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New ज़ार अलेक्जेंडर 2 के सुधारों Quotes, Status, Photo, Video

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Sneh Prem Chand

ज़ार ज़ार #Yourstory

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आत्म अवलोकन,आत्म निरीक्षण, 
आत्म मंथन,आत्म सुधार।
गर कर लिया होता समय पर,
रूह यूं न होती फिर ज़ार ज़ार।।

©Sneh Prem Chand ज़ार ज़ार
#Yourstory

Saransh Kashyap

अभी तो दिल ज़ार ज़ार होगा. ©सारांश

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Prince

यादों के भंवर में आज फिर ज़ार ज़ार रोया दिल #first_post #navodayan #rain #yaadein #raindrops

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ये बेवक्त की बारिशें
रुला जाती हैं
किसी के
यादों के भंवर में

©Prince यादों के भंवर में आज फिर ज़ार ज़ार रोया दिल
#first_post #navodayan 
#rain #yaadein 
#raindrops

ashish kumar

सुधारों की बात करते है। #शायरी

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Manish

तेरे इश्क में हम ज़ार ज़ार हो गए.... #Shayari

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Ankit waghela

#harshtruth वक्षस्थल - स्तन ज़ार ज़ार - बहुत ज़्यादा तार तार - छिन्न भिन्न

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वक्षस्थल पे जमी...वहेशी निगाहें,ज़ार ज़ार हो गई 
पल्लू से छुपा रखी थी इज्जत...लो तार तार हो गई! #HarshTruth
वक्षस्थल - स्तन
ज़ार ज़ार - बहुत ज़्यादा
तार तार - छिन्न भिन्न

Ek villain

# चुनाव सुधारों को गति देने का समय #apart #Society

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जब भी चुनाव आते हैं चुनाव सुधारों की मांग भी तेजी हो जाती है से मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए पिछले दिनों केंद्र सरकार में चुनाव सुधार की दिशा में निर्णय पहल करते हुए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ना पंचायतों निकाय चुनाव को विधानसभा और लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची को एक करना और नए मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में 1 वर्ष से कई बार शामिल करना संबंधित निर्णय लिया है यह सुधार आवश्यक थे लेकिन इसके साथ ही अन्य सुधार भी अपेक्षित है भारत में अनेक लोग वह का नाम जन नाम एकाधिक जगह पर मतदाता सूची में इस्तेमाल होता है सेना सिर्फ एक व्यक्ति का मतदाता सर्वजनिक प्रधान का उल्लेख होता है बल्कि वास्तविक जन देश का भी हरण हो जाता है इस मतदाता का सही प्रतिशत पता करना भी मुश्किल होता है चुनाव आयोग इस समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से प्रत्याशी था लेकिन अधिक सफलता मिल रही है तब मतदाता पहचान पत्र के आधार कार्ड से जुड़कर फर्जी मतदाताओं का उन्मूलन किया जा सकेगा न्याय पंचायत निकाय चुनाव और विधानसभा लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची को एक करना है उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में पंचायत चुनाव और विधानसभा लोकसभा चुनाव में अलग-अलग मतदाता सूचियों का प्रयोग किया जाता है पंचायत निकाय चुनाव की मतदाता सूची का निर्माण संबंधित राज्य निर्वाचन आयोग करता है जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची का निर्माण केंद्र निर्वाचन आयोग करता है

