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Stories related to कर्वेचर नवाने चांग भला

N S Yadav GoldMine

#snow {Bolo Ji Radhey Radhey} बड़ी अजीब है दासता:- कर्म व विचार हमारे सुध व निष्पक्ष नही, उपाय पंडित व अन्य से पूछते पूछते भटक रहे हैं, उन

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
बड़ी अजीब है दासता:- कर्म व 
विचार हमारे सुध व निष्पक्ष नही, 
उपाय पंडित व अन्य से पूछते 
पूछते भटक रहे हैं, उनका भला 
कोई नहीं केवल और केवल 
भगवान श्री कृष्ण जी की मन से 
सरनागति में ही सम्भव है।।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #snow {Bolo Ji Radhey Radhey}
बड़ी अजीब है दासता:- कर्म व 
विचार हमारे सुध व निष्पक्ष नही, 
उपाय पंडित व अन्य से पूछते 
पूछते भटक रहे हैं, उन

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द

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तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं,
तो किसे इत्येलाह करूं।
तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में,
खुद से भी गिला करूं।

तुम्हीं न समझो मेरा दर्द,
तो और किससे वफा करूं।
जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में,
उन्हें कैसे रिहा करूं।

जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र,
अब उनका क्या सिलसिला करूं।
तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी,
तो शिकायत किससे भला करूं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं,
तो किसे इत्येलाह करूं।
तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में,
खुद से भी गिला करूं।

तुम्हीं न समझो मेरा द

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित हिन्दी रचना शीर्षक अंतिम माह का माफ़ीनामा विधा मन के विचार भाव वास्तविक हुई जो अंजाने में कोई गलती या दुखा हमारे शब्दों से मन

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Rakesh frnds4ever

#मैं #बुरा था या #भला था मुझे पता तो ना था मेरी वजह से शहर भर में कोई #रुसवा तो ना था किसने #चाहा था #मुझे ,,,,!!???? किसने चाहा था मुझे

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित Lots of love krishu ☺️☺️♥️🥀🥀 शीर्षक तरु-क्रिशु विधा वास्तविकता भावों की . . भाव

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

Wishing you all happy winter's day Take care your self in coldy days,☺️ भाषा शैली स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित शीर्षक शीतः शि

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theABHAYSINGH_BIPIN

मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प

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White मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला?
एक शोर उठता है, रह-रह कर जो,
आख़िर खुद में ही क्यों दबा?

ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ,
सवालों का कभी जवाब नहीं मिला।
गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ,
मन में लिए कितने सवाल चला।

कितनों से बात की मैंने,
कितनों को बेहतर सलाह दी।
मिला दे मुझे खुद से या रब से,
एक मकसद को डर में फिरा।

सुना, गुनाह रब माफ़ करते,
मंदिर मस्ज़िद को निकला।
माफ़ कर सकूँ पहले खुद को,
खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला।

©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों प

Bachan Manikpuri

पैसा न बुरा है न भला है

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