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कौशिक
यूंही नहीं कहते पीपल की छाव को ठंडा मैंने महसूस की है उसकी ठंडक।। तपती दोपहरी में चिलचिलाती धूप में राहत देती है पीपल की छांव। डामर की सड़क पर जब धूप झुलसाती है जिस्म और जलाती है पांव तब याद आती है पीपल की छांव गांव के बुज़ुर्गो से सुना था बड़ी ठंडी होती है पीपल की छांव शहर के गर्मी के थपेड़ों ने बता दिया कितनी ठंडी होती है पीपल की छांव शहर की इस बेतरतीब भाग दौड़ में मेरे गांव की याद दिलाती है पीपल की छांव।। पीपल की छांव
Rahul Ashesh
अब तो तुम्हारी ज़ुल्फों के साये में भी.. धूप सी लगती है, लगता है इनकी छांव अब किसी.. और कि हो गई है। ज़ुल्फों की छांव...
Ayush kumar gautam
हमने दरख्त की छांव में बैठे बैठे एक पत्ता तोड़ लिया दरख्त बोला तुमसे ये उम्मीद न थी पूंछने पर बोला ढेरों शायरी तसव्वुर कर चुके हो मुझ पर मैंने हाथ जोड़कर माफी मांगी तो मुस्कुराकर बोला बस फिजूल मत तोड़ना अच्छा लगा तुम्हारा गलती पर यूं हाथ जोड़ना शायर आयुष कुमार गौतम दरख्त की छांव
Balmiki Choudhary
बहुत धूप है चलो कुछ देर बिताएं छांव में, माँ धरती की गोद प्रकृति की बांह में, एक हीं रंग जहाँ मन में उमंग वहाँ, जीता न जहाँ कोई किसी गुमां में, बहुत धूप है चलो कुछ देर बिताएं प्रकृति की छांव में। चलो कुछ देर बिताएं प्रकृति की छांव में प्रकृति की छांव
Anuj Ray
आज भी याद है मुझे मदहोश कर गई थी , तुम्हारी वह पहली नजर.. खामोश लबों ने कर दिया था निमंत्रण , आंखों आंखों में मुस्कुरा कर। प्रीत की डोर बंध चली थी हौले हौले, बस रहा था एक अनजान नगर.. चल रहे थे कदम ,"प्यार की छांव में था " कभी अपना भी सफर। ©Anuj Ray # प्यार की छांव में