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Rashmi Vats
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. रिमझिम रिमझिम बरसे फुहार। भीगे भुवन पाकर नेह अपार। पुलकित हो जाए निर्जन वन, मोर, पपीहे गाएं गीत मल्हार। पड़े फुहार ऐसी अंतर्मन। वरण हो जाए वेदना और क्रंदन । नर्तन करे मन तरंग, पूर्ण हो जाएं कल्पनाओं के रंग। रश्मि वत्स। ©Rashmi Vats #रंग #फुहार
Kanak Lata Jain
आज ठंडी- ठंडी पुरवाई तन को छू कर बही, तुम्हारी याद में अधरों पर मुस्कान बिखरी रही, मुद्दतों बाद तबियत में आज रवानी आई थी, तुम्हारी ख्वाहिश और जुस्तजू में बेकरार रही ।। कनक लता जैन ✍️ ©Kanak Lata Jain ठंडी ठंडी पुरवाई
Tarakeshwar Dubey
फुहार """""""' झिमिर-झिमिर पड़े रेशमी फुहार, सखि सब चलु मल्हार गावे। दुअरा पर गमके बेला, कचनार, सखि सब चलु मल्हार गावे। सुनु ए सखी सब परसो के बतिया, राधा रानी के अइले संहतिया। वगिया मे झूला पड़े कदम के दारि, सखि सब चलु मल्हार गावे। धरती के चुनर भईल बा धानी, उमड़-उमड़ बहे सरयू के पानी। वंशी के धुन डोले गोकुल के नारि, सखि सब चलु मल्हार गावे। रुनझुन-रुनझुन नाचेले गइया, चीं-चीं-चीं-चीं चहके वन के चिरइया। गोपियन सजी सब सोलहो श्रृंगार, सखि सब चलु मल्हार गावे। ©Tarakeshwar Dubey फुहार #fourlinepoetry
Shishpal Chauhan
ये ठंडी -ठंडी हवाएं, ये कातिल अदाएं। ये वादियां, ये फिजाएं। ये ठंडी -ठंडी हवाएं।। दिल को मेरे तड़फाए, एकेले अब तो रहा न जाए। ये तकती निगाहें, दिल भरता है ठंडी आहें। ये ठंडी- ठंडी हवाएं।। ये चांदनी रातें, किससे करूं इश्क की बातें। इस बेदर्द जमाने में जवानी संभाली न जाए, जोबन पर रहती है सबकी गलत निगाहें। ये ठंडी -ठंडी हवाएं।। यहां सारे हैं हवस के भेड़िए, स्वयं को स्वयं से कैसे बचाएं। किस- किस पर विश्वास जताएं, दिल की बात किसे सुनाएं। ये ठंडी- ठंडी हवाएं।। ये ठंडी ठंडी-हवाएं ।। , ©Shishpal Chauhan #ये ठंडी-ठंडी हवाएं
vinay vishwasi
आज का दोहा दिनांक - ०७/०७/२०२० सावन में पड़ने लगी,रिमझिम मस्त फुहार। उपवन में छाने लगी, फिर से नई बहार।।८३।। #दोहा #फुहार #विश्वासी
Anamika
गरमी तपती धूप में, फुहार की कुछ बूंदें... मन को तृप्त कर, चहेरे की सारी शिकन मिटा गयी.. यही है परमात्मा तेरी आलौकिक शक्ति, कही धूप तो कहीं छाया..... ##फुहार की बूंदें##
Nisha Singh
ये रिमझिम, बारिश की फुहार,, लागे उमड़ा है, मेघ का धरा के लिए प्यार,, इक दूजे बिन, दोनों जैसे हों निराधार,, तपती धारा को, मिल गया जिसके लिए तरसी वो प्यार,, पा नन्हीं बूंदों का, स्पर्श पुलकित हो जाता अंतर मन,, प्रकट करती, खुशी अपनी बिखेर हरियाली चहुं ओर,, नव पल्लव, विपट हो जाते अनेक,, झूम उठे मन, खुशी के गाएं मिलकर गीत ...!! ©Nisha Singh #कविता #रिमझिम फुहार
Blissful Bihari
ये ठंडी का सितम और तुमसे दूरी का गम अब सहा नही जाता। काश गर्मी की बारिश बन कर मेरा यार फिर से वापिस आता। ©Bekaar kalakaar ठंडी