Find the Latest Status about दधीचि गोत्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, दधीचि गोत्र.
AJAY NAYAK
हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार हुयी हमारे ही एक पोस्ट पर उनसे मुलाकात हुयी उन्होंने एक सधी हुयी बात हमारे फेवर में लिखा फिर क्या था, हमारा भी बंदर मन उछल पड़ा उसी पोस्ट से होते हुए, बातों का एक लम्बा दौर चला । हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई अब धीरे धीरे फेसबुक की जगह मसेंजर ने ले लिया . खुद को, उनके लिए मसेंजर पर ही स्टे कर लिया। अब दिन क्या, रात क्या, ठंडी गर्मी, बरसात क्या छोटी पड़ने लगी समय की चौबीसों तीलिया । हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । अब ऐसा लगने लगा था कि वो नही रह सकती हमारे बिना मछली बन तड़प रही हैं हमारे बिना तो, जो गोत्र से रहा हो बंदर प्रजाति का जिसने, कभी इस डाल, कभी उस डाल, डाला हो डेरा बताओ वो कैसे रह पाता उनके बिना। हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । पूछो मत हमारा हाल ऐसा वैसा कैसा हो गया था जैसे जल बिन मछली, बिना पतवार के नाव का हो जाता । हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । बातें जब मैसेंजर से थोड़ी आगे बढ़ी, तो बातों बातों में हमने मांग लिया नंबर उनका तब हमारे भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने हँसते हँसते अपना व्हाट्सएप नम्बर दे दिया। हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । यह खुशी भी, क्षणभंगुर निकला जैसे कोई कांटा अचानक चुभा हँसते हँसते हुए उन्होंने हमसे कहा ..... यह नम्बर, हमारे पति पिन्टू बाहुबली के नाम सेव कर लेना। हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । बताएं, बताया नही जा रहा, इस बार उनकी हँसी ऐसी चुभी, कि तभी से हम............. फेसबुक डिलीट करके पढ़े जा रहे हैं हनुमान चालीसा। हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं कुछ मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #UskeHaath हम मिले facebook के चौपाल पर , वहीं मीठी मीठी बातों से शुरुआत हुई कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार हुयी हमारे ही एक पोस्ट पर उनसे
'मनु' poetry -ek-khayaal
ashish gupta
बुद्ध पूर्णिमा बुद्ध हो जाने का अर्थ छोड़ जाना नहीं थाम के उंगली किसी की छोड़ जाना नहीं दधीचि के जैसे सबको लौटना है सब कुछ अपने हित में किसका दिल दुखाना नही अध्यात्म कहता है आंख खोल अपनी अंतर्मुखी वैराग्य कभी अपनाना नही तर्क वितर्क से सुलझे सब बाते बुद्ध जहां वहां युद्ध का कोई ठिकाना नहीं है ©ashish gupta #quotation #BuddhaPurnima बुद्ध हो जाने का अर्थ छोड़ जाना नहीं थाम के उंगली किसी की छोड़ जाना नहीं
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} अयोध्या की राजकुमारी जो बनी थी कोरिया की महारानी वैसे तो पूरी दुनिया में अयोध्या को भगवान राम के कारण पहचाना जाता है लेकिन कोरिया के लोगों का अयोध्या से जुड़ाव का एक अन्य कारण और भी है। कोरिया के पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार अयोध्या की एक राजकुमारी, कोरिया की महारानी बनी थी। कोरिया के पौराणिक इतिहास में यह बात दर्ज है कि करीब दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना नी हु ह्वांग ओक, अयुता यानि अयोध्या से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत में स्थित किमहये शहर आ गई थी। मंदारिन भाषा में लिखे कोरिया के पौराणिक दस्तावेज ‘साम गुक युसा’ में उल्लिखित कथा के अनुसार अयोध्या की राजकुमारी के पिता के स्वप्न में स्वयं ईश्वर प्रकट हुए और उन्होंने राजकुमारी के पिता से कहा कि वह अपने बेटे और राजकुमारी को विवाह के लिए किमहये शहर भेजें, जहां सुरीरत्ना का विवाह राजा सुरो के साथ संपन्न होगा। 16 वर्ष की उम्र में राजकुमारी सुरीरत्ना का विवाह किमहये राजवंश के राजकुमार सुरो के साथ संपन्न हुआ। किमहये राजवंश के नाम पर ही वर्तमान कोरिया का नामकरण हुआ है। कोरिया के लोगों का मानना है कि सुरीरत्ना और राजा सुरो के वंशजों ने ही 7वीं शताब्दी में कोरिया के विभिन्न राजघरानों की स्थापना की थी। इनके वंशजों को कारक वंश का नाम दिया गया है जो कि कोरिया समेत विश्व के अलग-अलग देशों में उच्च पदों पर आसीन हैं। कोरिया के एक पूर्व राष्ट्रपति भी इसी वंश से संबंध रखते थे। यूं तो कोरिया के इतिहास में अनेक महारानियों का नाम दर्ज हैं, लेकिन सभी में से सुरीरत्ना को ही सबसे अधिक आदरणीय और पवित्र माना गया, जिसका कारण ये था कि उनकी जड़ें भगवान राम की नगरी अयोध्या से जुड़ी हुई थीं। कोरिया के पौराणिक दस्तावेज ‘साम कुक युसा’ में राजा सुरो और सुरीरत्ना के विवाह की कहानी भी दर्ज