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Jindeshna
सर्वोदयी वाणी किसी एक वक्ता को मुख्य मानना, उन्हीं को सुनना, अन्य को ना सुनना और अन्य को सुनना तो गौणपने से सुनना इत्यादि एकांत मिथ्यात्व भाव है। - भावदीपिका सर्वोदय #reading
सर्वोदय #reading
read moreLucky kunjwal ( Musafir)
जब मै उससे मिला मेरी क्लास 11 कि बात थी। वो छोटे शहर छोटे स्कूल नही, ये मेरी जिंदगी की बात थी। New admission हुआ उसका फिर बस पूरे स्कूल में उसकी बात थी। ये मेरे स्कूल, सर्वोदय इण्टर कालेज कि बात है। मै बैठता था उससे 3 लाइन दूर फिर भी वो मेरे पास थी। हम क्लास में 40 बच्चे पर सबके लिए वो खास थी। ये मेरे स्कूल सर्वोदय इण्टर कालेज कि बात थी। मै क्लास का Average बच्चा उसमें Topper's वाली बात थी। मै नही पुरा स्कूल पागल था उसमें कुछ तो खास बात थी ये मेरे स्कूल, सर्वोदय इण्टर कालेज कि बात थी ये सर्वोदय इण्टर कालेज की बात थी......।।
ये सर्वोदय इण्टर कालेज की बात थी......।।
read moreAnekanth Bahubali
नगर कितना नकली - नकली है यह नगर बिल्कुल असली -असली - सा लगता है । लोग यहाँ के बिल्कुल लोग जैसे लगते हैं और मकाने - दुकानें सब कुछ उन जैसे ही लगते हैं पर न जाने क्यों सब कुछ अजीब -अजीब -सा लगता है । यहाँ कोई कभी अपना - अपना -सा लगता है । फिर सब कुछ सपना-सपना -सा लगता है । भीड़ में घुस जाओ अगर तुम तो सब कुछ कितना अजीब - अजीब -सा लगता है । सब कुछ सपना - सपना- सा लगता है । - बाहुबली भोसगे नगर #City
नगर #City
read moreAnekanth B
नगर कितना नकली - नकली है यह नगर बिल्कुल असली -असली - सा लगता है । लोग यहाँ के बिल्कुल लोग जैसे लगते हैं और मकाने - दुकानें सब कुछ उन जैसे ही लगते हैं पर न जाने क्यों सब कुछ अजीब -अजीब -सा लगता है । यहाँ कोई कभी अपना - अपना -सा लगता है । फिर सब कुछ सपना-सपना -सा लगता है । भीड़ में घुस जाओ अगर तुम तो सब कुछ कितना अजीब - अजीब -सा लगता है । सब कुछ सपना - सपना- सा लगता है । - बाहुबली भोसगे नगर #City
नगर #City
read moreParasram Arora
मंजिल तो मुझे मिल गई किसी तरह ओर मेरा हमसफर मुझे अभी भीम मिला नहीं हैँ मंजिल पाबे का जश्न अब हम अकेले मनाये कैसे?. दोस्त की छोड़ो क्कोई दुश्मन भी तो आस पास नहीं दिख रहा अब तुम ही बताओ इस जश्न को मनाने की. दीवानगी का हम क्या करें सुख का नगर मैं केसे बसाऊ ? ©Parasram Arora सुख क़ा नगर
सुख क़ा नगर #कविता
read moreAdarshkumar
चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं फूल खिलता एक बार अंधेरी में भी रोशनी एक हो जाती है ©Adarshkumar #City कानपुर नगर
Parasram Arora
जिंदगी एक लम्बा सफऱ और मौत हमारी मंजिल है ये भी सच है कि अमृत एक ख्वाब और जिंदगी एक ज़हर है ज़िंदा हैँ हमफिर भी इस दुनिया मे किसका ये असर है इतना जहर पिलाया जिंदगी ने फिर भी ये बेअसर है कितना मुश्किल यहां पता लगाना कौन अपना कौन पराया है अपने मुझसे डरते हैँ जबकि अपनों का ही मुझ पे कहर है कितना दूर है किनारा मेरी जिंदगी क़े सफऱ का घंचक्कर की तरह घूम रहा सब तरफ भंवर ही भंवर है सब तरफ यहाँ जुल्म और रंजिश को दौर दिख रहा जिस तरफ देखिये उजड़ा हुआ नगर है ©Parasram Arora उजड़ा हुआ नगर.......
उजड़ा हुआ नगर.......
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