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Vivek Kumar Singh

अस्ति‌ क्रुद्धा भवती किमर्थम्? #yqsanskrit #yqbaba #yqdidi #Vks #yqmuzaffarpur

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अस्ति क्रुद्धा भवती किमर्थम्?
किमपि न शृणोति, वदति न च।
दु:खिता मुद्रा, हसति न‌ च।
आर्द्रे नयने, रोदिति किमर्थम् ?
अस्ति क्रुद्धा भवती किमर्थम्?

कूजती चटका तूष्णीमस्ति,
विदीर्णं मम हृदयमस्ति।
अयि‌ भो! निकषा आगच्छतु,
स्वहस्तौ मम हस्तयो: यच्छतु।
दूरातिदूरं व्रजति किमर्थम्? 
अस्ति क्रुद्धा भवती किमर्थम्? अस्ति‌ क्रुद्धा भवती किमर्थम्? #yqsanskrit #yqbaba #yqdidi #vks #yqmuzaffarpur

anil.gangwar.1994000

गीत के गीत

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Kartik Pratap

आखिरी गीत #गीत

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जब रात ढले लिखना हो कोई गीत
तब मत लिखना अपने दिलदार को
लिख देना कोई नज़्म
जिसमे इंसान, इंसान ही नज़र आए
लिख देना अपनी सारी पर्तें खंगाल कर
कुछ अटरम-सटरम
बिखेर देना खुद को उस गीत में इस तरह
कि बस जैसे लिखा जा रहा हो
दुनिया का आखिरी गीत #NojotoQuote आखिरी गीत
#गीत

Krishan Sharma

#गीत गीत लिखें... #कविता

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Kalpana Mishra

नकटा गीत अवधी गीत #शायरी

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अभिषेक कुमार मिश्रा

गीत लिखूं या गीत लिखूं #Shayari

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Kandari.Ak

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Gurudeen Verma

शीर्षक - हम वह मिले तो हाथ मिलाया
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हम वह मिले तो हाथ मिलाया
 बढ़ने को आगे हाथ हिलाया।।
बात हुई पलभर के लिए।
हाय ! यह भी कोई मिलना हुआ।।
हम वह मिले तो-------------------।।

इस इंसान को क्या हो गया है।
रोग इसे ऐसा क्या हो गया है।।
दौड़ रहा है सुख पाने को।
दौलत का भूत यह हो गया है।।
रुकता नहीं करने को विश्राम।
हाय ! यह भी कोई जीना हुआ।।
हम वह मिले तो-----------------।।

बेच दिया इसने ईमान अपना।
मार दिया इसने इंसान अपना।।
छोड़ दिया है करना शर्म भी।
भूल गया यह भगवान अपना।।
लूट रहा है मुफ़लिसों को।
हाय ! यह भी कोई इंसान हुआ।।
हम वह मिले तो-----------------।।

हमसे मिलन भूल गया वह कल का।
हमसे वादा भूल गया वह कल का।।
झूठा है उसका प्यार और रिश्ता।
हमसे प्यार भूल गया वह कल का।।
उसके लिए अजनबी है अब हम।
हाय ! यह भी कोई साथी हुआ।।
हम वह मिले तो------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीत

Gurudeen Verma

शीर्षक - करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में 
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करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में ।
तो पहले हमसे रिश्ता तुम नहीं करते।।
नहीं खेलते यदि तुम मेरे दिल से।
तो हम शिकायत तुमसे नहीं करते।।
करना था यदि ऐसा --------------------।।

देखी नहीं क्यों मुफलिसी मेरी पहले।
मेरे करम और मेरी बस्ती।।
अच्छा नजर क्या आया था मुझमें।
देखी नहीं क्यों पहले मेरी हस्ती।।
सौदा अगर तुम्हें करना था रिश्ते में।
तो तुम मुलाक़ात हमसे नहीं करते।।
करना था यदि ऐसा ----------------------।।

छुपाकर रखी क्यों तुमने दिल की बात।
बताये नहीं क्यों शौक हमको अपने।।
समझा क्यों पहले तुमने हमको साथी।
बताये नहीं क्यों सपनें हमको अपने ।।
बता देते यदि पहले हमें राज़ दिल का।
तो हम गुजारिश तुमसे नहीं करते।।
करना था यदि ऐसा ----------------------।।

हम इस महफ़िल में लोगों से कहे क्या।
तारीफ़ करें या कहें बेवफा तुमको।।
पिला दिया तुमने तो हमें विष का प्याला।
करें पेश तोहफा, यहाँ क्या तुमको।।
करते नहीं यदि खून मेरे दिल का।
तो हम बुराई तेरी यहाँ नहीं करते।।
करना था यदि ऐसा ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान )

©Gurudeen Verma #गीत

Dr.Shailendra sargam

सावन मास भिजेला मोरा साड़ी
बलम बा अनाड़ी ए हरि ।
बलम बा अनाड़ी ए हरि -२
देहिया भइल जात बाटे अब भारी
बलम बा अनाड़ी ए हरि ।।

पिपरा के पतिया प चिठ्ठिया लिखवनी रामा 
अपना बलम जी के घरवा बोलवनी रामा 
पतिया बांचतs दिहले ओहके फारी 
बलम बा अनाड़ी ए हरि।/३
सावन मास भिजेला मोरा साड़ी
बलम बा अनाड़ी ए हरि।।१।।

ताना मारे ननदी गोतीनिया के बानी रामा
देखीं रउआ धई लिहीं गाड़ी राजधानी रामा
आमा जी दे ली हs फजीरे दुगो गारी 
बलम बा अनाड़ी ए हरि।/३
सावन मास भिजेला मोरा साड़ी
बलम बा अनाड़ी ए हरि।।२।।

सरगम शैलेन्दर काहें निर्मोही भइल रामा
कवनो सवतिया प लागता लोभइल रामा 
आव ना त परती रही खेती बारी 
बलम बा अनाड़ी ए हरि।/३
सावन मास भिजेला मोरा साड़ी
बलम बा अनाड़ी ए हरि।।३।।

शैलेंद्र सरगम

©Dr.Shailendra sargam #गीत
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