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Mistar Baghi
AARPANN JAIIN
White अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है एक गहरा दर्द छुपा राहों में फिर भी तन्हाई का एहसास सड़कों की ये कहानी अधूरी सा ख्वाब ©AARPANN JAIIN अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है ए
Vikrant Rajliwal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ਸੀਰਿਯਸ jatt
AJAY NAYAK
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं अगर, नाराजगी में प्यार छुपा है, तो दो कड़वे बोल में भी, प्यार छुपा है बस, जैसे उसे जाहिर कर देते हो, वैसे ही, इसे भी समझ लिया करो। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi #samjh किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं ज
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR लुका छुपी
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR i लुका छुपी
Vikrant Rajliwal