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SB Shivam Mishra
इज़हार हाल क्या है दिल का है इज़हार से रौशन होगा यानि किरदार तो किरदार से रौशन होगा रात दिन आप चिरागों को जलाते क्यों हैं घर चरागों से नहीं प्यार से रौशन होगा 📝 शबीना अदीब ©SB Shivam Mishra 📝 शबीना अदीब #dilkibaat
Mehfil-e-Mohabbat
तुम जहाँ हो मैं वहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं मैं अकेले कुछ नहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ शबीना अदीब ♥️✍️
Abu
जो खानदानी रईस हैं, वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना... तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई नई है। शबीना अदीब
Shaurya chauhan
खामोश लव हैं,झुकी हैं पलकें,दिलों में उल्फत नई नई है अभी तकल्लुफ है गुफ्तगू मैं अभी मुहोब्बत नई नई है अभी ना आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूँ मिलेगा, अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई नई है💓💓💓 #FirstLove,शबीना अदीब
hayaat
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत रंगत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ा रखते हैं नरम अपना तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई- नई है ©hayaat शायरा शबीना अदीब की खूबसूरत ग़ज़ल.....✨❤️ #Flower
Rudra Pratap Singh
मुझे बयाँ कर गया, चंद लफ़्ज़ों में, वो अफसाना अजीब था। किरदार भी मैं ही उसका, और मैं ही कम्बख्त, अदीब था। -रूद्र प्रताप सिंह (Plz Refer To Caption For Meaning) अफ़साना*: कहानी अदीब*: लेखक
Raj Shekhar Kumar
जलने लगे हैं,हबीब अब मिलते हैं मुझसे,रकीब अब दिल में बद्दुआ,हाथ सर पर हबीब बन गए हैं,अदीब अब अपनों का साथ,किस्सों की बात खुदा लिखता नहीं,ऐसा नसीब अब देखते हैं कहाँ,तक ले जाएंगे हमारे कंधे हैं,तहजीब अब *हबीब-दोस्त,प्रिय *अदीब-कलाकार
DINESH SHARMA
चहरा हसीन था भले फितरत अजीब थी जिस से निगाह मिल गयी उसके करीब थी हम शे'र लिख के भेजते थे इश्क़ में उसे नुक्ते लगा के भेजती लड़की अदीब थी बेरोजगार हो भले जीता रहे सुहाग इद्दत के बाद बिक गयी औरत गरीब थी मैं रोज सोचता था हुआ माज़ी में क्या गलत माज़ी ने आज ये कहा तू बदनसीब थी कर दी विदाई जो दिया आया था उसके साथ बेटी के भाग से मिला वो खुशनसीब थी ©DINESH SHARMA #इद्दत #औरत #इश्क़ #अदीब #WallPot