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Arpit Mishra
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे! सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे! संसार देखे अब हमारे शत्रु रन में मृत पड़े! करते हुए यह घोषणा हो गए उठकर खड़े!! । ©Arpit Mishra गुप्त
Arpit Mishra
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा, मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा । मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ, प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ ? अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही, साक्षी रहे सुन ये बचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही । सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वधकरूँ, तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ । - मैथलीशरण गुप्त ©Arpit Mishra मैथलीशरण गुप्त
Arpit Mishra
हां , लेखनी ह्रदय पत्र पर लिखनी तुझे है यह कथा , दृगकालिमा में डूबकर तैयार होकर सर्वथा। स्वच्छंदता से कर तुझे करने पड़े प्रस्ताव जो , जाग जाए तेरी नोक से सो चुके है भाव जो ।। । ©Arpit Mishra #standout गुप्त
Krishna Rathod
Secret door वह सच में एक अद्भुत चीज है देख जिसे रूह तडपने लगती है खोलो उसे तों नशा सा कर देता है और ना खोलो तों अधुरा सा लगता है वही है शायद जिसे देखे बिना मौत नही और जिसे कोई देख नही सकता मतलब की हात लगाओ तों पाणी है और पास जाओ तों कुछ भी नही शायद इसी वजह से आज कुछ अधुरा सा लग रहा है शायद ओ चीज मुझे ढूंढनी होगी गुप्त दरवाजा
Thanos
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से, मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ 👉मैथिलीशरण गुप्त मैथिलीशरण गुप्त
Unknown
अन्नपूर्णा माई के भंडारा अपरंपार हौ अन्नपूर्णा माई के महिमा अनंत अगार हौ भगतन के भीड़ लागै माई के दरबार हौ नरियर चुनरिया के भेंट माई के स्वीकार हौ माथै मुकुट सोहै जड़ल रतनवाँ सिंगार हौ माई के चमकत दमकत अद्भुत लिलार हौ कासी में केहु भुखल ना रहेला अस करार हौ भोलेबाबा नगरी कासी के लीला अपार हौ बाबा बिसनाथ माई अन्नपूर्णा के दरबार हौ कासी में गुप्त नवरात्रि आसीस बेसुमार हौ गुप्त नवरात्रि वदंन