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Divyanshu Pathak
आज हमें, प्रकृति ललकार रही है। पुकार भी रही है। वही हमारी मां भी है। हमने जो उसका अपमान किया, उसके लिए क्षमा मांगते हुए जीवन की नई डगर पकड़ें। जहां न जाति, न समाज। सब अपने-अपने घरों के भीतर। बाहर हम एक पेड़ के पत्ते। #विज्ञान_का_ताण्डव देखकर तो यही लगता है कि #21_दिन_का_लॉक_डाउन आगे बढ़ा दिया गया है। अब हमको पहले से और अधिक सजग और जागरूक होने की जरूरत है
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
🌹अगर साथ कोई नहीं देता तेरा, समझना खुदा साथ तेरे खड़ा है। जब भी तेरा इम्तहा होता प्यारे, समझना कि इसमें भी उसकी रजा है।🌹 🙏.....नागेंद्र सिंह ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # खुदा साथ तेरे खड़ा है।
Altaf Raja
पूरी कस्तिया तेरे पैरों के नीचे दबा दूंगा तू एक बार दिल लगा तो सही । तेरे दर पर दीवाना खड़ा है । #Onesidelove
Brjendra
बोलूं तुझसे एक बार भांग घोट कर तुझको लाया आज पिएंगे दोनों साथ ©Brjendra भोलेनाथ मेरा यार मैं आया हूं तेरे द्वार
priyadarshini sharma
शहर नया है, पर तू कहां अकेला चला है, तेरे पास नहीं , पर तेरे साथ हर कोई खड़ा है, कुछ पाने के लिए , कुछ खोना ,ये सदियों से रहा है, अपने मुकाम को पाने में, हमें अब अकेले चलना पड़ा है, तू परेशान है, कुछ KM की इन दुरियों से, पर ये तुरंत ही मिट जाती है, जब जब तुने मेरा ख्याल करा है, नए लोग मिलेंगें, नई उम्मीद जगेगी, नए विचार के साथ, हम फिर मिलेंगे, पर सब नया होकर भी, हम वहीं रहेगें, जहां से तुम बिछड़ गया है, एक नए शहर में, तुझे खुद का पहचान बनाना है, और बता देना, दुनिया को, कि तुम कहां अकेला चला है, हर मोड़ पर तेरे पीछे तो, तेरा दोस्त खड़ा है ।। ©priyadarshini sharma हर पल तेरे पीछे, तेरा दोस्त खड़ा है।। #lovefriendship
Naresh Roy
नीचे आ गिरती थी हर बार प्राथना मेरी, पता नहीं कितनी ऊचाई पर रहते हैं तेरे भगवान।। आप ही कर लिया करो प्राथना मेरे लिए भी, शायद नीचे आ जाएं तेरे लिए, तेरे भगवान।। तेरे भगवान... #nastik #nogod #humanityfirst #humanity #aethist
राघव_रमण (R.J)..
विपदा बहुत आई जीवन मे लोभ लालच है अब मन में कैसे छोरू मोह इस जग की असली सुख है तेरे चरण में शीश आगे झुकी कदम द्वारे रूकी राघव का कर उद्धार कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार।। कबसे खड़ा हूँ तेरे द्वार अब तो नजर भी मां डाल आंसु नदीयां बनी मेरी उम्मीदें टली अब तो दरस दिखा एकबार फूल की डाली हाथ में लेकर ऊंचें पर्व
Thakur Akanksha Singh
सोचा था कि आयेंगे कभी आपके द्वार। आप बुलायेंगे प्यार से दिखायेंगे घर बार। चाय के लिए पूछेंगे एक दो बार। गिले सिक्वे आपस में होंगे दो चार। ना हो प्यार में कभी इंतजार। कभी आप भी आइए हमारे द्वार। ©Thakur Akanksha Singh #द्वार
Chitra Vishal Srivastava