Find the Latest Status about उनकी कथा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, उनकी कथा.
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Shyam Pratap Singh
पवनपुत्र बजरंगी सीधे जा पहुंचे अशोक वाटिका में और देखा प्रभु याद में बैठे मां को अशोक वाटिका में तब सीता मां को राम कहानी पवनपुत्र ने सुना दिया और प्रभु मुद्रिका को माता के सम्मुख लाके दिखा दिया फिर बजरंगी ने बता दिया कि क्या उनकी पहचान है कर प्रणाम माता को बोले - ये राम भक्त हनुमान है फिर बजरंगी ने फल खाया और सारा पेड़ उखाड़ दिया रावण सुत अक्षय वध करके फिर पूरा बाग उजाड़ दिया जब मेघनाद के द्वारा हनुमत पर ब्रह्मास्त्र चलाया जाता है पवन पुत्र को बना के बंदी रावण के सम्मुख लाया जाता है तब रावण के सम्मुख पवन पुत्र हुंकार भरा करते है और जय जय सीताराम यही जयकार किया करते है फिर एक फैसला वह रावण तब अहंकार में लेता है कि आग लगा दो पूंछ में इसकी दंड यही जब देता है जब आग लगाई गई पूछ में तब हसीं निकलने लगती है फिर कुछ ही क्षणों में पूरी लंका धू धू कर जलने लगती है फिर इसी तरह श्री महाबली ने खाक कर दिया लंका को और राम एक नर साधारण हैं , दूर कर दिया शंका को फिर एक बार श्री महाबली माता के सम्मुख जाते हैं क्या हाल किया रावण का मैंने सारी बात बताते हैं फिर माता बोली लो चूड़ामणि हाथ में मैंने जो पहना तुम यही दिखाकर "कब आएंगे " बात मेरी उनसे कहना ©Shyam Pratap Singh इसके पहले की कथा अनुशीर्षक में पढ़ें.... इस बड़े समंदर को बोलो अब कौन लांघ कर जाएगा सुधि लेने माता की बोलो अब कौन वहां पर जाएगा वानर सेना
N S Yadav GoldMine
मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒 {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्यनारायण कथा :- 📘 सत्यनारायण कथा सनातन (हिंदू) धर्म के अनुयायियों में लगभग पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है। सत्यनारायण भगवान विष्णु को ही कहा जाता है भगवान विष्णु जो कि समस्त जग के पालनहार माने जाते हैं। लोगों की मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं। सत्यनारायण व्रतकथा का उल्लेख स्कंदपुराण के रेवाखंड में मिलता है। क्या है भगवान सत्यनारायण की कथा 📘 पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक समय की बात है कि नैमिषारण्य तीर्थ पर शौनकादिक अट्ठासी हजार ऋषियों ने पुराणवेता महर्षि श्री सूत जी से पूछा कि हे महर्षि इस कलियुग में बिना वेद बिना विद्या के प्राणियों का उद्धार कैसे होगा? क्या इसका कोई सरल उपाय है जिससे उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि सूत ने कहा कि हे ऋषियो ऐसा ही प्रश्न एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से किया था तब स्वयं श्री हरि ने नारद जी को जो विधि बताई थी उसी को दोहरा रहा हूं। भगवान विष्णु ने नारद को बताया था कि इस संसार में लौकिक क्लेशमुक्ति, सांसारिक सुख-समृद्धि एवं अंत में परमधाम में जाने के लिये एक ही मार्ग हो वह है सत्यनारायण व्रत अर्थात सत्य का आचरण, सत्य के प्रति अपनी निष्ठा, सत्य के प्रति आग्रह। 