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HARMEET
सबको अपना अपना मतलब है।। किसी के मतलब के लिए और किसी से मतलब के लिए अपने चरित्र से न गिरूं।। इतनी सद्बुद्धि देना ।। 🙏🏻।।मां मुझे।।🙏🏻 ©HARMEET #Navraatra # #सद्बुद्धि देना मां#
Nirankar Trivedi
Happy Janmashtami हे कृष्णा मैं आपसे यही कहना चाहता हूँ, की व्यक्ति जिन चीजों को खुद के लिए सही नहीं समझता कृपया वह दूसरों के प्रति भी ध्यान रखे, हम सब प्राणियों को ऐसी सद्बुद्धि प्रदान करने | सद्बुद्धि प्रदान करे #
Sita Prasad
ज़िद छोड़...... जब दो ज़िद्दी अपने ज़िद पड़ अड़ जाते हैं, युद्ध शुरू नहीं होता, बस ज़िदें जीती हैं, जीतती हैं, और दोनों सिर्फ तबाही के गड्ढें खोदते रहते हैं।। #yqdidi, #ज़िद #सद्बुद्धि #bestyqhindiquotes
manoj kumar jha"Manu"
देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम। देवता और पितरों के कार्यों में मनुष्य को आलस्य नहीं करना चाहिए। (तैत्तिरीय उपनिषद, १/११/१) पितृ यज्ञ अवश्य करें।
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। नाभिं॑ य॒ज्ञानां॒ सद॑नं रयी॒णां म॒हामा॑हा॒वम॒भि सं न॑वन्त। वै॒श्वा॒न॒रं र॒थ्य॑मध्व॒राणां॑ य॒ज्ञस्य॑ के॒तुं ज॑नयन्त दे॒वाः ॥ पद पाठ नाभि॑म्। य॒ज्ञाना॑म्। सद॑नम्। र॒यी॒णाम्। म॒हाम्। आ॒ऽहा॒वम्। अ॒भि। सम्। न॒व॒न्त॒। वै॒श्वा॒न॒रम्। र॒थ्य॑म्। अ॒ध्व॒राणा॑म्। य॒ज्ञस्य॑। के॒तुम्। ज॒न॒य॒न्त॒। दे॒वाः ॥ हे मनुष्यो ! (देवाः) विद्वान् जन जिस (यज्ञानाम्) सत्यक्रियामय यज्ञों के (नाभिम्) बीच के भाग को और (महाम्) महान् (रयीणाम्) धनों के (सदनम्) स्थान और (आहावम्) चारों ओर से स्पर्द्धा करने योग्य (वैश्वानरम्) सर्वत्र प्रकाशमान (रथ्यम्) रथको बहाने के योग्य (अध्वराणाम्) नहीं नष्ट करने योग्यों के (यज्ञस्य) प्राप्त होने योग्य व्यवहार के (केतुम्) जनानेवाले को (सम्, जनयन्त) अच्छे प्रकार प्रकट करते हैं और (नवन्त) स्तुति करते हैं उसकी आप लोग (अभि) सम्मुख प्रशंसा करिये ॥ Hey man (Deva:) scholarly jana jis (yagyanam) Satyakramayya Yajna's (naamvam) the middle part and (maham) great (ryamna) of wealth (saddhanam) place and (ahavam) from all around (vivanaram) sarvatra prakashmana (rathayam) ) Do not destroy the chariot worthy of (excruciating) (Yajnasya) worthy of (Yajnasya) attainable behavior (Ketum) to the person who is good (Sama, Janyant), and praises (Navant) his people (Abhi) before him. Praise ( ऋग्वेद ६.७.२ ) #ऋग्वेद #मंत्र #वेद #यज्ञ
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। विश्वायुर्धेधि यजथाय देव ।। हे देव ! हमें सम्पूर्ण आयु यज्ञ के लिए दो । Hey, God ! Give us the entire age for the yajna. ( ऋग्वेद १०.७.१ ) #ऋग्वेद #वेद #यज्ञ #दीर्घायु