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कवि आलोक मिश्र "दीपक"
Alok Vishwakarma "आर्ष"
आज पूर्णिमा की रात में भी चाँद को ग़ायब देखा, तो दिल अपनी फ़रियाद ले कर, नियति के द्वारे जा पहुँचा.. "होते हुए भी चाँद क्यों अब भी अँधेरा है, क्यों नभ पड़ा सूना जहाँ मेरा बसेरा है" फ़िर क्या था!! नियति ने ऐसा उत्तर दिया कि हम कहते-कहते कब निःशब्द हो गए, पता ही नहीं चला.. "नियति हूँ नीति बनाना कर्म है मेरा, प्राप्य की प्राप्ति कराना धर्म है मेरा । पूर्णिमा का चाँद तो दुनिया को अर्पण है, रश्मि रूपी शशि केवल आर्ष दर्पण है ।।" "नियति का उत्तर" मेरी रश्मि का अकथनीय माधुर्य.. रचना में प्रदर्शित.. बहते आँसुओं से सुसज्जित.. Much Love.. 💝🌼💝🌼💝 #alokstates #vrindasays #e
Dharm Desai
तुम स्वाद हो मिष्ठान्न का में बासी रस मलाई सा हु #dharmuvach✍ Collab करें 🤗... अपने ज़ज्बात बक्से के अंदर तक ही सीमित रखें, सुसज्जित दिखेगा 🤗🙏.. #anuragwrites #yqquotes #yqhindi #collab #collabchallenge
isha rajput
कवि मनीष
धन की वर्षा हो घर में आपके बार-बार, स्वर्ण सुसज्जित हो जाएँ आपके घरों की दीवार, आसमाँ हो हर घड़ी सर पे ख़ुला, मुबारक़ हो आप सभी को धन तेरस क
mast malang
पत्थर को जो मोम बना दे वो आग हमारे दिलों में है, बहरों को भी दे सुनाई राष्ट्रवादी राग हमारे दिलों में है, इस वतन की शान पर शहीद हुए फूल जो, उनकी महक से सुसज्जित बलिदानी बाग हमारे दिलों में है,, पत्थर को जो मोम बना दे वो आग हमारे दिलों में है, बहरों को भी दे सुनाई राष्ट्रवादी राग हमारे दिलों में है, इस वतन की शान पर शहीद हुए फूल जो,
अबोध_मन//फरीदा
कभी बरसों पहले जब वो मिले थे सिंदूरी साँझ के आँचल तले तो उसके आँखों के काले काजल ने लिखी थी... उसके उरस्थल के समीप धवल वर्ण की एक प्रेम कविता जो सुसज्जित है आज भी बिलकुल वैसी ही, उसके आसमानी कुर्ते पर.! ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #अबोध_poetry #मैं_तुमऔरकुछ_रिक्तस्थान कभी बरसों पहले जब वो मिले थे सिंदूरी साँझ के आँचल तले तो उसके आँखों के काले
KISHAN KORRAM
नव दीप जले, नव स्वप्न सजे हर जाये हर अंधकार सुषमा से सुसज्जित हो घर, आँगन, चौबार धन लक्ष्मी सौगात लाये भरे भंडार अपार सुख, समृध्दि अनंत आये दीपोत्सव में इस बार। 【दीपोत्सव की हार्दीक शुभकामनाएँ】 #नव दीप जले, नव स्वप्न सजे हर जाये हर अंधकार सुषमा से सुसज्जित हो घर, आँगन, चौबार धन लक्ष्मी सौगात लाये भरे भंडार अपार सुख, समृध्दि अनंत आये