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narendra bhakuni
Beautiful Moon Night "दीप की महत्ता अंधकार मे ही होती हैं, सूर्य उगने के बाद उसका महत्व कम हो जाता हैं। " ©narendra bhakuni #beautifulmoon Niaz (Harf) Beena Kumari तरुणा शर्मा तरु Sk Sharik Sonia Anand 0 Arshad Siddiqui Rajdeep -"Richa_Shahu" Beena Kumari Pushpvri
"Vibharshi" Ranjesh Singh
Bihari and Hypocrisy राजनीतिक समझ पर ज्ञान ऐसे देंगे जैसे इनसे बड़ा कोई ज्ञानी नहीं हो पर फिर वोट किसी अपराधी को दे आयेंगे। खाने को आटा नहीं बात बिरला और टाटा की करेंगें । गोतिया के सामने अंबानी दिखने की कोशिश करेंगे फिर बाहर राज्य में जा कर मजदूरी करेंगे। गांव समाज में अगर कोई व्यक्ति मेहनत कर के आगे बढ़ना चाह रहा हो तो उसकी लिए अड़चन पैदा करेंगे, और फिर बाद में बिहारी एकता पर ज्ञान देंगे। गांव में रहेंगे तो एक गाली पर मर्डर कर देंगे वहीं बाहर राज्य में हर दिन गाली खायेंगे और निर्लज्ज की तरह बने रहेंगे। बाल बच्चा का मुंह देखे महीना हो जाए भले ही, अपना सुख चैन बेच आयेंगे पर वोट किसी ना किसी अपराधी को दे आएंगे। अजीब से नशा में चूर हैं सब, गलती करेंगे खुद और कहेंगे मजबूर हैं सब। मेहनत से चार पैसा कमाने वाला व्यापारी इनको चोर , दो नंबर का काम करने वाला लगेगा और बेटी का रिश्ता उस सरकारी बाबू से करवाएंगे जिसका आउटी आमदनी हो यानी घुस लेता हो l ©"Vibharshi" Ranjesh Singh मैं भी एक बिहारी हूं
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे , दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।। रूप ये बदल आये , देख निधिवन आये , मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।। कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ , शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१ पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये , तेरा मेरा मेल है ये , प्रीति ये बढ़ाइये । चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है , सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।। नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो , जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।। आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर , मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२ २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे
Ravendra
Shailendra Anand
Sea water रचना दिनांक,,,३,,,२,,,,२०२४,,, वार,,,, शनिवार समय,,,, सुबह चार बजे,,, ्््््् ्््््निज विचार ््््् ्््छाया चित्र में भावचित्र प्रेम गगन में श्याम वर्ण और वेश भूषा में अमिटं रुप रंगीला बसंत पीत वस्त्र में््् मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया लाल देवकी नंदन जीव दया की मनमोहनी रुप छटा में चंद्रकिरणें से,, राधा में अनुराग प्रेम का श्रंगार रस है रास रंग में अवध बिहारी हो या फिर कृष्ण बिहारी का जाने ।। बाल स्वरूप में भोला शंकर साकार लोक में भ़मण करतीअदश्य रुप में क्या मथुरा काशी अवध में ,, बन गयो मदारी बनकर दिलों मेंनटलीला जादूगर बनकर।। डमरू बाजे बजने लगे गली गली में चौक चौराहों पर खैल खलौणा से मजमा लगायो ठुमक ठुमक चलत रामचंद्र जी और पग पैजनियां चले देखण खैला नर रुप में।। भोलाबम लहरी णे आवाज लगाई जेहण में दौड़ भागने लगे,, रहवासी देखण लागे नैन नक्श मुंखपरचंदआभामण्डल से।। ज्ञान रस का श्रंगार जादू छडी से राम कृष्ण में त्रैता और व्दापर में,, एक टेम में दूई नजारा फैकी ऐसी विश्वमोहिनी एक संग में दो युग का जादू कर लोगों को दिखाया।। मन मंद मुस्कान लेकर राम रुप लेकर फिर कृष्ण दर्शन की भोलाशिव शंकर साकार लोक में ,ऐसों खैल का नजारा देखने से मची चकाचौंध में,, लुप्त हुई घटनाओं का क्षण क्षणिका में महज़ एक मजमा दोयुग का बात बात में ।। आंखें डालकर हुआ संवाद नरलीला का समेट लिया,, जादू गर भोलाशंकर णे चलते समय इधर उधर देखने लगा ।। रामचंद्र जी और शिवशंकर अन्नधान का श्रंगार रस में शहद मिलाकर पीने लगे दूश्मन की नज़र ना लगे ।। झाडनी उतारी रघुनंदन की का समझे जाने मेरा तेरा,, मनन आनंद शैलेंद्र का श्रंगार रचु इस जग में उस जुग का।। ््््निजविचार ्््् भावचित्र खिंचती है मन दर्पण प्रेम शब्द का सच्चा पूजारी है जीवन का कमंयोग आंनद है ्््शैलेन्द़ आनंद ््् ््््३,, फरवरी,,,,२०२४ में द्वारिका संजी संवरी में एक बार घर घर आंगन में ©Shailendra Anand #Seawater रामचंद्र जी और अवध बिहारी व्दारिका में एक संग दूई युग का जादूगर भोलाशंकर मदारी बनकर दिलों में खैला मचाया अवध बिहारी मथुरा में आनंद
Nikhil nitin (Raja)
लोग कहते हैं 'धोखा है इश्क'😜 हमारे लिए तो 'लिट्टी-चोखा है इश्क'🤤 ©Nikhil nitin (Raja) #बिहारी❤️
Instagram id @kavi_neetesh
क्या तुम मौन नहीं रह सकते थे , जरूरी था कहना , *देखो कितनी सुंदरता छाई है, गगन मे* क्या तुमने सुंदरता को, परिभाषित करने के लिए, गणितीय भाषा का, प्रयोग कर, एक सीमित दायरे मे ला, खड़ा नहीं कर दिया? क्या तुमने, नारी बीच सारी है के , सारी बीच नारी है, बिहारी जी को, नहीं पढ़ा? ©Instagram id @kavi_neetesh अचार्चिक दर्शन,,, क्या तुम मौन नहीं रह सकते थे , जरूरी था कहना , *देखो कितनी सुंदरता छाई है, गगन मे* क्या तुमने सुंदरता को, परिभाषित करन
Krishnadasi Sanatani