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Pradyumn awsthi
इस दुनिया मैं जो इंसान नर्म और निर्मल स्वाभाव वाला होता है वही दुनिया में अधिक समय तक रह सकता है लेकिन जो इंसान कठोर और कड़क स्वाभाव वाला होता है वह कम समय तक ही दुनिया मैं रह पाता है इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे मुंह में जीभ और दांत से समझ लीजिए जीभ नर्म होती है लेकिन दांत कड़क और कठोर होते हैं इसलिए दांत पहले ही मुंह में से गिर जाते हैं ©"pradyuman awasthi" #निर्मलता
Pradyumn awsthi
तन को निर्मल सब करें, मन को निर्मल करें ना कोई । जो मन को निर्मल करें, तो दुःख काहे को होए ©pradyuman awasthi #निर्मलता #lily
Akash Chaudhary
प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते जो कभी वृक्ष के वक्ष से कलाएं करते थे, कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर गुजरी, मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया उनके पैरों के निशान, क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको परिभाषित करो, क्या नहीं बताना चाहते मुझे अपने प्रेम के विषय में, तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं, तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद आयी होगी, चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं जब चाहना तब दास्तां सुनाना......, तुम्हारा मौन समझता हूं मैं, तुम बता रहे हो शायद मुझे प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता वो होता है बस ,बस होता है।। ©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
Ajay Daanav
हृदय से उपजे विचार हो तुम शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम करती हुई झंकृत मन-वीणा सातों सुरों की झनकार हो तुम हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी कविता का मेरी सार हो तुम हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
Shashank मणि Yadava "सनम"
भले बड़े बन जाओ यारों, लेकिन माँ को याद रखो।। मंदिर जाने से बेहतर है, माँ को अपने पास रखो।। माँ के प्यार, दुआ से बढ़कर, न कोई भगवान है।। जिसने माँ को मान दिया, वो सबसे सुखी इंसान है।। प्रभु पूजा की ख्वाहिश यारों, जब भी मन में लाता हूँ।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर मस्जिद न जाता हूँ।। अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank मणि Yadava "सनम" #Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ
Prashant Tiwari
जैसे कोई बूंद गगन से, वसुन्धरा पर गिरती है। स्वच्छ और निर्मल होकर वह, चांदी जैसी चमकती है।। यदि वह बूंद गिरे कीचड़ में, उसमे ही मिल जाती है। वही बूंद यदि गिरे कमल पर मोहकता को बढ़ाती है।। आत्मा की निर्मलता Nojoto Nojoto News Nojoto Hindi
Saurav Das
मेरे साथ मुस्कुराते हुए अपने गम को छूपा लेती है, दूसरों की नज़र न लगे,अपने आचल में छूपा लेती है! हमेशा जीत माँ की हुई है हर परिस्थिति से लड़ने में! लाखों,करोड़ो शब्द कम पड़ जाएंगे, माँ को परिभाषित करने में!! ©Saurav Das #शब्द #कम #है #माँ #को #परिभाषित #करने_में #माँ_दिवस्_की_हर्दिक
Saurav Das
एक दाग है जो सिने में छूपाया है! ये सराहना देने कौन आया है? जिसे मालूम नहीं संघर्ष का मतलब! वो ज़िन्दगी को परिभाषित करने आया है!! ©Saurav Das #ज़िन्दगी #परिभाषित #Light
Shashank मणि Yadava "सनम"
चलते-चलते राहों में जब, मन विह्वल जो जाता है दिल की परिधि में प्रेम का यूँ, नीरज नीरस हो जाता है।। मन की बेचैनी, मेरे मन में, व्याकुलता भर जाती है न जाने क्यों रातों में जब, नींद न अक्सर आती है।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर-मस्जिद न जाता हूँ अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank Yadav माँ के अस्तित्व को परिभाषित करती हुई कविता,,, dedicated to all mothers