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Nitesh Kumar Singh
भाजपा मंडल बखरी अध्यक्ष कूंदन कानू
Manoj Nigam Mastana
Maa हमारे वासते सपना सलौना बन गई अम्मा जमीं पर लेट कर अक्सर बिछौना बन गई अम्मा रुला देती है अब भी याद उन बचपन के मेलों की खिलौना दे न पाई तो खिलौना बन गई अम्मा #दिनेश_रघुवंशी हमारे वासते सपना सलौना बन गई अम्मा जमीं पर लेट कर अक्सर बिछौना बन गई अम्मा रुला देती है अब भी याद उन बचपन के मेलों की खिलौना दे न पाई तो खिल
Yashpal singh gusain badal'
प्रिया मन की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यारे, अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे । क्योँ जाने सपनोँ मेँ मेरे, अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है । यौवन की मधुमास छबीली , तू महफिल की,शाम नशीली । तेरा सुन्दर रूप सलौना , मेरे मन को क्योँ भाता है । काले-काले केश घनेरे , चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे । ऐसी मोहक छटा अनूठी , मेरे मन को सरसाता है । ले0 यशपाल सिँह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' प्रिया मन की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यार
Instagram id @kavi_neetesh
" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी और अनहोनी के संग बीच भंवर में फंसा हुआ हूँ मृग मरीचिका मुझे लुभाती संशय मन का और बढ़ाती बिखर रहा हूं कण कण जैसे पवन वेग सिक्ता उड़ जाती खुद में खुद को ढूंढ रहा हूं मिला नहीं मुझको तुम जैसा खुद ही खुद को लूट रहा हूं हार गया हूं मैं इस जग से तिल तिल करके टूट रहा हूं ©Instagram id @kavi_neetesh " हर पल जैसे कुछ छूट रहा है" हर पल जैसे कुछ छूट रहा है सपन सलौना टूट रहा है मचल रहा पहलू में सागर दरिया दिल का फूट रहा है होनी
Gopal Lal Bunker
सूरत और सीरत ~~~~~~~~~~ ( चौपाई ) *** जन्म दिया जब मात-पिता ने। सूरत पाई सुंदर सबने।। पुत्र सुता की सूरत पाकर। भरी खुशी से माँ जी भरकर।। ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) @ गोपाल 'सौम्य सरल' मुख देख सलौना कुल हरसा। यश वैभव का आशिष बरसा।। परिजन सारे गोद झुलाएं। बाल रूप से खेल हँसाएं।। फर्ज निभाया मात-पिता ने। करके सब कुछ बस का अपने।। बड़ा किया फिर पोषण कर कर। वार मनौती सब देवों पर।। कर दूर सभी संकट छाया। पढ़ा लिखा कर योग्य बनाया।। बहा पसीना सीरत डाली। गेह खेत की कर रखवाली।। दूर रखे गुण सारे काले। राम किशन के सदगुण डाले।। कुल दीपक का सार बताया। सद सीरत का मान बढ़ाया।। क्या होती मर्यादा घर की। आन रखे बेटी चौखट की।। पाल सुता सीता सी सूरत। दे डाली गौरव की मूरत।। हो सूरत हम सबकी प्यारी। जैसे हो सद सीरत क्यारी।। बिन सद सीरत सबकी सूरत। होती है शैतानी मूरत।। कहना है अब मात-पिता का। रखना सूरत को कर 'मनका'।। सीरत बिगड़े सूरत बिगड़े। खूब सहोगे सब फिर झगड़े।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' [ चौपाई: २४/०५/२०२२ ]~ ~~~~~~~~~~~~~~ सूरत और सीरत ~~~~~~~~~ जन्म दिया जब मात-पिता ने। सूरत पाई सुंदर सबने।।