📘 सत्य ईश्वर का ही रुप है उसी का नाम है। सत्याचरण करना ही ईश्वर की आराधना करना है उसकी पूजा करना है। इसके महत्व को सपष्ट करते हुए उन्होंने एक कथा सुनाई कि एक शतानंद नाम के दीन ब्राह्मण थे, भिक्षा मांगकर अपना व परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन सत्य के प्रति निष्ठावान थे सदा सत्य का आचरण करते थे उन्होंने सत्याचरण व्रत का पालन करते हुए भगवान सत्यनारायण की विधिवत् पूजा अर्चना की जिसके बाद उन्होंने इस लोक में सुख का भोग करते हुए अंतकाल सत्यपुर में प्रवेश किया। इसी प्रकार एक काष्ठ विक्रेता भील व राजा उल्कामुख भी निष्ठावान सत्यव्रती थे उन्होंनें भी सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा करके दुखों से मुक्ति पायी। 📘 आगे भगवान श्री हरि ने नारद को बताया कि ये सत्यनिष्ठ सत्याचरण करने वाले व्रती थे लेकिन कुछ लोग स्वार्थबद्ध होकर भी सत्यव्रती होते हैं उन्होंने बताया कि साधु वणिक एवं तुंगध्वज नामक राजा इसी प्रकार के व्रती थे उन्होंनें स्वार्थसिद्धि के लिये सत्यव्रत का संकल्प लिया लेकिन स्वार्थ पूरा होने पर व्रत का पालन करना भूल गये। साधु वणिक की भगवान में निष्ठा नहीं थी लेकिन संतान प्राप्ति के लिये सत्यनारायण भगवान की पूजार्चना का संकल्प लिया जिसके फलस्वरुप उसके यहां कलावती नामक कन्या का जन्म हुआ। कन्या के जन्म के पश्चात साधु वणिक ने अपना संकल्प भूला दिया और पूजा नहीं की कन्या के विवाह तक पूजा को टाल दिया। फिर कन्या के विवाह पर भी पूजा नहीं की और अपने दामाद के साथ यात्रा पर निकल पड़ा। दैवयोग से रत्नसारपुर में श्वसुर-दामाद दोनों पर चोरी का आरोप लगा। वहां के राजा चंद्रकेतु के कारागार में उन्हें डाल दिया गया। 📘 कारागर से मुक्त होने पर दंडीस्वामी से साधु वणिक ने झूठ बोल दिया कि उसकी नौका में रत्नादि नहीं बल्कि लता पत्र हैं। उसके इस झूठ के कारण सारी संपत्ति नष्ट हो गई। इसके बाद मजबूर होकर उसने फिर भगवान सत्यनारायण का व्रत रख उनकी पूजा की। उधर साधु वणिक के मिथ्याचार के कारण उसके घर में भी चोरी हो गई परिजन दाने-दाने को मोहताज हो गये। साधु वणिक की बेटी कलावती अपनी माता के साथ मिलकर भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रही थी कि उन्हें पिता साधु वणिक व पति के सकुशल लौटने का समाचार मिला। 📘 वह हड़बड़ी में भगवान का प्रसाद लिये बिना पिता व पति से मिलने के लिये दौड़ पड़ी जिस कारण नाव वाणिक और दामाद समुद्र में डूबने लगे। तभी कलावती को अपनी भूल का अहसास हुआ वह दौड़कर घर आयी और भगवान का प्रसाद लिया। इसके बाद सब ठीक हो गया। इसी तरह राजा तुंगध्वज ने भी गोपबंधुओं द्वारा की जा रही भगवान सत्यनारायण की पूजा की अवहेलना की और पूजास्थल पर जाने के बाद भी प्रसाद ग्रहण नहीं किया जिस कारण उन्हें भी अनेक कष्ट सहने पड़े अंतत: उन्होंने भी बाध्य होकर भगवान सत्यनारायण की पूजा की और व्रत किया। 📘 कुल मिलाकर कहानी का निष्कर्ष यही है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिये व हमें सत्याचरण का व्रत लेना चाहिये। यदि हम भगवान सत्यनारायण की पूजा नहीं करते तो उसकी अवहेलना कभी नहीं करनी चाहिये और दूसरों द्वारा की जा रही पूजा का कभी मजाक नहीं उड़ाना चाहिये और आदर पूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिये। सत्यनारायण व्रत और कथा को करने की विधि :-📘 इस पूजा को सम्पूर्ण करने के दो मुख्य प्रकार हैं – व्रत और कथा। कुछ लोग भगवान विष्णु जी के लिए व्रत कर इस आयोजन को पूर्ण करते हैं तो कुछ जन घर में सत्यनारायण जी की पूजा (एक कथा) को कराकर इसे पूर्ण रूप देते हैं। सत्यनारायण जी की पूजा को विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूरा करवाय जाना चाहिये। पूजा को करने के लिए सबसे उत्तम समय प्रातःकाल 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक बताया जाता है। 