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Biharibabu Abhinav*
गुलाब, ख़ाब, और शबाब में देखा, जब महफ़िल गया.. उसे शराब में देखा। बेहोशी की हालत में ली हमने दो चुस्की, जब होश में आया.. तो कबाब में देखा। रात.. भले ही बीती हो हमारी सड़क पे, मगर मज़े में सोया, और उसे मेहताब में देखा। उसे.., अब चढ़ गए हैं रंग, गुस्ताखियों के, हवाओं से भाव खाता.., पराग में देखा। ___ Adv. Abhinav Anand Biharibabu ©Biharibabu Abhinav* #raindrops
vivekanand
White life is a golden opportunity.some persons didn't understand the situation.so they're losing the house of happy. ©vivekanand poem
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read moreMayank Kumar
White एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम रिया था। रिया का सपना था कि वह बड़ी होकर एक प्रसिद्ध लेखिका बने। गांव में पढ़ाई के साधन बहुत कम थे, लेकिन रिया ने हार नहीं मानी। वह हर रात चाँद की रोशनी में बैठकर लिखती और किताबों के पन्नों में अपने सपनों को तलाशती ©Mayank Kumar #poem
SHIVAM TOMAR "सागर"
अक्सर आसमां दर्द ए जमीं देखकर रो जाता है । लोग कहते हैं , बारिश हो रही है। ©SHIVAM TOMAR "सागर" #raindrops Ashutosh Mishra
#raindrops Ashutosh Mishra
read more@howToThink
White "आइए महसूस करिए जिंदगी की ताप को मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको....... ---------- गांव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही, या अहिंसा की जगह नाथ उतारी जा रही, है तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए, बेचती है जिस्म कितनी कृष्णा रोटी के लिए" ---- अदम गोंडवी ©Chiranjeev K C #poem
Jeetal Shah
Unsplash गुजरा हुआ जमाना कभी नहीं आएगा, वो बाग बगीचे में खेलना, वो कागज की नाव बनाना, वो दादी की कहानी सुनकर एक नई सीख लेना, वो दुरदर्शन पर चुहे बिल्ली का कार्टून देखना, वो मिकी और मीनी की जोड़ी का आनंद उठाना, गुजरा हुआ जमाना था बहुत ही निराला, पर आज का भी जमाना कम नहीं नई टेक्नोलॉजी से जुड़ गए सभी। ©Jeetal Shah #poem
Priyadarshini Sharma
कुछ तो गहरे मसलें रहे होगें.. गिरती बूंदों और मिट्टी के दरमियान! यूं ही कोई आसमान छूने के बाद.. धरती पर कहांँ लौटता है? ©Priyadarshini Sharma #raindrops
Parul Sharma
फिर हुई हैं बारिश पर मेरे दिल में ही घबराओ नहीं तुम तुम्हारे शहर का मौसम रहेगा वैसा ही था जैसा मेरे आने से पहले ©Parul Sharma #raindrops
Neeraj Neel
Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी , आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी खिड़कियों में धूप सजती होगी, घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी। अब दूर कहीं नहीं चलना होगा , एक सिर पर छत अपना होगा। हम खुशियां सारी बटोर लाएगे, हम घर में अपने सपने सजाएंगे। हम घर में रोज दीप जलाएंगे , घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे। अब चेहरे में एक आराम होगा , मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा। हा अपना नाम होगा। ✍️ नीरज नील ©Neeraj Neel poem
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