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Er. Shiv Vishwakarma
kahin na kahin is panchhi ka bhi aasmaan hoga
kahin na kahin is panchhi ka bhi aasmaan hoga #poem
read moreKs Vishal
मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा है मेरा कागज़ ये कोरा और स्याही है अधूरी नाम तेरा लिखूं अगर मैं ये कहानी होगी पूरी बेशक तुम इन पंक्तियों के बाहर परायी ही रहो किन्तु इस कागज़ पे मेरे मैं तुम्हे अपना कहूँगा मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा स्याही ही झुमके लिखेगी स्याही ही बिंदी लिखेगी सोचो अपनी प्रीत गाथा प्राण प्यारी हिंदी लिखेगी स्याही जब खनकेगी तेरी स्याही जब चमकेगी तेरी मैं प्रतीक्षा में तुम्हारी तुमको कागज़ पर दिखूंगा मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा देखना चूड़ी को अपनी देखना कंगन को अपने पढ़ना जब जब छंद मेरे ढूंढ लेना मन को अपने हाथ मे जब लेके अपने गीत मेरे तुम पढ़ोगी उस गीत की उन पंक्तियों से मैं तुम्हे तब तब सुनूंगा मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा जब मैं अंतिम काव्य लिखूं तब भी तुम्हारा प्यार लिखूं है यही उस क्षण से आशा मैं तुम्हारा श्रृंगार लिखूं जन्म फिर से लूं अगर मैं फिर से मैं कागज़ कलम लूं और अपनी प्रेरणा में उस बार भी तुमको चुनूँगा मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा ©Ks Vishal #phool 349
Ks Vishal
मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा है मेरा कागज़ ये कोरा और स्याही है अधूरी नाम तेरा लिखूं अगर मैं ये कहानी होगी पूरी बेशक तुम इन पंक्तियों के बाहर परायी ही रहो किन्तु इस कागज़ पे मेरे मैं तुम्हे अपना कहूँगा मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा स्याही ही झुमके लिखेगी स्याही ही बिंदी लिखेगी सोचो अपनी प्रीत गाथा प्राण प्यारी हिंदी लिखेगी स्याही जब खनकेगी तेरी स्याही जब चमकेगी तेरी मैं प्रतीक्षा में तुम्हारी तुमको कागज़ पर दिखूंगा मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा देखना चूड़ी को अपनी देखना कंगन को अपने पढ़ना जब जब छंद मेरे ढूंढ लेना मन को अपने हाथ मे जब लेके अपने गीत मेरे तुम पढ़ोगी उस गीत की उन पंक्तियों से मैं तुम्हे तब तब सुनूंगा मैं तुम्हे जब जब लिखूंगा जब मैं अंतिम काव्य लिखूं तब भी तुम्हारा प्यार लिखूं है यही उस क्षण से आशा मैं तुम्हारा श्रृंगार लिखूं जन्म फिर से लूं अगर मैं फिर से मैं कागज़ कलम लूं और अपनी प्रेरणा में उस बार भी तुमको चुनूँगा मैं तुम्हें जब जब लिखूंगा ©Ks Vishal #Aurora 349
Naresh Reddy Aleti
ఎడారిలోనా చిగురులు తొడిగే మొక్కలు కావాలిప్పుడు.! తడారిపోయిన కలలను మరువని కన్నులు కావాలిప్పుడు.! చిక్కటి అడవులు దాటిన చరిత మనిషి పాదానికున్నదిగా భూమిని వదిలి గ్రహాలు చేరే అడుగులు కావాలిప్పుడు.! ప్రేరేపిస్తే ఉప్పు సముద్రం కోతి లంఘించి రాలేదా? హృదయారణ్యం నెగళ్ళు చెసే వాక్కులు కావాలిప్పుడు.! నీవెవరో తెలియాలంటే ఎవరెవరో చెప్పాలా? అంతరాత్మనే నిలదీసే ప్రశ్నలు కావాలిప్పుడు.! చలనం సున్నా చేసేస్తే ఆ చరవాణైనా ఎందుకులే చక్కని వన్నెల చోటును చేరే పరుగులు కావాలిప్పుడు! #వన్నెలయ్య_గజల్ 349 #గజల్
#వన్నెలయ్య_గజల్ 349 #గజల్
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