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Triveni Shukla
!! परमानन्द !! जैसे भुजाओं की संख्या बढ़ाने मात्र से एक बहुभुज कभी वृत्त नहीं बन सकता, वैसे ही खण्डित आनन्द के क्षणों से 'परमानन्द' प्राप्त होना लगभग असम्भव है...!!! 💠 अनुशीर्षक 💠 Approximation (निकटीकरण) गणित का एक powerful tool है। बहुभुज (polygon) के माध्यम से वृत्त (circle) को approximate करना गणितज्
अनिता कुमावत
सोचती हूँ जब लिपि और भाषा विकसित नहीं हुई थी तब भी लोग समझ लेते थें एक दूसरे की बात आज जब हमारे पास विचारों को संप्रेषित करने के कई संसाधन हैं तो क्यों नहीं समझते कुछ लोग बातों को आधुनिक युग से तो वो पाषाण युग अच्छा था ना ...!!! बातें चाहें दो लोगों के मध्य हो या दो पक्षों के सामंजस्य की कमी हुई जा रही ... कोई समझना नहीं चाहता ... 🙏 कुछ ख़याल यूँ ही 😊 #yqdidi
writervinayazad
✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को पढ़कर भी पढ़ ले कोई इतना भी तो काबिल नहीं है दोनों पक्षों में एक मशवरा है दोनों पक्षों को कुछ हासिल नहीं है हर एक लहजे में एक तप्सरा है कौन है जो यहां बातिल नहीं है मेरी सीने में ही कातिल है विनय मेरी मंजिल तो है साहिल नहीं है ©writervinayazad ✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को
Ravendra
pooja yadav
आज का ज्ञान please read in caption.... ©pooja yadav #Life #Knowledge #lesson #possible #positive #thought #Hindi फैसला:- आपके फैसले के दो पक्ष मिलेंगें हमेशा एक वो जो आपके पक्ष में होगा जो
Sagar Raj Gupta
मैं हिन्दू हूँ वो मुसलमान है.. By:- Sagar Raj Gupta. मै गीता हूँ उनके लफ़्ज़ों की वो मेरे लफ़्ज़ों की कुरान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। वो मेरे लिए सावन की पावन मास और हम उनके लिए माह-ए-रमज़ान है, मै हूँ महाकाल भक्त भगवाधारी और वो भी बुरके की शान है, वो आरती है मेरे मंदिर की और हम उनके मस्जिद की अज़ान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। वो मेरी ग़म को अपने सीने में दफ़न करती और हम उनकी यादों की शमशान है, उनके बिना मेरी धड़कने भी रूठ जाती है इसकदर चढ़ा मुझपे इश्क़ का परवान है, मैं कुछ हूँ ही नहीं उनके बिना, जहाँ जाती वो वही जाती मेरी कारवां है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। हूँ उड़ान उनके पंखो की, और वो मेरे पंखो की आसमान है, मै उनकी दिल को ठंढक देता और वो मेरी नजरों की जलपान है, हम तो नाममात्र के फूल है उनके जिंदगी की और वो मेरी साँसों की गुलिस्तां है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। जान है हम गंगा सागर की और वो भी मदीने की आन है, मैं तो पूरी दुनिया हूँ उनकी और वो भी मेरी पूरी जहान है, ना हम अगल है ना वो अगल है, दोनों मिलकर हिंदुस्तान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। ©Sagar Raj Gupta यह कविता मैंने किसी धर्म विशेष के दिल कों आहत करने के लिए नहीं लिखी है। बस आप लोग इस कविता कों एक आशिक़ समझकर पढ़े तथा दिल से महसूस करें।एक मा
cursedboon
सही और गलत...... मतभेद सही और गलत के प्रश्न के साथ उत्पन्न होते हैं... जब दो या अधिक पक्षों में किसी भी प्रकार का आपसी संपर्क स्थापित होता है तब उनमें विभेद
Ravi Shankar Kumar Akela
धारा 498A के प्रभाव धारा 498A के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप दोषी पाए जाने पर पति और ससुरालवासी न्यायिक निकाय के आदेश के अनुसार सज़ा का सामना कर सकते हैं। इससे महिलाओं को समाज में सुरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया गया है। धारा 498A भारतीय दंड संहिता में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है। धारा 498A के तहत ज़मानत का प्रावधान भी है, जिससे दोषी पाए जाने पर गिरफ्तारी के बाद भी व्यक्ति अदालत के आदेश अनुसार बाहर निकल सकता है। धारा 498A के तहत सज़ा और ज़मानत का प्रावधान भारतीय कानून के अनुसार तय किया जाता है, जिससे दोनों पक्षों को न्याय मिलता है । ©Ravi Shankar Kumar Akela #Mulaayam धारा 498A के प्रभाव धारा 498A के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप दोषी पाए जाने पर पति और ससुरालवासी न्यायिक निकाय के आदे
Ravendra
रजनीश "स्वच्छंद"
तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। मनुज मुस्कान दानवों का अवसाद बनना चाहिए। अत्याचार की होली जले, व्यभिचार की होली जले, भ्र्ष्टाचार की होली जले, कुविचार की होली जले। दानव जले और तम जले, दुख जले और मातम जले। मूक इस संसार मे, तुम्हे संवाद बनना चाहिए। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। तुम बहुभुज तुम सबल, तुम में है संसार सकल, तुम हो अग्नि तुम ही जल, तुम पवन तुम दावानल। चेतन तुम्ही, संहारक हो तुम, मनु संतति के वाहक हो तुम। अब इस समर का तुम्हे शंखनाद बनना चाहिए। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। सुनी हो न कोई गोद अब, सुखा रहे न जलश्रोत अब, शिथिल पड़े न ये क्रोध अब, सब खुशी से ओतप्रोत अब। रख मान अब तू इस धरा की, ले छीन शक्ति तू अब जरा की। है यज्ञ ये पूजा यही, तुम्हे प्रसाद बनना चाहिए। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। ©रजनीश "स्वछंद" तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए।। है समय की मांग ये, तुम्हे प्रह्लाद बनना चाहिए। मनुज मुस्कान दानवों का अवसाद बनना चाहिए। अत्याचार की होली जले,