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Chanchal Hriday Pathak
आया वो दिन और घड़ी वो भी आई तू मुझसे बिछड़कर हुई अब पराई।। चहकने लगा था आंगन भी तबसे, आई तू मेरी इस बगिया में जबसे। सींचा तुझे मैंने स्नेह के जल से, बोझिल ना होने दी तेरी पलकें। ममता की खुशबू से हरदिन नहाई।। तू मुझसे बिछड़कर............... हुआ दर्द तो एक माता बनी तू, आई विपत्ति तो भ्राता बनी तू। झुकने लगे बोझ से मेरे कंधे, उस वक्त मेरी विधाता बनी तू। रिश्ते सभी तूने अच्छी निभाई।। तू मुझसे बिछड़कर............... प्रभु जी उसे हर बला से बचाना, उसे नित बुलंदी तक लेके जाना। अर्जी है इतनी बस एक पिता की उसको कभी भी ना ठोकर लगाना। जीवन में आए न कोई कठिनाई।। तू मुझसे बिछड़कर.................. ©Chanchal Hriday Pathak #आया_वो_दिन_और_घड़ी_वो_भी_आई
abhay
तकरार कि बात भी बड़े अदब और सलीखे से कह गया... आया था मेरे शहर एक शायर आज जबा पर शहद लगा कर ... बात कड़वी पर सच्ची कह गया.. ****** अभय #आया_था
सतीश तिवारी 'सरस'
आठ सपोर्टर साथ हैं,गिफ्ट्स हैं बस छब्बीस। गिफ्ट और जो दे सके,आया नहीं रईस।। आया नहीं रईस,मान कविता को दे जो। माँ लक्ष्मी से अर्ज,सपोर्टर ऐसे भेजो।। कह सतीश कविराय,बना मैं अभी रिपोर्टर। गिफ्ट्स हैं बस छब्बीस,साथ हैं आठ सपोर्टर।। ©सतीश तिवारी 'सरस' #आया_नहीं_रईस
MANU ASHQ
ऐ शाम जरा जल्दी ढलना, ये तुझसे फरीयाद है मेरी, चाँद की रोशनी में, आज उनसे मुलाकात हैं मेरी ।। ✍️✍️✍️✍️ मनु कि कलम से #मेरामहबूब#आयाहै
Colours Of Politics
Richa Mishra
इस चकाचौंध की दुनियां ने कर दिया मनुष्य को इतना भयभीत ___ धारण कर लिया उसने उपभोक्ता संस्कृति को निरंतर चलता हैं ..... उसे के मार्गदर्शन में हो जाता हैं स्वयं से दूर निर्मित हो जाता बहुआयामी से एक आयामी मानव की संकल्पना । # एक आयामी मानव
Tarakeshwar Dubey
आयातित रक्तबीज """"""""""""''''"""""""""" किसी के दिल को बहकाई, इटाली महफिल की खुशबू, कोई बहलाता दिल जाकर, लंदन, पेरिस, सिंगापुर। किसी को लगी कोट फिकी, गुलाबी फूल न होने से, कोई रगड़ा सिर अपना, लेडी माउंट के कदमों में। भारत भूमि को अपना कह, राज यहां करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। डोलने लगा सिंहासन जब, इमर्जेंसी वह दे मारी, बंगलादेश की आजादी में, वीरों की आहुति दे डाली। कायरता की निशानी है, अक्साई चिन की धरती, पूछ रही है वह अब भी, दिलाओगे कब मुझे मुक्ति। वहसी खानदान आज भी, जमीर बेचा करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। हो बोफोर्स का घोटाला, कभी कोयला, कभी चारा, कामनवेल्थ गेम्स को भी, स्पेक्ट्रम संग धो डाला। पहन लेता कभी जनेऊ, कभी टोपी, कभी खंजर, कभी गले में क्रास डाले, बकता रहता अटर पटर। कभी किसानों की रग में, काला जहर घोलता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। है खानदानी भ्रष्टाचारी, जिसका उज्जड जीजाजी, गरीबदास की बनी मसीहा, उसकी प्रियतम दीदीश्री। अमर जवानों के रक्त से, रंग दी घाटी की माटी, तीन सौ सत्तर के हटने से, फटती है उसकी छाती। बात-बात में समर्थन हित, विदेशों में बिचरता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। जो दीवाली में दीप जलाई, सियाचिन में प्रधान सेवक, तीनों सेनाएं संग मिली तो, हुए बली राष्ट्र रक्षक। टुकड़े गैंग, पत्थरबाजों की, तानाशाही छुड़वाई, रहा पाकिस्तान चाहें चीन, सबकी नानी याद दिलाई। राष्ट्रभक्त सेवादारों को, चोर कह शोर करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। तीन तलाक हटा जिसने, नारी का सम्मान किया, घाटी को आजाद करा, माटी को नव मान दिया। नारियों को हज करने की, मुक्त हक जो दे डाली, तब से मक्का गमन की, तैयारी में है राजकुमारी। राजकुँवर का आंगन सुना, पर सपने में रहता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। कोई समझता भारत को, अपने वंश की जागीरदारी, येन केन प्रकारेण बस में, रखने की लगा ली बिमारी। लोकतान्त्रीक भारत को, अपनी खेती समझता है, जैसा बोए, जो भी काटे, किसी की न कोई महत्ता है। राष्ट्र प्रहरियों की छाया से, वो घबड़ाया रहता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। आयातित रक्तबीज को भारत, माता कैसे लग सकती है? कैसे लगे श्रीराम अपने? सती कैसे जंच सकती है? देश प्रेमियों की भक्ति को, अंधभक्ति कह चिढ़ाता है, धर्म मार्गियों की जमात से, हरदम वह कतराता है। असूर शक्ति का स्वामी वह, द्रोहियों का पोषणकर्त्ता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। ©Tarakeshwar Dubey आयातित रक्तबीज #creativeminds