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jagmag
तुमको महज आवारगी दिखती है मेरी शायरी हमारी तो बसर हो रही किताबों के शहारे। गजल शायरी
Maroof alam
माना गम है चाहत का उर्म भर के लियें कुछ तो मिले फुर्सत दम भर के लियें जब घर मे मुफलिसी का कहर हो यारों तरस ही जाता है आदमी कफन के लियें वो चोखट वो कूंचे वो गलियारे नहीं अब अतीत ही बचा है फकत भ्रम के लियें तुझे क्या मालूम दौर ऐ इश्क़ की दास्ताँ भटके न कहाँ कहाँ हम सनम के लियें मारुफ आलम गजल/शायरी
Maroof alam
गजल मोहब्बत से ऐतबार से लूटा किसी ने चेन ओ सूकून खुमार से लूटा किसी ने जर्रा जर्रा खिजां मे बदल गया देखो बड़ी बेदर्दी से बहार को लूटा किसी ने बिरान घर को देखकर ये याद आया इसी गली मे घर बार को लूटा किसी ने दोस्ती को कर दिया खराब जमाने मे झांसा देकर फिर यार को लूटा किसी ने क्या बताऊँ गमे दास्ताँ तुझे ऐ 'आलम' किस बेरहमी से मुझ लाचार को लूटा किसी ने मारूफ आलम गजल/शायरी
Nilesh Salwey
बहुत नादान है मेरे शहर के लोग, छोटी सी मुस्कान को प्यार समझ लेते है , ©Nilesh Salwey गजल , शायरी
Maroof alam
गजल दिल को दिलासा देकर बहार मे छोड़ गया था कोई हमे गमखानों की गार मे छोड़ गया था टूटा जब गुलदस्ता तब हुआ हमे मालूम खत को लिखकर कोई गुलदान मे छोड़ गया था इसी एक बात पर उलझे हुए हैं अब तक पैगाम ऐ उल्फ़त को कौन ये गुमनाम मे छोड़ गया था मारुफ आलम गजल/शायरी
Maroof alam
बहुत हुआ हमें नुकसान राहों मे छूट गये सब मेहरबान राहों मे भूखे प्यासे तड़प रहे काफिले रहा न कोई कदरदान राहों मे हमने तो यूहीं पुकार लिया तुझे देखा जो रोता परेशान राहों मे अपना दर्द खुद से ही कह लो न रखो किसी पे अहसान राहों मे किसी को कोई निदा न देना दिल लूटें तुझे जब निगेहबान राहों मे राह के पत्थर को ठोकर न लगे करना इतना सा एहतराम राहों मे सफर ये भी खत्म होगा "आलम" समझ खुद को मेहमान राहों मे मारूफ आलम गजल/शायरी
Motivational story
अश्क रहने दे थोड़ा पानी दे कोई दिलचस्प सी कहानी दें अभी तो दास्ताँ शुरू हुई मुझे चढ़ती हुई जवानी दे जिंदगी में मिले उतार चढ़ाव मुबारक मौके की निशानी दे में अब दुनिया को बुझ लेती हूँ समझने वाला कोई ज्ञानी दे माँ के घर में बहार बारह माह कुछ ऐसी याद मुझे पुरानी है अभी लम्बा है रास्ता सामने धूप में छाँव की मेहरबानी दे। ©Deep Chakraborty गजल शायरी