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Stories related to पंख

Sanjeev0834

मुझसे भी #ज़्यादा #प्यार करती थी क्या वो, #माँ ने #पंखे से लटके #बेटे की #लाश से #पूछा beingsanjeev0834🦅 ##2linespoetry sad shaya

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White मुझसे भी ज़्यादा प्यार करती थी क्या वो, 
माँ ने पंखे से लटके बेटे की लाश से पूछा


Did she love me more than me,
mother asked the dead body of her son hanging from the fan

©Sanjeev0834 मुझसे भी #ज़्यादा #प्यार करती थी क्या वो, 
#माँ ने #पंखे से लटके #बेटे की #लाश से #पूछा #beingsanjeev0834🦅 #Nojoto ##2linespoetry  sad shaya

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तकरीर जब दिल की गहराई में उतरती है, आवाज़ से स्याही बनकर असर करती है। तस्वीर खामोशी में जो बात कह जाती है, हर नजर पर अपने रंग छ

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तकरीर जब दिल की गहराई में उतरती है,
आवाज़ से स्याही बनकर असर करती है।
तस्वीर खामोशी में जो बात कह जाती है,
हर नजर पर अपने रंग छोड़ जाती है।

तकरीर जहां जज़्बातों को पंख देती है,
तस्वीर वहां लम्हों को अमर कर देती है।
शब्दों का जादू हो या छवियों की गूंज,
दोनों ही दिलों में हलचल भर देती है।

दोनों ही हैं कायनात के अनमोल तोहफ़े,
एक सुनने का सफर, दूसरा देखने का किस्सा।
शब्दों की तासीर जहां दिल बहलाए,
छवियों की तहरीर वहां मन लुभाए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
तकरीर जब दिल की गहराई में उतरती है,
आवाज़ से स्याही बनकर असर करती है।
तस्वीर खामोशी में जो बात कह जाती है,
हर नजर पर अपने रंग छ

JAGAT HITKARNI 274

जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा

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White जय परमेश्वर 
यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ )

अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो 
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274 जय परमेश्वर 
यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा

Parul Sharma

दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग -

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दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग ---
मकरसंक्रांति पर तिलकुट खिचड़ी 
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र चावल
होली पर गुजिया इनरसा
एकादशी पर घड़ा पंखा खरबूज शरबत
गणतंत्र दिवस पर बूंदी
रक्षाबंधन पर घेबर
जन्माष्टमी पर पंजीरी चरणामृत 
नौ दुर्गा में पूरी हलुआ 
शरद पूर्णिमा पर खीर
महिलाओं के त्योहार पर श्रंगार के सामान 
दशहरा दिवाली पर खीर खिलौने बताशे 
बाँटते और दान करते है
हम गिफ्ट नहीं लेते 
List में कुछ और रह गया है तो
Santa आप भी बता सकते हैं 
कुछ ले भी जा सकते हैं 
हमारे त्योहारों पर
मित्रों आप ही बताइए 
लगता है बहुत कुछ रह गया है

©Parul Sharma दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर 
मिठाई की जगह केक चाकलेट 
नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स 
Fastival or birthday पर gift 
परोसने वाले santa 
हम लोग -

Kulvant Kumar

"जब खुद का ही मस्तिक अपने पंख काट दे तो, फिर सपने उड़ान भरने के भी आय तो क्या हो"

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नवनीत ठाकुर

हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं

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"हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं,
मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं।
राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं,
हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।"

©नवनीत ठाकुर हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं,
मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं।
राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं,
हम वो हैं
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