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HintsOfHeart.
#क्षर्णिकाएँ ......... सबसे बड़ी समस्या भी सुलझ सकती थी जब वह छोटी थी ***** ऊँचाईयों पर हम उन्हे छोटे दिखायी देते हैं जिनमे उड़ने की क़ाबिलियत नहीं होती ©HintsOfHeart #क्षणिकाएँ
Sarita Shreyasi
6. क्षण भर मलीन हुआ भी तो, औरों के मैल धुलाने में, प्रकृति अपनी तजता नहीं, हलचल आने जाने में। 7. करता है स्वयं को स्थिर, पारदर्शी पुनः हो जाता है, संचय लिए चलता संग नहीं, तल में छोड़ आगे बढ़ जाता है। 8. हो दुर्गम वन या दुष्कर गिरिवर, पथ में कहीं कोई पड़ाव नहीं, अवरोधों को मार्ग बनाकर, अनवरत ही बढ़ता जाता है। #क्षणिकाएँ #जल #
Sarita Shreyasi
4. हो उष्म, विकार हरे तन का, पाचन प्रक्षालन परिशुद्ध करे, शोषित कर ताप हरे सबका, संगति से अपनी शुद्ध करे। 5. नहीं अपना कोई रंग धरे, जो झांके उसकी छवि दिखे, निज धवलता के मूल्य पर, औरों को परिष्कृत कर जाए। #क्षणिकाएँ #जल#
Sarita Shreyasi
1. जल ही जीवन यह सर्वविदित, जग और मानवता के निमित्त, यह मन जलमय हो जाए, जीवन निर्मल हो जाए। 2. जल हो ठंडा या हो गर्म, देता आग बुझाये, गर्मी में शीतल करे, बंजड़ में प्राण भर जाए। 3. आतप भूमि की कोख को, जीवन सिंचित कर जाए, मुरझाते जनजीवन को, पुनः जीवित कर जाए। #क्षणिकाएँ #जल #
Author kunal
क्षणिकाएँ अकारण नहीं लिखता कुछ भी टूटा मैं भी रेत के टीले पे खड़ा था जाने कौन सा जुनून चढ़ा था मिलना नहीं लिखा था जो उसकी चाहत में पागल सा मचला था आया तूफ़ान तेज वेग का दफना गया उसी रेत में अस्थि ख़्वाब का कितना संवेदना जगा था पूरे बदन में आज लिखते लिखते लिख गया हज़ार कविता अतिसंवेदनशील में #क्षणिकाएँ #मेरेएहसास #कामिल_कवि #कुनाल #yqdidi #yqbaba #kunu
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read moreAwanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
कविता कविता
read moreKishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #