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kumaarkikalamse
बाँसुरी बजती जब भी कान्हा की नृत्य मयूरी सा मन करने लगता है..! शीतल एहसास होता है हृदय में जब राधे राधे मन सुनने लगता है..! कृष्ण आज कल भी कान्हा ही नयनों में दृश्य मन भरने लगता है..! अराध्य श्री कृष्ण को प्रणाम और सभी दोस्तों, भाइयों और बहनों को आज के त्योहार और पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..! This post is for Jyotii जी..
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
मैं... तुम्हारे प्रेम में क़ैद हो वो आज़ादी चाहती हूँ..... (अनुशीर्षक में पढ़ें) मैं तुम्हारे प्रेम में क़ैद हो, वो आज़ादी चाहती हूँ, कि तुम्हारे हाथों को थामकर निसंकोच टहल सकूँ बहती नदी के किनारे, देख सकूँ
DRx. Shital Gujar✍️
भावना व्यक्त व्हायला सांगत असतात . लेखणी आणि विचार रिकामे बसू देत नसतात लेखकाला हेच सावरण्यास लेखणी आणि भावना मदत करतात. #YourQuoteAndMine Collaborating with 🅜🅐🅨🅤🅡🅘 अपेक्षित उत्तर तुला मिळाले नसेल पण प्रयत्न केला मयूरी खुप आभारी आहे.🙏😊
Vikas Sharma Shivaaya'
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 जय हिंद 🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮जय हिंद 🇨🇮 ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की 200 सालों की गुलामी से मुक्त- ब्रिटिश राज से आजाद हुआ था,आजादी दिलाने हेतु ना जाने कितने अनगिनत वीरों ने हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दी थी ,उन्हीं वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि देने एवं इस यादगार दिन को आजादी की सालगिरह के तौर पर हमारा देश राष्ट्रीय पर्व "स्वतंत्रता दिवस" के रूप में मनाते आ रहा है..., क्या आप जानते हैं की 15 अगस्त 1947, जिस दिन हमारे भारत देश को आजादी मिली तब इस दिन के जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हो सके थे, क्योंकि तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली के लाल किले पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं , जबकि गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराया जाता है..., क्या आप जानते हैं की 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टनी' दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना था लेकिन महात्मा गांधी ने इसे नहीं सुना क्योंकि उस दिन वे जल्दी सोने चले गए थे..., क्या आप जानते हैं की भारत 15 अगस्त को आजाद जरूर हो गया लेकिन उस समय उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था ,हालां की रवींद्रनाथ टैगोर 'जन-गण-मन' 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया..., क्या आप जानते हैं की 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था,इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ जोकि भारत और पाकिस्तान की सीमाओं को निर्धारित करती थी..., क्या आप जानते हैं की १५ अगस्त को ही दक्षिण कोरिया, बहरीन और कांगो देश का भी स्वतंत्रता दिवस होता है, हांलाकि ये देश अलग-अलग वर्ष क्रमश: 1945, 1971 और 1960 को आजाद हुए थे..., आखिर में एक ही बात समझ आई की धन्य है भारत भूमि जिसने ऐसे माता पिता बहनों बीवियों बच्चों को जन्म दिया जिन्होंने हँसते हँसते अपने बेटे -बेटियों -भाईयों -पति -पिता को मातृभूमि की रक्षा एवं आजादी के हवन कुंड में अपना योगदान ही नहीं बलिदान दिया ,मैं सच्चे मन से उन समस्त भारत माँ के सपूतों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ 🌹 अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' 🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 जय हिंद 🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮जय हिंद 🇨🇮 ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️
Praveen Jain "पल्लव"
It doesn't matter if पल्लव की डायरी उम्र मेरी उमंगे जगाती है दिल की तरंगें तराना गाती है मन ही मन में प्यार भरके किसी को अपना बनाना चाहती हूँ खो देती हूँ अपना सब कुछ मिरग मयूरी बनकर नाचना चाहती हूँ अधूरी हूँ प्यार में किसी को अपना बनाना चाहती हूँ अब तक जो सम्हाला है प्यार उसको बर्षा कर भीगना चाहती हूँ प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #doesnotmatter मिरग मयूरी बनकर नाचना चाहती हूँ #doesnotmatter
mysterious girl
निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, किसी भी मंज़िल को हम छू सकते हैं, कोई भी बाधा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, जब हम इन दोनों के सहारे खड़े होते हैं। निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, 'अरुणिमा-सिन्हा' हिमालय फतेह कर पाती हैं, बाधाओं को दूर कर 'सुधा-चंद्रन' जी 'नाचे मयूरी' बन जाती हैं। निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, कोई असंभव को भी सम्भव कर पाता है, इसी की बदौलत इन्सान विजय पताका लहराता है। ©mysterious girl 'अरुणिमा सिन्हा' विश्वविख्यात पर्वतारोही जिन्होंने हादसे में अपना एक पैर गंवाने के बाद भी पर्वतारोहण शुरू किया और इसमे कड़े परिश्रम के बाद स