📘 इस पूजा में दिन भर व्रत रखा जाता है। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाया जाता है और उस पर चौकी रखी जाती है। चौकी के चारों पायों के पास केले के पत्तों से सजावट करें फिर इस चौकी पर अष्टदल या स्वस्तिक बनाया जाता है। इसके बीच में चावल रखें, लाल रंग का कपड़ा बिछाकर पान सुपारी से भगवान गणेश की स्थापना करें। अब भगवान सत्यनारायण की तस्वीर रखें, श्री कृष्ण या नारायण की प्रतिमा की भी स्थापना करें। 📘 सत्यनारायण के दाहिनी ओर शंख की स्थापना करें व साथ ही पवित्र या स्वच्छ जल से भरा कलश भी रखें। कलश पर शक्कर या चावल से भरी कटोरी भी रखें। कटोरी पर नारियल भी रखा जा सकता है। बायीं ओर दीपक रखें। अब चौकी के आगे नवग्रह मंडल बनाएं। इसके लिये एक सफेद कपड़े को बिछाकर उस पर नौ जगह चावल की ढेरी रखें। अब पूजा शुरु करें। प्रसाद के लिये पंचामृत, गेंहू के आटे से बनी पंजीरी, फल आदि को कम से कम सवाया मात्रा में लें। 📘 सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उसके बाद इंद्रादि दशदिक्पाल की फिर अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद सत्यनारायण की पूजा करें। भगवान सत्यनारायण के बाद मां लक्ष्मी व अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिये। पूजा में सभी तरह की पूजा सामग्रियों का प्रयोग होता है और ब्राह्मण द्वारा सुनाई जा रही कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। सत्यनारायण जी की पूजा के बाद सभी देवों की आरती की जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण किया जाता है। श्री सत्यनारायण का पूजन महीने में एक बार पूर्णिमा या संक्रांति को किया जाना चाहिए। ©N S Yadav GoldMine मान्यता है कि भगवान सत्यनारायण का व्रत रखने उनकी कथा सुनने से मनुष्य मात्र के सभी कष्ट मिट जाते हैं !! 🍒🍒 {Bolo Ji Radhey Radhey} सत्यनारायण
Umesh Rathore
Part. 1 एक आदर्श चरित्र , मर्यादा के पुरुषोत्तम श्री राम (👇 अनु शीर्षक👇) Please give your precious comments and suggestions हम सभी जानते हैं की राम कहानी क्या है राम जी की जीवनी क्या है, बचपन से कानों में एक ध्वनि सुनाई दी हरि अनंत हरि कथा अनंता, अर्थात भगवान की क
नेहा उदय भान गुप्ता
राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम।। 👇👇 बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम
N S Yadav GoldMine
भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 💠 आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर भगवान जगन्नाथ की आँखें इतनी बड़ी व गोल क्यों हैं साथ ही उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की आँखें भी अत्यधिक बड़ी क्यों हैं। हमनें आज तक जितने भी मंदिर देखे है तथा भगवान की मूर्तियों को देखा हैं सभी में उन्हें मानव शरीर या उनके लिए गए अवतार के अनुसार दिखाया गया हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ की ऐसी विचित्र आँखें होने के पीछे क्या रहस्य हैं जबकि वे तो भगवान कृष्ण का ही रूप थे जिनकी आँखें एक दम सामान्य थी। विश्वकर्मा जी के द्वारा मूर्तियों का निर्माण :- 💠 दरअसल इसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य