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Sumit Kumar
Quotes on Father जब तक पापा थे शौक की अपनी उम्र थी, अब तो शौक की उम्र में सब्र करना सीख लिया हमनें.. ©Sumit Kumar शौक की उम्र में सब्र..
Manish Kumar gupta
लोगों के हर कदम पर रोशनी बन कर खड़ा रहा तो ए जिंदगी तूने कहा कितने बेह्तरीन हो तुम आज सबको खुशी देते देते मेरी खुशी की खुदकुशी हो गई... तो अब पूछते हो कि किस चीज़ के शौकीन हो तुम तो सुन शौक मेरी किसी को दो वक्त की रोटी के लिए इतना ना करना मज़बूर की बूढे माँ- बाप की सेवा से कोई बेटा हो जाये दूर ..,, बेटे के बिरहा में माँ-बाप के आंसू ना गिरते रहे,,, दूर होकर बेटा उनके बिरहा में ना सिहरते रहे,,, ©Manish Kumar gupta शौक इक बेटे की मजबूरी
TEJPAL
बहुत शौक था सबको खुश रखने का, होश तब आया जब खुद को ज़रूरत के वक्त अकेला पाया। ©TEJPAL # शौक या आज की संस्कृति
दीप बोधि
सूर्य की लालिमा जा चूकी थी। रात की कालिमा छा चूकी थी। घनघोर तिमिर छाया हुआ था। पक्षी अपने आशियाने में थे। कुत्ते भौंक रहे थे,पहरा दे रहे थे। मै गहरी नींद में सोया हुआ था। सपने में बातें कर रहा था रात से। पूछ रहा था उसकी कहानी रात से। बोली-मैं आती हूं आलोक भाग जाता है। चारों और मेरा ही साया छा जाता है। मैं विवश हूं नहीं मिल पाती दिन से। लोगों को काम से आराम दिलाती दिन से। रवि,होता मेरे अधीन कुछ नहीं कर पाता। विश्व!पर मेरा ही शासन चलता। चंद्रमा मेरे पीछे पीछे है आता। अपनी दूधिया रोशनी में मुझे नहलाता। मै खो जाती हूं,उसकी चांदनी के साथ। मुझे निहारते तुम चांदनी के साथ। सोचते रहते न जाने क्या! तुम अपनी यादों के साथ। फिर मै, मजबूर हो जाती हू जाने को। अपनी अगली कहानी गढ़ने को। सोचती हूं,थकी हूं,अब आराम करूं। मस्टर का रात में बोलना। बच्चे की शिशकियों का मूंह खोलना। अब रूकूं ना चली जाऊं,बेचारे दिन को आजाद करू। मेरा अहसान मानो, तुमको दिलाती हूं चैन। फिर भी लोग डरते हैं हाय!क्या!है ये रैन। मै डराती हूं,सूलाती हूं,जगाती हू। जब नींद नहीं आती,रात आ जाती है। ले जाती है छत पर टिमटिमाते तारों की सैर कराती है। ©Kumar Deep Bodhi #रात "रात की कहानी
Kumar krishan
#NoTobaccoDay “यदि तम्बाकू नहीं छोड़ पाओगे, यदि शराब नहीं छोड़ पाओगे तो जल्दी ही खुद को तस्वीर में टंगा पाओगे तंबाकू का शौक कुत्ते की मौत
guptapankaj8
वो कल पूछ बैठी मुझसे, "तुम शाएरी शौक से करते हो या मेरे लिए"। मैं बोला - "शायरी तो शौक से ही करता हूँ यह अलग बात है कि मेरा शौक तू ही है"। #शौक शौक और शायरी
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
बचपन की वो रात भी क्या रात होती थी जब कच्चे मकानों की छतों पर दादी नानी की कहानी और मां की गोदीहोती बचपन कीउस रात की बात करते जब लाइट से चलने वाले पंखे नहीं हो जब हाथ के पंखी से मां हवा करतीं थीं रात में गर्मी के मौसम में जब गर्मी लगती पेड़ो को हवा करे ऐसी प्रार्थना करते थे जब डरावनी रात की बात हो तो पीपल के पत्तों की आवाज़ से डर जाया करते थे जब डर लगता तो मां अपने आंचल में हम बच्चो को छुपा लिया करती थी जब साय साय की आवाजें आती थी सुबह उठ कर रात की बात होती थी ©Chandrawati Murlidhar Sharma उन दिनों की रात की बात # रात की बात