumar #poem
@howToThink
White "आइए महसूस करिए जिंदगी की ताप को मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको....... ---------- गांव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही, या अहिंसा की जगह नाथ उतारी जा रही, है तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए, बेचती है जिस्म कितनी कृष्णा रोटी के लिए" ---- अदम गोंडवी ©Chiranjeev K C #poem
Ritesh Gadam
White उसके होठों की मुस्कुराहट जैसे मेरे दिल की चाहत। उसकी वो सुनहरे बाल जो बिगाड़े मेरे दिल का हाल। उसकी आवाज जैसे कोयल उसकी बातोंमें मैं घायल। उसके चेहरे का नूर जैसे चमकता हुवा कोहिनूर। हर बात में उसका जिक्र हर वक्त सताए उसकी फिक्र। हर वक्त तेरी बात का मारा तू ही मेरी नजर का सितारा। — रितेश ✨ ©Ritesh Gadam # poem#love poem #love❤️#crush
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read moreJeetal Shah
Unsplash गुजरा हुआ जमाना कभी नहीं आएगा, वो बाग बगीचे में खेलना, वो कागज की नाव बनाना, वो दादी की कहानी सुनकर एक नई सीख लेना, वो दुरदर्शन पर चुहे बिल्ली का कार्टून देखना, वो मिकी और मीनी की जोड़ी का आनंद उठाना, गुजरा हुआ जमाना था बहुत ही निराला, पर आज का भी जमाना कम नहीं नई टेक्नोलॉजी से जुड़ गए सभी। ©Jeetal Shah #poem
Neeraj Neel
Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी , आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी खिड़कियों में धूप सजती होगी, घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी। अब दूर कहीं नहीं चलना होगा , एक सिर पर छत अपना होगा। हम खुशियां सारी बटोर लाएगे, हम घर में अपने सपने सजाएंगे। हम घर में रोज दीप जलाएंगे , घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे। अब चेहरे में एक आराम होगा , मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा। हा अपना नाम होगा। ✍️ नीरज नील ©Neeraj Neel poem
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