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Kamalnayan Pandey
रोज सुबह हम उठ कर , चल देते हैं दफ्तर को। शाम सुहानी पता नही रात में भी हम दफ्तर को। रोज यहीं बैठे सोचें हम कल बेहतर हो जाएगा। हमारे भी इस उजड़े चमन में कोई गुलमोहर सा खिल जाएगा। सपनो में सोचा करते हैं एक दिन सच हो जाएगा। बस यही है जिंदगी एक आफिस वाले की
Jyoti Soni ★★★ (Jeyou )
कब जाओगी ? कहा ,,,? जॉब छोड़ कर ,,,,,, क्यों ,,,,, पूछ रही हु,,,,, नही में जॉब नही छोड़ रही हु क्यों ,,? तो मतलब जॉब करोगी ओर पढ़ाई छोड़ दोगी ? नही तो ,,,,,? दोनों साथ करूँगी में Job ओर पढ़ाई ! नही कर पाओगी में कर लुंगी दोनों साथ मेरी बात मानो तो जॉब छोड़ दो और पढ़ाई करो Yrrr पर जॉब मेरी पहली जरूरत है यहाँ मिलता ही क्या है हम भी आकर पछतावा कर रहे है कि कहा आकर फस गए अच्छा जब क्या यहाँ तो एक बार मुझे पूछ तो लेती की में जॉब करने आउ या नही क्या पूछती mमें ? जॉब करू या नही यह आफिस में साथ जॉब करने वालो का मेरे साथ फोर्स
plumber Mangilal Singharia
बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ए-ज़ार खुल गया मैं आज उसके सामने बेकार खुल गया - मुनव्वर राणा ©plumber Mangilal Singharia शायरी शायरी
Prem
मोहब्बत अगर शरीर से होती तो सच मान मेरी जान मुझसे ना होती ©Prem शायरी शायरी