है, जिसके अनुसार प्राचीन कोरिया में कारक वंश को स्थापित करने वाले राजा सुरो की पत्नी रनी हौ (यानि सुरीरत्ना) मूल रूप से आयुत (अयोध्या) की राजकुमारी थी। सुरो से विवाह करने के लिए उनके पिता ने उन्हें समुद्र के रास्ते से दक्षिण कोरिया स्थित कारक राज्य भेजा था। आज की तारीख में कोरिया में कारक गोत्र के तकरीबन 60 लाख लोग स्वयं को राजा सुरो और अयोध्या की राजकुमारी का वंशज बताते हैं। सुरो और सुरीरत्ना की दास्तां पर यकीन करने वाले लोगों की आबादी दक्षिण कोरिया की कुल आबादी का दसवां भाग है। कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम देई जुंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल किम कारक वंश से ही संबंध रखते थे। कारक वंश के लोगों ने उस पत्थर को भी सहेज कर रखा है जिसके विषय में यह कहा जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना अपनी समुद्र यात्रा के दौरान नाव का संतुलन बनाए रखने के लिए उसे रखकर लाई थी। किमहये शहर में राजकुमारी हौ की प्रतिमा भी है। कोरिया में रहने वाले कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान राजकुमारी सुरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता है। हालांकि भारतीय प्राचीन दस्तावेजों में कहीं भी यह जिक्र नहीं मिलता कि सुरीरत्ना का विवाह कोरिया के राजा के साथ हुआ था हालांकि उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग के एक ब्रोशर में कोरिया की रानी का जिक्र है। भारतीय दस्तावेजों में भी इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं हैं कि राजकुमारी सुरीरत्ना का संबंध भगवान राम के वंश से था। संबंधित कथाओं के अनुसार सुरीरत्ना या हौ का निधन 57 वर्ष की उम्र में हुआ था . Rao Sahab N S Yadav. ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} अयोध्या की राजकुमारी जो बनी थी कोरिया की महारानी वैसे तो पूरी दुनिया में अयोध्या को भगवान राम के कारण पहचा
Kulbhushan Arora
वो कोई जो आपके साथ रहता हो घर में और आपके मौन को भी समझे उसका आपके लिए लिखना अपना महत्व रखता है जीवेम शरद: शतम *सन्त* कोई भगवे कपड़े पहन, गले में माला डाल कर ही नहीं होता, होता है वो जो निस्वार्थ, शांत भाव से बांटता चला जाता है। जो अपना
Shree
राहु मंगल की युति, गुरु बृहस्पति की गति... नक्षत्रों की दृष्टि गणना... चाहे प्रार्थना से जीतना!! लड़ते-लड़ते एक दिन थक जाता है इंसान रह जाता उसके आगे एक चलने का उम्मीद लगा!! ढाई मन का वो बे-वजन हवा का दम भरता है... रंग लाल भरा है तन में फिर भी देखो ना आज... (अनुशीर्षक) ग्रह-नक्षत्र-कुंडली 🌻🌻🌻🌻🌻 राहु मंगल की युति, बृहस्पति की गति... नक्षत्रों की दृष्टि गणना... चाहे प्रार्थना से जीतना!!
A J
सच की कीमत मेरी जिंदगी की सच्ची कहानी से प्रेरित अगर सम्भव हो तो कृप्या हौंसला बड़ाने की कृपा कीजिएगा उसने अपनी tie की गाँठ का फिर से अवलोकन किया अपने सूट के कन्धे पर जमी काल्पनिक धूल को झाडा और एक गहरा श्वास भरा क्या
brijesh mehta
बच्चों से भरपूर प्यार पड़ोसियों का खास खयाल बेटियों से ज्यादा बहू की इज्जत मायके-ससुराल के सभी रिश्तेदारों का समान सम्मान ना कोई जात ना कोई धर्म ना कोई पंथ ना कोई संप्रदाय ना हिंदू ना मुसलमान सिर्फ और सिर्फ संतोष और ज्ञान ना कोई ग्रह ना कोई नक्षत्र ना कोई गोत्र ना कोई राशिफल ना कोई सच ना कोई झूठ सिर्फ और सिर्फ मन की आवाज ना कोई चुगली ना कोई निंदा ना कोई खुशा
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। ध्यान रहे कि अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतक काल दस दिनों तक के लिए ही माना जाता है। यदि कन्या का विवाह हो जाता है। उसके पश्चात माता पिता की मृत्यु हो तो विवाहिता स्त्री के लिए तीन दिन का सूतक माने जाने की परंपरा है। वहीं, मृत्यु के पश्चात जब तक घर में शव रहे तब तक वहां उपस्थित सभी गोत्र के लोगों को सूतक का दोष लगता है। और तो और कोई भी व्यक्ति किसी और जाति के व्यक्ति को कंधा देता है या उसके घर में रहता है, वहां भोजन करता है तो उसके लिए भी सूतक काल दस दिनों तक के लिए मान्य होगा। एक और बात अगर कोई भी व्यक्ति सिर्फ शव को कंधा देने के लिए मौजूद होते हैं, तो उनके लिए सूतक काल एक दिन के लिए ही मान्य माना जाता है। दाह संस्कार अगर दिन के समय ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सूर्यास्त के पश्चात सूतक दोष नहीं लगता। वहीं, रात्रि में दाह संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। बताते चलें कि सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य तथा परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित कहा गया है। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को