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Himanshu Prajapati
White साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल दिया..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल
#love_shayari साल का साल बदल गया मै खुद इतने साल का हो गया, तुम्हें पड़ी है अभी भी इस नये साल की, साला ये साल ने कितनों को हर साल बदल
read moreVinod Mishra
नवनीत ठाकुर
White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
read moreनवनीत ठाकुर
White जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेरे सवालों का जवाब देंगे वक्त से, आज नहीं तो कल तुझे दिखाएंगे। हमारे ख्वाब और इरादे इतने बुलंद, कि हर सितारे को छूकर आएंगे। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेर
#नवनीतठाकुर जहाँ थम गई है ये दुनिया सारी, हम वहाँ से एक नया सफर बनाएंगे। खुदा के करम से ऐसी उड़ान होगी, आसमां के पार निशां छोड़ आएंगे। तेर
read moreShashi Bhushan Mishra
बस इतने में हांफ रहे हो, डर से थर-थर कांप रहे हो, मारे जाओगे एक दिन सब, आस्तीन के सांप रहे हो, रंग बदलने में तुम माहिर, गिरगिट के भी बाप रहे हो, सिर्फ़ सियासत धर्म-कर्म है, फूंक दिया घर ताप रहे हो, पोल खुली तो बिल में दुबके, तुम कब रस्ता नाप रहे हो, पढ़े-लिखे भी बैल बुद्धि ही, लगते झोलाछाप रहे हो, भूंक रहे अपनी गलियों से, कभी तो लल्लन टाप रहे हो, 'गुंजन' घड़ा फूटना तय था, अबतक भरते पाप रहे हो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #बस इतने में#
#बस इतने में#
read moreVijayjay Vijayjay
आज कल लोग इतने व्यस्त रहते हैं... मुझे तो लगता है, अगर किसी को कोई फोन करना हो, तो उन्हें एक 'शेड्यूल' भेजना पड़ता है!" ©Vijayjay Vijayjay आज कल लोग इतने व्यस्त रहते हैं... मुझ 'कॉमेडी जोक्स' हिंदी कॉमेडी
आज कल लोग इतने व्यस्त रहते हैं... मुझ 'कॉमेडी जोक्स' हिंदी कॉमेडी
read moreAnuradha T Gautam 6280
#जख्मों_पर_नमक जख्मों पर नमक इतने लगें जो बर्दाश्त के बाहर कैसे लूं मैं नाम उसका वो यादस्त से बाहर..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ ०२/१२/२४
read moreneelu
White इतना पहरा है तो फिर सुरक्षित कौन है और इतने असुरक्षित है तो पहरा क्यों है ©neelu #sad_quotes #इतना #पहरा है तो फिर #सुरक्षित कौन है और इतने #असुरक्षित है तो #पहरा क्यों है
#sad_quotes #इतना #पहरा है तो फिर #सुरक्षित कौन है और इतने #असुरक्षित है तो #पहरा क्यों है
read moreusFAUJI
रिश्ते कच्चे धागे की डोर है ज़्यादा खिंचोगे तो टूट जाएंगी। अब ना रहा वो वक्त की रिश्तों के बोझ को जीवन भर ढोते रहों।🤔 ©usFAUJI क्या रिश्ते इतने बोझिल हों रहें जों बढ़ती उम्र में छुटकारा पाना चाह रहें हैं। 🤔🤔 #रिश्ते #Relationships #Nojoto #usfauji
क्या रिश्ते इतने बोझिल हों रहें जों बढ़ती उम्र में छुटकारा पाना चाह रहें हैं। 🤔🤔 #रिश्ते #Relationships #usfauji
read moregudiya
Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya #NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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