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Stories related to बाधाएं आती हैं आएं कविता

लेखक 01Chauhan1

ख्वाब में तुम आएं कल

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शुभ प्रभात मित्रो

©लेखक       01Chauhan1 ख्वाब में तुम आएं कल

नवनीत ठाकुर

#हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे, जुबां को फलक भर नहीं आती। सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर, पर दुनिया को सहर नहीं आती। दिल की गुंजाईश है बेहिस

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White हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे,
जुबां को फलक भर नहीं आती।
सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर,
पर दुनिया को सहर नहीं आती।

दिल की गुंजाईश है बेहिसाब,
पर फिज़ा तक असर नहीं जाती।
ख्वाब जलते हैं रात की आग में,
सुबह उनकी खबर नहीं आती।

खुद से भी गुमशुदा हैं ऐसे,
जैसे राह कोई नजर नहीं आती।
आईने भी सवाल करते हैं अब,
पर उनकी सूरत उभर नहीं आती।

©नवनीत ठाकुर #हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे,
जुबां को फलक भर नहीं आती।
सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर,
पर दुनिया को सहर नहीं आती।

दिल की गुंजाईश है बेहिस

Zindgi Ka Safar # priyaa

#good_night हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता

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White जनाब यू इतराते है अपने गोरे रंग पर..
एक बार सांवले रंग पर फिदा होकर देखिये..
क्योंकि सितारे काले आसमान में ही खूबसूरत लगते हैं

©Zindgi Ka Safar # priya #good_night  हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता

Anuradha T Gautam 6280

#कविता कविता के कई मतलब हो सकते हैं पर कविता कभी मतलबी नहीं हो सकती..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ १९/११/२४

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Writer Mamta Ambedkar

#sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

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White 

मन का जख्म

बदन पर जो लगे,
वो जख्म भर जाते हैं,
वक़्त की मरहम से,
दर्द भी मिट जाते हैं।

पर जो गहरे घाव,
मन के भीतर लगते हैं,
वो हर धड़कन के संग,
फिर से जी उठते हैं।

न कोई मलहम,
न कोई दवा कारगर,
इन घावों को बस,
सहेजना ही है बेहतर।

ये घाव सिखाते हैं,
जीवन का एक पाठ,
हर दर्द के पीछे छुपा,
कोई अटल सत्य का साथ।

तो मन के जख्मों को,
बस प्यार से थाम लो,
दर्द की इस धारा में,
खुद को पहचान लो।

क्योंकि मन का घाव ही,
तुम्हें मजबूत बनाएगा,
और जीवन के हर मोड़ पर,
नया सूरज दिखाएगा।

©Writer Mamta Ambedkar #sad_quotes  हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

Writer Mamta Ambedkar

#love_shayari प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश

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White हम सफ़र 

हज़ार फासले होने के बावजूद
  बडा सुकून हमें तेरा  ख्याल देता है
 
हज़ार फासले होने के बावजूद
हज़ार फासले होने के बावजूद,
तेरा ख्याल दिल को उजाल देता है।
दूर रहकर भी जो पास लगे,
ऐसा एहसास तेरा कमाल देता है।

तेरी यादें बसी हैं सांसों में,
हर धड़कन तुझसे सवाल करता है।
क्यों दूरी का शिकवा करें,
जब तेरा ख्याल ही जवाब देता है।

बिछड़ने का ग़म होता है पर,
तेरे ख्याल से हर दर्द टल जाता है।
जैसे दूर चाँद को देखकर भी,
मन को उसका नूर बहाल देता है।

इस दिल का क्या हाल कहें,
जो हर घड़ी तुझे पुकार देता है।

©Writer Mamta Ambedkar #love_shayari  प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश

Writer Mamta Ambedkar

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White बारिश की बूंदे

कितनी ख्वाहिश थी,
बारिश की बूंदों को,

आसमान से गिरकर,
जमीन में दफ्न होने की।

वो जो ऊंचाइयों में,
बादलों की गोद में थीं,

हर एक लम्हा सोचती थीं,
धरती की मिट्टी से मिलने को।

चमकते सूरज के डर से,
बादलों में छुपती रहीं,

पर दिल में हसरत थी,
जमीन की आगोश में समाने की।

फिर एक दिन बादलों ने भेजा 
उन्हें धरती को तोहफा बनाकर,

जीवन को सींचने,
और प्यास बुझाने।

गिरती रहीं,झूमकर, नाचकर,
हर पत्ती, हर शाख से लिपटकर,

मिट्टी की खुशबू में,
अपने अस्तित्व को मिटाने।

दफ्न होकर मिट्टी में,
वो बूंदें मुस्कुराईं,

कि उनकी ख्वाहिश ने,
जीवन को एक नई कहानी सुनाई।

ख्वाहिशें भी ऐसे ही,
अधूरी नहीं रहतीं,

आसमान से गिरकर,
ज़मीन पर मुकम्मल होती हैं।

राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री

©Writer Mamta Ambedkar #Sad_Status  प्यार पर कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता कविताएं

गणेश शर्मा 'विद्यार्थी'

चलो चाय पीते हैं!!! #Tea #HindiPoem #hindipoetry #hindikavita कविताएं कविता हिंदी कविता

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घुट-घुटकर यूँ तो रोज, हमी जीते हैं।
बस बहुत हो चुका, चलो चाय पीते हैं।।

          जीवन में मुश्किल रोज, नयी आती हैं।
           नदियाँ भी तट पर मैल, बहा लाती हैं।
             दिन भर दिमाग में ऊँच-नीच चलती है।
             दुनिया की तब हर एक बात खलती है।
          ऐसे  ही  कितने  साल  यहाँ  बीते हैं।
              बस बहुत हो चुका, चलो चाय पीते हैं।।

अदरक-इलायची संगति कर दी जाती।
जब गर्म चाय कुल्लड़ में भर दी जाती।
कर देता है मदहोश  चाय का प्याला।
न्यौछावर इस पर  कई-कई मधुशाला।
यूँ ही  हम  छोटे - बड़े  घाव  सीते हैं।
बस बहुत हो चुका, चलो चाय पीते हैं।

             इससे बढ़कर फल, फूल, नहीं मेवा है।
             इससे   बढ़कर  दूसरी   नहीं  सेवा  है।
             इससे  बढ़कर  के  पुण्य  नहीं दूजा है।
            इससे बढ़कर कुछ अन्य नहीं पूजा है।
              क्यों अब तक सबके चाय-पात्र रीते हैं?
              बस बहुत हो चुका, चलो चाय पीते हैं।।

©गणेश शर्मा 'विद्यार्थी' चलो चाय पीते हैं!!!

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कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

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मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात  हिंदी कविता कविता कोश कविता

कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश

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जल देता कल जिस तरहा, करके कंठ को तर |
देती सुकूँ वैसे मुझे, याद आ के अक्सर ||


गीत तुम्हारे गाऊंगा, जब तक तन में प्राण |
सबसे बड़ा मेरे प्यार का, ये भी एक प्रमाण ||

©कवि प्रभात  हिंदी कविता कविता कोश
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