©Ek villain # चुनाव सुधारों को गति देने का समय

#apart

Ek villain

#सुगम बने आर्थिक सुधारों की राह #selfhate #Society

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यह सही है कि स्वाधीनता के बाद से निरंतर देश का आर्थिक विकास हुआ है परंतु इस गति की अपेक्षाकृत कम रही है वैसे तो पिछली सदी के अंतिम दशक में अर्थव्यवस्था के मार्च में परिवर्तनकारी सुधार का व्यापक प्रयास किया गया था जिसे बेहतर नतीजे भी सामने आए बाद के सुधारकों ने अनुकूल परिस्थितियों का फायदा उठाया और वह सभी समान रूप से प्रभावशाली थे हालांकि उन देशों के एक बड़े हिस्से की उपभोक्ता वर्ग में ला खड़ा किया और अधिकांश को गरीब के जाल से बाहर निकाल देगा लेकिन किसी क्षेत्र को विशेष के उदार बनाने का अर्थ संबंधित नीतियों के गिरेबान में सुधार करना और व्यवसाय संघ के कारकों को तैयार करना भी कई बार अलग-अलग आगे बढ़ता है और बहुत ही विविध परिणामों के साथ आसमान गति को दर्शाता है एक संबंधी अध्ययन में समय के महत्व और सुधारों के क्रम में प्रकाश डाला गया है इससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास पर अल्पसंख्यकों के बीच में अंतर है ऐसे ही समझा जा सकता है कि आज टेलीकॉम का मतलब एक कॉल से कहीं अधिक है सूचना प्रौद्योगिकी तरह कोडिंग नहीं कर रही ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों का अर्थ होगा कि जीवाश्म ईंधन से आगे जाना और शोर नवीकरण ऊर्जा और अन्य हरित ऊर्जा को शामिल करना शिक्षा और श्रम सुधारों को से पहले कई अधिक गतिशील है बीमा क्षेत्र में सुधार व्यवस्था के आसपास और श्रम कौशल और भूमिका में सुधार निर्माण के आसपास केंद्रित है ऐसे में नीति निर्माताओं को विशेष रूप से सामाजिक सुधारों के लिए उनसे होने वाले अपेक्षा प्रभाव की समीक्षा करने की जरूरत है आर्थिक समृद्धि के लिए संवाद सर्वोपरि है विशेष रूप से अत्यधिक प्रतिस्पर्धी संध्या के भीतर जहां राजनीतिक रूप से यह काम हो चारों में उसका एक उदाहरण बीते दिनों उस समय सामने आया जब बीते वर्ष की निरंतर की वर्तमान केंद्र सरकार से उन लोगों को साझा करने में विफल हो रहे जिनका निर्माण करने के लिए किया गया था

©Ek villain #सुगम बने आर्थिक सुधारों की राह

#selfhate

Rana Hijab

"इधर खाक़ नहीं हुई जुस्तजू मेरी, उधर ख़ुशफ़हमी है कि ज़ार- ज़ार हूं"... #शायरी

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तुम कौन? मोहब्बत क्या? सबसे बेज़ार हूं                                                                            मैं ज़ख़्मी टूटा हुआ ऐतबार हूं!                                                                                  आवाज़ें चुभती हैं  मुसलसल अब                                                                                     मैं ख़ामोश बेबस और लाचार हूं                                                                                     फक़त मोहब्बत का ही नहीं रंज मुझे,                                                                                 यूं तो मैं आलम के हर शख़्स से ख्वार  हूं                                                                            इधर खाक़ नहीं हुई जुस्तजू मेरी,                                                                                   उधर ख़ुशफ़हमी है कि ज़ार-ज़ार  हूं                                                                                         बची इक  चिंगारी से आग सुलग जाती है,                                                                           मैं खाक़ में दबी चिंगारी से दहका हुआ अंगार हूं                                                                बेज़ुबां क्यों हासिल-ए-रुसवाई हैं,                                                                                        यूंं तो मैं इंसानियत से शर्मसार हूं                                                                                     ख़ुदा गवाह है तो ज़मीं पर शिकवे जायज़ नहीं,                                                              हिसाब सब रखती हूं,  न रंजिश हूं न पलटवार हूं!                                                             बुग्स हैं दिलों में, चेहरे सब मुखौटों में,                                                                              इक मैं हूं कि पानी की तरह आर-पार हूं                                                                      इबादत-ुए-ख़ुदा में मशगूल हुआ जो कहता है बस कि                                                           ना मुझे किसी से मोहब्बत ना मैं  किसी का प्यार हूं                                                               कल गरज़ थी तो अज़ीज़ थी  "राना"                                                                              आज बेगरज़ हुए तो बेकार हूं... "इधर खाक़ नहीं हुई जुस्तजू मेरी, उधर ख़ुशफ़हमी है कि ज़ार- ज़ार हूं"...

Lawyer Bhati

एक मजदूर भरे शहर में रोया ज़ार ज़ार #lawyerbhati #majdoor #Twowords #vacation #शायरी

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तेरे शहर आया था कुछ कमाई ख़ातिर 
की छीन ले गये उसको भी कुछ शातिर
किस मुँह से जाऊँ गांव बता ए शहर
तेरे शहर का ही दे दे मुझे कोई जहर
मेरे भूखे बच्चे कर रहे मेरा इन्तज़ार 
!! एक मजदूर भरे शहर में रोया ज़ार ज़ार !!

©Lawyer Bhati एक मजदूर भरे शहर में रोया ज़ार ज़ार #Nojoto #lawyerbhati #majdoor #Twowords 

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