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Stories related to पितरौ अर्थात

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Pushpvritiya

श्रेयस्कर अर्थात मंगलकारी

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Parasram Arora

संयुक्तता.... अर्थात परमात्मा

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सुदूर   घाटी  मे एक वृक्ष का 
एक पत्ता भी  हिलता हैँ 
तो चाँद तारे भी  हिलते  हैँ 
एक  नन्ही सी  घास की पती  भी 
सूरज  की किरणों  से जुडी हैँ 
एक  कोमल  सी  कली भी  जब 
लहर  का  स्पर्श  पाती   हैँ 
अनंत   दूरी पर   आकाश मे खडे  तारे भी 
प्रसन्नता  से  खिल  जाते हैँ 
सब कुछ  सयुंक्त  हैँ 
और  इस   संयुक्तता   का  नाम  परमात्मा हैँ संयुक्तता.... अर्थात  परमात्मा

कवी दिपक सोनवणे

नवीन अर्थात मी

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मार्ग जर निराळा निवडला असेल तर 
विचार सुद्धा निराळेच असतात
कुठे फसतात तर कुठे
जोमाने उभे राहतात नवीन अर्थात मी

Bãbå @kãsh.Pãthåk.

माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है। पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः।

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हमें क्या फर्क पड़ता है, माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है।

पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः। माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है।

पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः।

Pushpvritiya

ढेऊ..अर्थात.. लहरें #SunSet #ज़िन्दगी

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कभी कभी कल्पनाओं के ढेऊ संग हो आती हूं दूर तक.........
                   बहुत दूर तक........

जहां ढह जाते हैं कई यथार्थ....
     झांकती है रिक्तता निर्माणों से.......

 एक शून्य विचरता होता है 
                                  गढ़न के कई विकल्प लिए............

चुन लेती हूं 
         कुछ निष्कर्ष और उनकी संभावनाएं.......

लौटती हूं उसी यथार्थ पर पुन: 
                 एक नूतन यथार्थ धारण किए.................

@पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya ढेऊ..अर्थात.. लहरें

#SunSet

Pushpvritiya

विधेय अर्थात कर्तव्य #Searching #विचार

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मैं कभी पथविहीन नहीं होती 
हां....भावविहीन अवश्य हो जाती हूं....

 यात्रा.......
         केवल गमन से गंतव्य तक 
         भाव रहित विधेय
                     मनन से मंतव्य तक...

कहते हैं.....
भाव विहीन कर्म निष्फल जाते हैं
      आश्चर्य.....
               कर्म में फल की अपेक्षा का योग भी पाते हैं.....

मेरे अनुसार तो नहीं......
           खैर....
               यूं रिक्त हो विधेय दिशानिर्देश अवश्य दे पाऊंगी.....
                     हां... अंत परिणत शिला हो जाऊंगी....

   संतापित मन भुरभुरा रह जाएगा
             स्पर्श मात्र जो ढह जाएगा.....

कहेगा.... एक और कर्म रिक्त हो एक और बार कर।                               
      स्वकर्म यज्ञ पूर्णाहुति में मेरा अंतिम संस्कार कर.........      

@पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya विधेय अर्थात कर्तव्य

#Searching

Pushpvritiya

कुछ यूं ही सा.... हिय...अर्थात हृदय मौली अर्थात विशेष प्रकार का धागा वटबियाही अर्थात बरगद का विवाहित पेड़ #कविता

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निरखत छवि रजनीभर पिया,    
               "हिय" लागी....नयन रतजगा आई रे...........

                                 नेह मौली लिए इक तेरे नाम की,
                                              "वटबियाही" के तन पर लगा आई रे.........

                                             @पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya कुछ यूं ही सा....
हिय...अर्थात हृदय
मौली अर्थात विशेष प्रकार का धागा
वटबियाही अर्थात बरगद का विवाहित पेड़

Pushpvritiya

प्रेम अर्थात तुम केवल तुम #कविता

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Adarsh Sahare

अर्थात जो बोओगे वहीं पाओगे

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किसी कहा "अपने मनोवृत्ति, व्यवहार, प्रकृति, आचरन को एक वाक्य में बताओ "

मैंने भी पूर्ण शक्ति में कहा "मेरे सामने का शख्स जैसा मैं वैसा " ☺️☺️ अर्थात जो बोओगे वहीं पाओगे

अशेष_शून्य

पोस्ट - अल्पकालिक अर्थात टेंपररी 🤐

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पेंसिल से पेन तक का सफ़र सीखता है कि उम्र की हर कक्षा में गलतियां मिटाने का अवसर हर बार नहीं मिलता ।

बार बार मिटाकर लिखने से पन्ने सिकुड़ जाते हैं
और सिकुड़ी हुई रेखाओं में लिखा हुआ सही शब्द भी धुंधला जाता है ।

इसलिए समय रहते हमें पेन, पैर, जुबान और दिमाग सही दिशा और दशा में पूरी मजबूती से रखना सीखना होता है ।।

ताकि हमारा चरित्र कभी लड़खड़ाए न और ना कभी हमारा अस्तित्व धुंधलाए ।
क्यूंकि ये दो ऐसे सच हैं जिन्हें मिटाकर फिर से कभी नहीं लिखा जा सकता।

~© अंजली राय पोस्ट - अल्पकालिक अर्थात टेंपररी 🤐
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