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Bhavana kmishra

#श्री कृष्ण #Hindi #viral #bhavanakmishra पथिक.. M R Mehata(रानिसीगं ) Ashutosh Mishra RamBiny Niaz (भारतीय) एक अजनबी Rama Gosw #विचार

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कर्मबाण

Bhagwat Geeta shlok, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन! #प्रेरक

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SHAILESH RANA

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqhindi #yqquotes #yqpoetry #srtheshayar #लिखते_रहो_राणा_लिखते_रहो

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राणा ये कैसी दुविधा आन पड़ी, जो तेरा मन है डोल रहा।
तुझे अंदर ही अंदर ये बोल रहा।।
राणा अगर तुम सज्ज नहीं, अपने कर्तव्य का निर्वाह करने को।
तो मैं विवश हूं तुम्हारा वध करने को।।
खुद में तुझे वो टटोल रहा, और मन ही मन ये बोल रहा।
कर्म ही कर्तव्य है तेरा जो तुझे निभान है।।
तू फल कि चिंता क्यों करता है, जब वो विधाता के हाथों ही आना है।
राणा लिखना है तुझे और लिखते ही जाना है।।
धर्म के मार्ग पर चल कर तुझे कर्मयोगी हो जाना है।
पथभ्रष्ट समाज को धर्म से अवगत कराना है।।
लिखते रहो राणा लिखते रहो।
अपनी अंतिम सांस तक तुम्हें लिखते ही जाना है....):-
 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ 

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त

शैलेश राणा

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqhindi #yqquotes #yqpoetry #srtheshayar #लिखते_रहो_राणा_लिखते_रहो

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राणा ये कैसी दुविधा आन पड़ी, जो तेरा मन है डोल रहा।
तुझे अंदर ही अंदर ये बोल रहा।।
राणा अगर तुम सज्ज नहीं, अपने कर्तव्य का निर्वाह करने को।
तो मैं विवश हूं तुम्हारा वध करने को।।
खुद में तुझे वो टटोल रहा, और मन ही मन ये बोल रहा।
कर्म ही कर्तव्य है तेरा जो तुझे निभान है।।
तू फल कि चिंता क्यों करता है, जब वो विधाता के हाथों ही आना है।
राणा लिखना है तुझे और लिखते ही जाना है।।
धर्म के मार्ग पर चल कर तुझे कर्मयोगी हो जाना है।
पथभ्रष्ट समाज को धर्म से अवगत कराना है।।
लिखते रहो राणा लिखते रहो।
अपनी अंतिम सांस तक तुम्हें लिखते ही जाना है....):-
 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ 

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: त

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

गीता जयंती 14 दिसंबर को, रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरु #समाज

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जय श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust गीता जयंती 14 दिसंबर को, रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरु

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र म #समाज

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✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। इस ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी परेशान नहीं हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की -
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
आत्मा को न शस्त्र  काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। अर्थात भगवान कृष्णइश श्लोक में आत्मा को अजर-अमर और शाश्वत कह रहे हैं।

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की -
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
 हे भारत (अर्जुन), जब-जब अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार लेता हूं।
सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।
                         
आखिर में एक ही बात समझ आई की-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में नहीं। इसलिए कर्म करों और फल की चिंता मत करो। 
                  
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
       🌹आपका दिन शुभ हो 🌹
   🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र म

SK Poetic

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" #sharadpurnima #विचार

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"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"

अपना काम करो, फल की चिंता मत करो! यह बात अपने आसपास के लोगों से आपने बहुत बार सुनी होगी, है न?

उनसे यदि पूछें कि ऐसा किसने कहा है 🤔, तो उनका जवाब होगा, "अरे! गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है",

अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है!

देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है,

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
कर्म करने में ही तेरा अधिकार है, फलों में कभी नहीं।

तो लोगों ने इस श्लोक का अर्थ लगाया कि फल की परवाह करे बिना बस कर्म करते चलो।

पर कौन-सा कर्म करें? इस बात को हम बिल्कुल दबा गए जबकि श्रीकृष्ण के उपदेश में यही बात (सही कर्म का चयन) सर्वोपरि है।

नतीजा: हम ज़्यादातर गलत काम चुनते हैं, और फिर कहते हैं, "बस अपना काम करे चलो डूबकर, और फल की चिंता मत करो"। ये बात गलत और नुकसानदेह है।

सबसे पहले आता है सही कर्म का चयन। सही कर्म कौन सा है? सही कर्म वो है जो अपनी व्यक्तिगत कामना की पूर्ति के लिए न किया जाए, बल्कि कृष्ण (सत्य) के लिए किया जाए। यही निष्कामता है।

पर अपनी कामना को पीछे छोड़ना हमें स्वीकार नहीं होता, तो काम तो हम करते हैं कामनापूर्ति के लिए, और फिर ऐसे काम में जब तनाव और दुख मिलता है, तो खुद को बहलाने के लिए कह देते हैं, "कर्म करो, फल की चिंता छोड़ो"।

खेद ये कि गीता के सबसे मूलभूत सूत्र का ही सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया है। आम जनता तो भ्रमित रही ही है, तथाकथित गुरुओं ने भी अक्सर सूत्रों की अनुचित विवेचना की है। नतीजा ये है कि आज कुछ लोग गीता का असत अर्थ करते हैं, और बाकी लोगों की गीता में रुचि नहीं।

गीता कोई सुनी-सुनाई कहावत नहीं है, गीता जीवन-विज्ञान है, गीता हमारी कल्पना से आगे की बात है।

©S Talks with Shubham Kumar "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"
#sharadpurnima

VINOD VANDEMATRAM

कर्मण्येवाधिकारस्ते. #Inspiration

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कर्मण्येवाधिकारस्ते 
मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा 
ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि

©VINOD TRIVEDI PALODA कर्मण्येवाधिकारस्ते.

#Inspiration

Smita Sapre

कर्मण्येवाधिकारस्ते✍️ #WForWriters

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विपरीत दिशा विपरीत दिशा में समानांतर गति से चलकर
अपने चारों और ऐसी परिधि बनाना 
जहां प्रतिकूल हवा का भी मना हो आना।

विपरीत दिशा आना भाग्य पर निर्भर है।
पर विपरीत को अनुकूल
 कर्म से होगा बनाना।

©Smita Sapre #कर्मण्येवाधिकारस्ते✍️

#WForWriters

परवाज़ हाज़िर ........

#InternationalEducationDay " ​​कर्मण्येवाधिकारस्ते  मां फलेषु कदाचन ' #विचार

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शिक्षा का महत्व....
 इंसान के इंसान बने रहने में
 शिक्षा का बड़ा योगदान रहा है...
 यही सर्वयापी और सर्वसम्मित ज्ञान हे...

" आदिकाल में इन्सान और जानवर में
 फर्क नहीं था... 
 क्योंकि जीने के अलावा कोई
 कर्म नही था....

©G0V!ND DHAkAD #InternationalEducationDay 

 " ​​कर्मण्येवाधिकारस्ते
 मां फलेषु कदाचन '
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