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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
ज़िंदगी उन्हें मिलती है जो जुआ जानते हैं... अक्लमंद वो है जो जुआरी पहचानते हैं..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 जुआरी
जुआरी
read moresandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
पहला प्यार फासलों ने बहुत क़रीब से छुआ था... आँख दॆखते रहे जो भी कुछ हुआ था..। जिस्म के साथ दिल भी जल रहे थे... साँसों ने बताया सिने में बहोत धुंआ था..। तुझसे बिछड़ के करवटे भिगी थी... आपने आँख में खोदा एक कुआँ था..। बुज़दिल नहीं हूँ बाज़ी छोड़ के जाते... दिल दांव पे कि,इ्श्क़ एक जुआ था..। जुआरी(ख़ब्तुल)
जुआरी(ख़ब्तुल)
read morevipin morya
Secrets वो आज भी रोती होगी जब किसी ओर की बाहों में सोती होगी।। याद पिया की
याद पिया की
read moreBikrant Kumar Bikko
#OpenPoetry कागा सब तन खैयो चुन चुन खैयो मास, दो नैना मत खैयो जिन्हे पिया मिलन की आस Bikrant kumar पिया मिलन की आस
पिया मिलन की आस #OpenPoetry
read moreShishpal Chauhan
आई सुहानी हरियाली तीज, बारिश में तन मेरा गया भीग। हृदय तरह-तरह के हिलोरे खाता है, त्योहार बीते हुए दोनों की याद दिलाता है। मैं हूं अलबेली नार, मेरे पिया गए हैं उसे पार। अकेले न दिन कटता है न रात, कौन मन को बहलाए कौन करे प्यार की बात ? मेघों की घर गर्जना, दिल में दर्द दिए जाए सजना। तेरे बिन बेकार सजना संवरना, दिल का तेज हो गया है धड़कना। जिस प्रकार धरती बिन पानी प्यासी, मैं भी हूं तेरी दीदार की प्यासी। मैं हूं तेरे चरणों की दासी, अकेले में तुझे याद करके चेहरे पर छा जाती है उदासी। आंखों में तस्वीर आपकी बसी है, क्या करूं जान आपात में फंसी है। आपको याद करके आंखों से अश्रु बहते हैं, जुदाई का दर्द बहुत हम सहते हैं।। ©Shishpal Chauhan # याद पिया की आए
# याद पिया की आए #कविता
read moreSatish Mapatpuri
पिय की सूरत क़ैद कर,पलकें सोती रैन। भोर पहर देखे नहीं , तब तक मन बेचैन। ..... सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri पिया दरश की चाह
पिया दरश की चाह
read moreKamal Kalu Dahiya
शीर्षक :- पियां की याद आना सून भरे इस वक्त में, हर बात तेरी सताती है.. आज मुझे मेरे पिया की बहुत याद आती है..! भरे रंगीन ये हाथ मेरे, पिया के हाथों पले गये.. यूं अकेली छोड़ मुझे, पिया परदेशों चले गये.. हमेशा की तरह ये भोर भी निकल आती है..... बिन साजन के नाम की, ये संध्या भी ढल जाती है.. आज मुझे मेरे पिया की, बहुत याद आती है...! बिन साजन अब न जाने, ये घड़ी कैसे बताउंगी.. आप तो सजणा छोड़ गये, अब खरी किसे सुनाउंगी.. हर छोटी-सी बात तेरी, मुझे बहुत रुलाती है.. आज मुझे मेरे पिया की, बहुत याद आती है...! देख तस्वीर अब पियां की, ये दिन वर्ष-से बह रहे... क्या करुं में बता सजणा, हम तरस के रह रहै..! बिन सजणा आप के, ये घड़ी भी मुझे सताती है.. आज मुझे मेरे पियां की, बहुत याद आती है.....! रचनाकार :- अशोक जांगिड़ पिया की याद आना #peace