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Saurabh Kumar
जिन्हें भी माना जीवन में खास वही दे जाते अक्सर सीने में धात ! #life #quotes #nojoto #धात #खास
Sangeeta Patidar
जी लेती हूँ आज, थाम कर उसका हाथ, पता नहीं कल यही साथ, हाथ बदल ले। पल-पल बदलता रहता चेहरा वक़्त का, पता नहीं कल यही वक़्त,बात बदल ले। रोने-बिलखने से कुछ नहीं होगा 'औरत', मातम मनाने से पहचानेगा न सगा सूरत, देख आज औक़ात बँधे रिश्ता तख़्त का, पता नहीं कल यही तख़्त,धात बदल ले। चुनूँ सुकून, यह सब तो चलता ही रहेगा, कौन-किसका रहा,ये तो ख़ल्ता ही रहेगा, अपनों से ज़्यादा माँगते हिस्सा रख़्त का, पता नहीं कल यही रख़्त, जात बदल ले। धात- Matter, रख़्त- Property Rest Zone आज का शब्द- 'औरत' #rzmph #rzmph33 #औरत #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #poetry #yqrestz
Sangeeta Patidar
उजली सुबह के बाद अँधेरी रात गई, जीतने के बाद, हराने वाली मात गई। सूखे फूल पे कब मधुबन शोर मचाता, न रहें दुखी, जो बीत गई सो बात गई। आँधियों के बाद पंछी बुनेंगे घौंसला, टूटने के बाद, हम भी रखेंगे हौसला। ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं अजर-अमर, जन्म में थी जो वो मौत के साथ गई। सब देके भी नहीं ख़रीद सकते ख़ुशी, बाँटकर दर्द किसी को दे सकते हँसी। पाने से ज़्यादा सुख, देने का होता है, ज़मी पे आसमानी बूँदों की ज़ात गई। ज़िन्दगी अपनी जैसे चाहो वैसे जियो, अपने पल उसमें जैसे चाहे वैसे सियो। मन की आँखें पहचाने अच्छाई-बुराई, सीख के सुधरने के बाद हर धात गई। ज़ात- Personality धात- लत, आदत Rest Zone 'काव्य सृजन' #restzone #rztask346 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #
Anvi M
Shravan Goud
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते । जीण माता कृपा दृष्टि बनाए रखना।🙏🙏 ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते । जीण माता कृपा दृष्टि बनाए रखना।🙏🙏
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 “संसार” के सबसे “कठोर धातु” में से एक है “लोहा”, “लोहे” से हम “अस्त्र-शस्त्र” प्राप्त कर सकते है, “अनेक वस्तुएं” प्राप्त कर सकते है, अब इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए, इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए किसका उपयोग किया जाता है ? “लोहे” का ही...ये बात हम सभी जानते है कि “लोहे” से ही “लोहे को काटा” जाता है, इसके आगे एक बहुत बड़ा “प्रश्न” आ जाता है, जो बहुत बड़ी “सीख” दे जाता है,ऐसा क्यों होता है ? कि हम “लोहे” से ही “प्रहार” कर रहे है “लोहे” पर किन्तु जिस “लोहे से प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” नहीं बदल रहा, जिस पर “प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” बदल रहा है, इसमें “अंतर” क्या है...इसमें अंतर है “तापमान” का,जिस “लोहे” को हमें बढ़ाना है और “काटना” है उस “लोहे को गर्म” किया जाता है और जिस “लोहे” से हमें “प्रहार” करना है उस “लोहे को ठंडा” रखा जाता है, अर्थात “ठंडा” लोहा “गर्म” लोहे को काटता है,अब देखिए हमारे “जीवन” में भी “समस्याएं” भी आती है हमें इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि हमें हमारे मन को “शांत” रखना है यदि हम “क्रोध” और “ईष्र्या” की “अग्नि” में जलते रहें,“द्वेष की अग्नि” में जलते है तो हम भी उस “लोहे की भांति” हो जाएंगे जिसका “तापमान” कई अधिक है,तब कोई भी आके हमें “क्षति” पहुंचा सकता है,याद रखिए जिसकी सबसे अधिक “स्थिर बुद्धि” है,जो सबसे “शांत व्यक्ति” है वो सबसे अधिक “बलशाली” है... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 *#“कठोर धातु”* *#“लोहा”*
Kailash Kumar
🌺फूलों में गुलाब 🌹 🥂नशे मे शराब 👏प्रोग्राम में ताली मजाक में साली धातु मे सोना दु:ख में रोना😭😭 प्यार में घम और ♥️आपके दिल में है हम
Shailendra Anand
रचना दिनांक ३०,,९,,,२०२३ वार शनिवार समय ््दोप ११,,००बजे शीर्षक ्््शीर्षक ्््भावचित्र ््् पहलियो सा चक्रव्यूह है जिन्दगी का सफ़र,, आज नहीं तो कल ये क्षण पलभर में घर आंगन की हर लेती हाय, अला, बला ,घर की तमाम खुशियां के सुख में।। अपना जीवन तूममे खफा देती है वह अपना सर्वस्व छौड़कर तुझमें समा जाऊं,, ये त्याग तपस्या साधना प्रकृति से।। लय में संगीत सुनाते हुए वह स्वरागंना सूरसाधिका,, आद्यशक्तिमहेश्वरि तुलेश्वरी मां सरस्वती दुर्गेश्वरी तुझमें देखु वो लफ्जो का कर्म का आभूषण मांयी जगदम्बे।। काली भ़द़काली मां वैश्वणी,सती, सावित्री महामायी योगेश्वरी जगत दुख हारणी मां मैं पीड़ित हूं।। इस जगत में समय के काल चक्र के चक्रव्यूह से मेरे संकट हरो महादेवी इस अश्विनमास की नवरात्रि तक आप मेरे लिए मांभुवनेश्वरी बन कर।।। ् मेरी सकल विपदा हरो मांई तेरे चरणों मैं पडा हूं।रक्षकरो मां त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम जगत में मेरे अपराध हरो मांई।। ््ं्कवि शैलेंद्र आनंद ्् ३०,,,,सितम्बर,,,२०२३ ©Shailendra Anand #kitaab यह प्रार्थना जिंदगी के चक्रव्यूह में फंसे हुए समय चक्र,, की अला बला बुराई से मां तुझे प्रणाम मेरे संकट हरो मां सरस्वती तुल्जेश्वरी क