तो नही हैं क्योंकि इसे राजा इन्द्रद्युम्न के आदेश पर महान शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने एक बंद कमरे में बनाया था तथा इसे कैसे बनाया गया, क्यों इस प्रकार बनाया गया इसके बारे में कुछ भी लिखित या मौखिक प्रमाण नही मिलता हैं। विश्वकर्मा जी की शर्त थी कि वे एक बंद कमरे में इन मूर्तियों का निर्माण करेंगे तथा इस बीच कोई भी कमरे में ना आने पाए लेकिन जब राजा इंद्रद्युम्न किसी अनहोनी की आशंका के चलते बीच में ही द्वार खोलकर अंदर चले गए तो उन्होंने देखा कि विश्वकर्मा जी वहां से विलुप्त हो चुके थे तथा आधी अधूरी मूर्तियाँ छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा के स्वप्न में आकर उन्हें आदेश दिया था कि वे इन्हीं मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करे। तब से लेकर आज तक हम उन्हीं मूर्तियों की पूजा करते है। बलराम की माँ रोहिणी की कथा :- 💠 फिर भी इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताएँगे। यह बात तब की है जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका में रहने लगे थे तब एक दिन उनसे मिलने वृंदावन निवासी, नंद बाबा, यशोदा माता व रोहिणी माता आई थी। द्वारका व वृंदावनवासियों में यही अंतर था कि द्वारकावासी उन्हें अपना ईश्वर तथा राजा मानते थे जबकि वृंदावनवासी उन्हें अपना प्रेमी मानते थे। 💠 एक दिन रोहिणी माता द्वारका वासियों को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा वृंदावन में की गयी रासलीला, प्रेम प्रसंग इत्यादि की कथा सुना रही थी। चूँकि सुभद्रा भगवान कृष्ण की बहन थी तथा उनके सामने यह बात करना उचित नही था इसलिये माता रोहिणी ने उन्हें द्वार पर जाकर खड़े रहने को कहा। सब वृंदावनवासी तथा द्वारकावासी भगवान कृष्ण की भक्ति तथा उनकी कथाओं में डूबे हुए थे तथा उनकी बहन अकेली द्वार पर उदास खड़ी थी यह देखकर उनके दोनों बड़े भाई बलराम व कृष्ण भी उनके दाएं व बाएं आकर खड़े हो गए। 💠 भगवान कृष्ण के बचपन की कथाएं इतनी ज्यादा मनमोहक तथा मन को आश्चर्यचकित कर देने वाली थी कि सभी द्वारकावासी उनके प्रेम में डूब गए। द्वार पर खड़े तीनों भाई बहन भी इसे छुपके से सुन रहे थे तथा वे इसे सुनकर इतना ज्यादा स्तब्ध रह गए थे कि तीनों की आँखें पूरी खुल गयी थी। आश्चर्य में उनकी आँखें पूरी खुली हुई थी तथा मुहं बड़ा हो गया था। 💠 कहते हैं कि उसी समय स्वयं नारद मुनि भी धरती पर आ गए थे तथा तीनों भाई बहन को इस तरह साथ देखकर व इस रूप में देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि उनके इस रोचक रूप के दर्शन करने का सौभाग्य उनके भक्तों को भी मिलता रहे। इसी कारण इस कथा को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रूप से जोड़ा जाता है। ©N S Yadav GoldMine #snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :-
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम।। 👇👇 बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम
vishnu thore
कथा... धावणाऱ्या या जीवांचा राबता हा खुंटला उतू येतो सांत्वनाला पापणीचा कुंचला अंगणाचा पारिजात आजही खुणावतो स्वप्नांच्या पाठीमागे कोण वेडा धावतो लाट येते ही सुगंधी वाट होते पांगळी खुडलेला स्पर्श हाती रात होते वेंधळी काळजाच्या काळजीची सांग ना गं तू व्यथा संपलेल्या कहाणीची ऐकूदेना मला कथा - विष्णू थोरे ९३२५१९७७८१ कथा.....