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SHOONYA
पत्रकारिता की लाज़ को लूटने से बचाने वाले, कलम की ताक़त का अहसास कराने वाले, हर इक मजबूर और मजदूर कि आवाज़ बनने वाले, गोदी मीडिया को आईना दिखाने वाले, आभासी वातावरण में हकीक़त बतलाने वाले, कमजोर की आवाज़ को मजबूत बनाने वाले, जो नहीं दिखे हम आपको को, वह दिखलाने वाले, मेरे और हम सबके प्रिय पत्रकार रवीश कुमार को जन्मदिन की बधाई 🎂🎂💐💐 © SHOONYA रवीश कुमार बर्थडे
md Kadir
भारत के मशहूर पत्रकार और रमन मैग्ससे पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं । ©md shayar भारत के मशहूर पत्रकार और रमन मैग्ससे पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं । #ravishkumar
Zoga Bhagsariya
आज के क्रांतिकारी , आ चुके मैदान में , करे सामना ,नहीं है , हिम्मत शैतान में । अब भी , आज़ादी के आशिक ज़िंदा हैं । पर थोड़े चुनिंदा हैं । तभी तो शर्मिंदा हैं । धर्म पर राजनीति ,करने वाले , अब नेस्तनाबूद होंगे, बड़े- बड़े , बेवजुद् होंगे । "जोगा" किसी इंसान का खून , बहा दें , हो नहीं सकता,की वो फरमान "ए"राम हो जाए , जब तक "एक हैं, हम ,इंसान ,बनकर ,।। _ किसी , भोगी, किसी गोदी, किसी सोहन - दागवत, की क्या ताक़त, की भारत ,गुलाम हो जाए । लड़ रहे हैं , कन्हैया कुमार, रवीश कुमार,ध्रुव राठी, तेज बहादुर, गांधी खानदान ,के लोग ,और भी बहोत्त आज़ादी ,2019 को, उतार रहे हैं, भोगी, गोदी ,की जुल्मी , चुन्नी को । ' जोगा कोई तो है ,जो जाग गया है , और किसी ने अभी तक , आंख भी नहीं खोली हैI ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM आज के क्रांतिकारी , आ चुके मैदान में , करे सामना ,नहीं है , हिम्मत शैतान में । अब भी , आज़ादी के आशिक ज़िंदा हैं । पर
vibrant.writer
बुद्ध की धरती से एक चिंगारी निकली है जिसे हम रवीश कुमार कहते है कुछ मूर्ख उन्हे विरोधियों का पक्षकार कहते हैं तो कुछ समझदार उन्हे जनता का पत्रकार कहते है बुद्ध की धरती से एक चिंगारी निकली है जिसे हम रवीश कुमार कहते है कुछ मूर्ख उन्हे विरोधियों का पक्षकार कहते हैं तो कुछ समझदार उन्हे जनता का
Arsh
नमस्कार! मैं रविश कुमार मुझे शर्म आती है जब...... Read Full स्टोरी in CAPTION श्री रवीश कुमार का व्यक्तित्व अब राष्ट्रीय नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। आज इनकी आवाज जनसंख्या के एक बहुत बड़े भाग को
Sachin Ratnaparkhe
एक कविता दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगे के खिलाफ नफ़रती आग का तुम मजा लीजिए अपनी आंखो में आंसू सजा लीजिए, लाशे बिछती रही और तुम सोते रहे, मुफ्त में बंट रही वो क़ज़ा लीजिए। उनसे तुम्हारी लाचारी देखी न गई, तुमसे तुम्हारी तरफदारी पूछी न गई, तुम यह वाले हो या फिर वो वाले हो, मौत देने से पूर्व जानकारी की न गई। जो सामने आया उनके वो मरते चले, इक कौम का सफ़ाया वो करते चले, तुम सोते रहो तुमको फर्क क्या, वो मारते चले ओ तुम मरते चले। उनको कभी नहीं था तुमसे कोई वास्ता, तुमने खुद ही चुना था पतन का रास्ता, तुम संपोलो को दूध पिलाते रहे मगर, मौका पाते ही पार कर दी पराकाष्ठा। तुम उनकी नज़रों में काफ़िर ही हो, तुम अलग रास्तों के मुसाफिर ही हो, वो चलते है जब ऐसे चलते है वो, जैसे लेकर तुम्हारी मौत हाज़िर हो। यह कविता व्यंगतामक है जो कुंभकरण की नींद सोते हुए एवम् अपनी दुनिया में खोए हुए हिन्दुओं के प्रति कटाक्ष करती है जिन्हे अपनी अस्तित्व की कोई
( W.T) ग्रुप अनवर अनवर हु यार
दुनिया का दूसरा सबसे अमीर आदमि भि रविश कुमार को नहि खरीद पाया 🤭🤭😅 ©अनवर अनवर हु यार रवीश हु यार #ravishkumar
Ran parmar
क्यों इतना आप मुझ पर जलते हो आपके मन को शांति जरूर मैं दिलाऊंगा जरा सब्र तो करना ही पड़ेगा क्योंकि फूल जब आते हैं तभी सभी के मन को भाते हैं मगर रुत जाने के बाद वह धीरे-धीरे झड़ जाते हैं मगर उनकी सुगंध हमेशा याद रहती है वैसे हम में चलते चलते यूं ही 1 दिन बरकरार होकर मुसाफिर बन जाएंगे।। ©Ran parmar मुसाफिर के नाते दुनिया की रवीश #OneSeason