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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल , खेत में चलाइये ।। बीज जब खेत पड़े , धीरे-धीरे हुए बड़े, खुशी से किसान कहे, पौध को लगाइये ।। देख आई बरसात , हट गई काली रात । कह दो सरपंच से , पोखर खुदाइये ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल ,
मनहरण घनाक्षरी :- जल बिना जल जात , जल अब कहाँ मातु , जल से ही जीवन है, जल को बचाइये ।। जल से ही कल रहे , सुनो सभी हल रहे, ले चल किसान हल , #कविता
read moreShah Meer Khan
संगीत कुमार
White बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा द्वेश जन जन में फैल गया भाई -भाई लड़ रह है लोभ में लोग घिर चूका है तुझे मध्यम मार्ग बताना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा अहिंसा का पाठ पढाना होगा सद्विचार का ज्ञान सिखाना होगा मानव में मानवता जगाना होगा कुकर्मी से बचाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा ©संगीत कुमार #Buddha_purnima बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना
#Buddha_purnima बुद्ध तुम्हे फिर आना होगा नैतिकता का पाठ पढाना होगा जात पात का भेद मिटाना होगा समरसता का अलख जगाना होगा बुद्ध तुम्हे फिर आना #कविता
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दोहा :- अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती पल में घात ।। रात-रात भर जागकर , रक्षा करे जवान । अमन हमारे देश हो , किए प्राण बलिदान ।। कह दूँ कैसे मैं सजन , अपने मन की बात । रजनी मुझको छेड़ती , कह बिरहन की जात ।। रात-रात करवट लिया , तुम बिन थे बेहाल । एक-एक रातें कटी , जैसे पूरा साल ।। अपने दिल के मैं सभी , दबा रही जज्बात । समझाओ आकर सजन , रजनी करे न घात ।। नींद उड़ी हर रात की , देख फसल को आज । करता आज किसान क्या , रुके सभी थे काज ।। उन पर ही अब चल रहे , सुन शब्दों के बाण । रात-रात जो देश हित , त्याग दिए थे प्राण ।। जो कुछ जीवन में मिला , बाबा तेरा प्यार । व्यक्त न कर पाऊँ कभी , तेरा वही दुलार ।। हृदय स्मृतियों में चले , बचपन के वह काल । हाथ थाम चलते सदा , कहते मेरा लाल ।। जीते जी भूलूँ नही , कभी आप उपकार । कुछ ऐसे हमको दिए , आप यहाँ संस्कार ।। जीवन में ऐसे नहीं , खिले कभी भी फूल । एक परिश्रम ही यहाँ , है ये समझो मूल ।। बिना परिश्रम इस जगत , मिलते है बस शूल । कठिन परिश्रम से यहाँ , खिलते सुंदर फूल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती
अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती #कविता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मतदान करो यह सब दानों में , लोकतंत्र को महान मजबूत करता है । विश्व का सबसे बड़ा, न्यारा हमारा संविधान ।। बनना है अगर जिम्मेदार नागरिक तुम्हें तो कर लो मतदान । चाहिए हो अगर जन कल्याणकारी ये सरकार तो फिर मतदान करो ।। झेला था गुलामी का दंश सैकड़ो वर्षों तक भारतवासियों ने देकर कुर्बानियां लाखों की तब हमने यह आजादी पाई है ।। नहीं हो अब गुलाम तो निर्भीक होकर तुम मतदान करो । करना है अगर सशक्त राष्ट्र का निर्माण तो उठो फिर और जाकर मतदान करो ।। नेताओं की जवाब देही तय करनी है तो फिर मतदान करो । जाति, संप्रदाय,धर्म से ऊपर उठो और फिर निष्पक्ष होकर मतदान करो ।। चयनकर शिक्षित,योग्य उम्मीदवार का फिर तुम मतदान करो । हो अगर जागरूक नागरिक तो ना रुको घर में तुम मतदान करो ।। एक-एक मत होता है ये अनमोल ना बेचो इसे मदिरा,रुपए पैसों से । ,जात,बिरादरी में और फिर तुम अपना मतदान करो ।। राष्ट्र में बहुत सारी समस्याएं ये कैसी फैली है जनता शिशिर भी जिनसे ये पीड़ित है , तो फिर चुनो अच्छी सुलझी सरकार और फिर मतदान करो ।। ©Shivkumar #election_2024 #election #electiontime #election2025 #election2026 #Nojoto #मतदान मतदान करो यह सब दानों में लोकतंत्र को महान #मजबूत
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read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मजहब,दौलत,जात,घराना,सरहद,गैरत,खुद्दारी एक मोहब्ब्त की चादर को कितने चूहे कुतर गए ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * #मजहब,दौलत,जात,घराना,सरहद,गैरत,खुद्दारी एक मोहब्ब्त की चादर को कितने चूहे कुतर गए
Saurabh Raj Sauri
White मोहब्बत को बेकसूर अब मै सरेआम लिखूंगा तड़पती रूह पर हँसते जमाने का मै आराम लिखूंगा तोड़ दिया कई रिश्तो को जुबाँ से "राज" जात पात की इस दुनियां को,बेदर्द मै बदनाम लिखूंगा ©Saurabh Raj Sauri जात पात की दुनियां
जात पात की दुनियां #Shayari
read morenisha Kharatshinde
धनगराची जात माझी धनगराची जात माझी गाव माझं कोकणात माय माझी धरती ही बाप माझा जेजुरीत श्यात माझं पिकलेलं हवेमंधी डुलतं हे भात पिक वरसभर पाॅट भरी त्यावर हे गाय,म्हैस,आणि बैल इस्टेट तिच माझी एक शेळी-मेंढरं,कोंबड्या ही पोरं माझी अनेक कोकणात गाव माझं घर-पुणे मुंबईत चाकरमानी म्हणत्यात रोजगार हॉटेलात एका धाग्यात विणलेली धनगाराची जात माझी प्रेम-मायेचा डोंगर तो ती वाडी माझी धनगराची ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde धनगराची जात माझी
धनगराची जात माझी #Poetry
read moreसंगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार #MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा
#MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा #कविता
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