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Sanjay Gurav

बिंब चारोळी मराठीकविता

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Niraj kumar Premchand

" मिटते बिंब " #poem

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धुंधले रास्तों में अब कहां ढूंढ पाऊंगा मैं तुम्हें , 
बोहोत दूर निकल गई हो , 
कैसे वापस पाऊंगा मै तुम्हें,
खतावार हम दोनों नहीं थे ,
 वक़्त - बेवक्त की बातें थीं ,
पर 
   तुम ही बताओ अब  कैसे 
   वापस पाऊंगा मैं तुम्हें  !! 
  दरमियान है  फासले बोहोत ,
पर जो तुम  एक आवाज़ दो , तो 
इस भीड़ में भी मैं ,
ढूंढता चला आऊंगा तुम्हें  !! " मिटते बिंब "

Vishal Bhargava

#geet नारी का प्रति बिंब #विचार

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तुम सृजन को पाल सकती हो अपनी कोख में
तुम जीवन को निभा सकती हो अपनी कोख में
है कोई और इतना ताकतवर नही जो सह सके इतना भी कुछ
तुम अकेली  हो जो जिंदगी देती हो अपनी कोख में #geet नारी का प्रति बिंब

Manjeet Sharma 'Meera'

सुबह का भूखा : दो बिंब लघुकथा

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kavi Dinesh kumar

कविता मेरी कविता में खो जाओ

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Nitesh Kumar Sinha

वसंत में कविता

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K L MAHOBIA

कविता - " बारिश में "

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शुभम कुमार गौतम

बुखार में कविता #nojotophoto

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 बुखार में कविता

Indresh Dwivedi

बईठल रहनी अकेले अपने खयालन में  हम
तब तक जोर से एक हसीं गुजल और ठिठक गयिनी हम
घरबा के पूछनी तू के हउ और काहे डेरवावत हउ
पहिले त ऊ मुस्काइल फिर चिल्लाइल और कहल की तोर परेशानी हइं हम!!

तू कान्हें मोसे डराले ना कितनों तोके सताई तैं मोसे घबराले ना
अब हम्हू खूब जोर से ठहाका लगउनो 
फिर बोलनी की मोरे पिता जी के आशीर्वाद के ई प्रताप बा अउर तोरे जईसन क ओकरे आगे का औकात बा!!

परेशनियां पहिले त खिसियाइल फिर बहुत जोर से चिहाइल
कहले मोसे मत टकराव मैं तोके बर्बाद कई देबें
हम्हु कहनी की अरे पगली मोर भईया के होते तू कुछ न कर पईबी!!

एतना सुनते ऊ  त तमतमा गइल गुस्सा से बिलबिला गइल
कहल कि देख तों मोसे जुबान मत लडा नही त बहुत पछतइबे 
एईसन घुस जाइब तोरे जिंदगी में कि राह भुला जइबे
हम कहनी की सुन तों का मोके बर्बाद करबी
मोरे खातिर मोर दीदी चौथ भूक्खे ले ओकरे आगे त टिक ना पईबी!!

अब जईसे ऊ एकदम बौखला गइल लेकिन मोरे हौसला के आगे घबरा गइल
फिर थेथरई से बोलल कि देख तों मोसे थोड़ा त डेरो अरे परेशानी नाम ह मोर मैं तोर जान ले लेब
अबकी हमहू तमतमा गईनी और परेशानी के लतिया देहनी 
फिर बोलनी की सुन तों का मोर जान लेबी मोके शीओ माई क आशीर्वाद बा
अउर मोरे लंबी उमर के खातिर मोर माई खर बर क जितिया भूक्खल बा!!

©Indresh Dwivedi #अपनी_प्यारी_भोजपुरी में कविता

Parasram Arora

कविता में उल्लेख किसका?

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न होते अगर  कल्पनाओ के  स्वप्नलोक 
न होते अगर पर्वतो  की पीठ  पर  लदे   इन  बादलो  का  घटाटोप 
न होते   अगर  प्रेम  मृदुता औऱ मधुरता के झरने 
 औऱ न होती  कभी  आसथाओ   पर डकैती.... 
तो  उद्वेलित   होकर  भावनाये  कैसे  बहती.. 
फिर  कवियों  की  कविता  में  उल्लेख  किसका  होता?  
न होता  अगर  जीवन में  जीवन मरण का प्रश्न 
तो भरा होता   मन में खलीपन... न होता   जीवन में    अगर..वियोग  औऱ मिलन का  क्षण 
न होती  अगर जीवन में  सांसारिक  झल्लाहट    औऱ. प्यार की  गुनगुनाहट 
तो फिर कवियों की  कविता में  उल्लेख  किसका   होता? कविता में उल्लेख   किसका?
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