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Gunjan Agarwal
#गीत मैं नदिया की धारा चंचल, तुम पर्वत जैसे दृढ़ हो । चलते - चलते अगर राह में थक कर जब रुक जाती हूं । वक्ष तुम्हारे सर रख अपना राहत थोड़ी पाती हूं । और सदा मैं चाहूँ तुमसे कभी न ऋण ये उऋण हो । मैं नदिया की धारा चंचल............ सौ सौ चोटें मिली राह में चलते - चलते अक्सर ही । प्रेम पियासी एक नदी हूं, पी बैठी सब हंसकर ही । व्यवधानों में शामिल कंकड़ पत्थर, रोड़ा या कण हो । मैं नदिया की धारा चंचल............ पीड़ाओं पर मरहम मलकर ज़ख्म मेरे सहलाते हो । आलिंगन में भरकर अपने नेह सतत बरसाते हो । व्याकुल अनहद हो जाते क्यों, अगर चेतना से जड़ हो । मैं नदिया की धारा चंचल........ ©Gunjan Agarwal #गीत #Prem #Love #love❤
arvind bhanwra
शांवा शांवा मर जांवा खुशियां दा वेल्ला आ गया । सारे पिण्ड विच चानण होया, नवा साल जवाना आ गया । arvind bhanwra नवा साल ।
नवा साल ।
read moreप्रकाश साळवी
तो हा नवा !! शब्दास माझ्या गंध येतो हा नवा केसात माळीला सखे तो हा नवा ** कानात वाजे सारखे गाणे तुझे ओठात येइ मारवा तो हा नवा ** जात्यावरी गायीन ही ओवी तुझी गाशील का तू त्या स्वरा तो हा नवा ** रानातल्या वाऱ्यापरी वेलीवरी गुंजणारा झंकार का तो हा नवा ** येशील का आकाश होऊनी जरा देशी मना का गारवा तो हा नवा ** प्रकाश साळवी २७/०५/२०२० दुपारी १२:२३ तो हा नवा !!
तो हा नवा !!
read moreHariom Rajput
मिल जाए सूकू इस रूह को एक दफ़ा मुस्कुरा दो ना मेरी जा सुन रहा है चाद भी कोई प्यारा सा गीत सुना दो ना ।। कोई गीत सुना दो ना
कोई गीत सुना दो ना #शायरी
read morePrashant Mishra
बाद मरने के भले हम स्वर्ग में मिल जाएंगे पर ज़मीं पे लग रहा है एक ना हो पाएंगे मैं तिमिर घनघोर किंतु श्वेत सा तुम चन्द्रमा हो ज़िन्दगी की मैं निराशा हूँ मग़र तुम प्रेरणा हो हो न पायेगा बराबर , तौल में अपना तराजू चैत्र की मैं हूँ अमावस, तुम शरद की पूर्णिमा हो स्वप्न जो देखे हैं पूरे एक ना हो पाएंगे बाद मरने के भले हम....... तुम समन्दर सी वृहद तो, मैं लघुत्तम सीप जैसा तुम स्वयं दीपावली हो, मैं महज़ एक दीप जैसा है तुम्हारे और मेरे बीच इतना फासला कि तुम शहद की बूँद हो तो, मैं अछूता पीप जैसा तो, एक संग हम दोनों के उल्लेख ना हो पाएंगे बाद मरने के भले हम स्वर्ग में....... बेसुरा-बेताल हूँ मैं, तुम मग़र सुर साधिका हो रूप में मैं जॉनी लीवर सा मगर तुम दीपिका हो साँवरा मैं कृष्ण सा तुम, गोरी-गोरी राधिका हो प्रेम में अनपढ़ हूँ मैं पर,तुम इसीका शिक्षिका हो किरदार आपस में हमारे शेक ना हो पाएंगे लग रहा है इस धरा पर एक ना हो पाएंगे...... --प्रशान्त मिश्रा गीत- एक ना हो पाएंगे
गीत- एक ना हो पाएंगे
read moreH.s
मेरी यादें फिर से ताजा हो रही हैं मेरी यादों का 9वा साल हो रहा है लगता है नया साल आ रहा है क्या सच में नया साल आ रहा है miss you hs 1/०1/2011 -1/०1/2020 यादों का नवा साल
यादों का नवा साल
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