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Sketch Artist Ashwani

manoj kumar jha"Manu"

#वेद शराब का सेवन न करें।

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मनुष्यों को शराब का सेवन तो दूर रहा, उसका स्पर्श और देखना भी पाप है।
-
कूर्म पुराण
उपरि० अ०१७ #वेद
शराब का सेवन न करें।

धम्मपद

क्या #वेद ईसा पूर्व में थी?

वर्तमान समय में वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडों {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} में उपलब्ध है।

वेद ईसा पूर्व काल में थी इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा,
तभी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व थी भी की नहीं!

#वेद पालि शब्दकोश का शब्द है। कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है।
 जो बुद्ध वंदना में #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय में #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित बैराट भाबरु अभिलेख में #विदितेवे के रूप में मिलता है।
जिसमें #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, 
#वेदगू-ऊँचतम अनुभवी,  #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है।
यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है।
इसलिए तिपिटक में भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है।
यानी 
स्वयं के अनुभव से तीन प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने वाला। 

अब आते है आज वाली चार वेद से #हटकर पांचवे वेद पर, 
जिसका नाम #आयुर्वेद है। 
इस आयुर्वेद को वेद पुस्तक से दूर-दूर तक का कोई संबंध नहीं है।
फिर इसका नामकरण #आयुर्वेद क्यों हुआ?

#आयुर का अर्थ योगपीडिया अनुसार #जीवन होता है
और
#वेद का अर्थ तिपिटक अनुसार अनुभूति द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है।
यानी
👉🏾💝जीवन से सम्बंधित जो ज्ञान अनुभूति पर प्राप्त हुआ,
उसे आयुर्वेद कहते हैं।

फिर आज वाली पुस्तकीय वेद में अनुभूति वाली तो कोई ज्ञान है ही नहीं। वहां तो 1) ऋज्ञवेद में देवताओं को आह्वान करने का मंत्र है, तो 2) सामवेद में यज्ञ में गाने वाला संगीतमय मंत्र है, तो 3) यजुर्वेद में यज्ञ का कर्मकांड है , तो 4) अथर्ववेद में जादू, टोना, चमत्कार की बात है।

आखिर ऐसा क्यों?

आज वाली वेद ब्राह्मणी व्यवस्था में अद्वैतवाद वाली दर्शन (philosophy) की पुस्तक है। जिसकी एक पांडुलिपि शारदा लिपि में छालपत्र पर और 29 पांडुलिपि कागज पर नागरी लिपि में लिखी मिली थी। जिसे वर्तमान समय में भंडारकर आयोग पुणे में रखा है। उसी 30 पांडुलिपि से चौदहवीं सदी में सायन ने भाष्य करते हुए पुस्तक का रूप दिया है।
जिसमें बाह्मी लिपि से शारदा लिपि का जन्म कश्मीर क्षेत्र में आठवीं सदी लगभग और बाह्मी लिपि से नागरी लिपि का जन्म दसमीं सदी में लगभग हुआ है। 
तदुपरांत उसके बाद वेद पुस्तक का भाष्य चौदहवीं सदी में सायन द्वारा हुआ है।

वेद पुस्तक की पांडुलिपि और भाष्य करने वालों की धूर्तता सिर्फ इतनी ही है कि इन सबों ने मिलकर सम्यक संस्कृति वाली पालि शब्द #वेद, जिसका अर्थ अनुभव होता है, उसी शब्द से अपने कथा वाली पुस्तक का नामकरण कर दिया है।
यानी
आज कोई धूर्ततावस अपना नाम गौतम बुद्ध रख ले, तो क्या वह सम्यक संस्कृति वाला गौतम बुद्ध बन जाएगा?

अब जब वेद पुस्तक का इतना सारा साक्ष्य उपलब्ध है तो इस पुस्तक के वजूद को ईस्वी सन के आस-पास ले जाना मूर्खता ही कहा जायेगा न्।

©प्रशांत मैत्रेय #WinterSunset #Rational #Rationality #HUmanity #buddha #BuddhaPurnima #Buddhist #atheist #atheism

SK pant

#yes #वेद #are #Live #Now #Books Chanchl Sharma Anika Bhardwaj Vikash Sharma Isha Jain Vinu Kc

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दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़कियां
पार्कों सिनेमाघरों दुकानों पर नही दिखतीं
बल्कि वे दिखतीं हैं किसी लाइब्रेरी में
चुपचाप किताबें पढ़ती हुईं।

~ अनुज 'दरवेश'

©Mk Madhav #yes #वेद #are #Live 
#Now 


#Books  Chanchl Sharma Anika Bhardwaj Vikash Sharma Isha Jain Vinu Kc

Rakesh frnds4ever

जब तक #हिंदी थी, #वेद ,#उपनिषद् , #आयुर्वेद थे #भारत एक #गुरुओं का #देश था आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है तो भारत आज #गुंडों का देश है ऐसे गुंडे

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जब तक हिंदी थी, 
वेद ,उपनिषद्, आयुर्वेद थे 
भारत एक गुरुओं का देश था 
आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है
तो भारत आज गुंडों का देश है
ऐसे गुंडे
जो अपनी ही संस्कृति का चीर हरण कर रहे हैं
अपनी ही धरती मां की हत्या कर रहे हैं

खुद को educated बताने वाले 
रिश्तों को शर्मशार कर रहे हैं
बलात्कार ,रेप ,मर्डर ,अपहरण कर रहे हैं

जब हम हिन्दी थे तो हम हिन्दू थे 
आज हम educated है तो
 हम जात पात ऊंच नीच रंग भेद 
के कीचड में सने हुए हैं

जब हम भारतीय थे 
हम प्रकृति के अनुरूप थे
आज हम शारीरिक मानसिक बौद्धिक 
ज्ञानात्मक भावनात्मक सांस्कृतिक रूप से 
अंग्रजियत के गुलाम बन कर 
साइंस ,विकास , तकनीकी, प्रोद्योगिकी,हॉस्पिटल,स्कूल,आदि के
 भ्रम में फंस कर अपनी धरती मां,पर्यावरण,प्रकृति
 ओर खुद अपनी जान के दुश्मन बने हुए हैं,,.... जब  तक #हिंदी  थी, 
#वेद  ,#उपनिषद् , 
#आयुर्वेद  थे 
#भारत  एक #गुरुओं 
 का #देश  था 
आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है
तो भारत आज #गुंडों  का देश है
ऐसे गुंडे

kishan mahant

#वेद का ज्ञान कहता है

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हर छोटा बदलाव बड़ी 
कामयाबी का हिस्सा होता है
वेद का ज्ञान कहता है

©kishan mahant #वेद का ज्ञान कहता है

शून्य(ब्राह्मण)

मौत का सफर ही अंतिम है फिर क्यूं बहस करता है...
जब कोई नहीं है तेरा तो इतना परिश्रम क्यूं करता है!

तेरी अर्थी को जो लोग छूने आएंगे वो भी भूल जाएंगे...
किस बात का गुमान तू सीने में रखकर बात करता है!

जाने दे ऐ नादान ना इतिरा अपने वक्त कर आज...
तू क्या है तेरी औकात क्या है क्यूं ये बकवास करता है!

तुझसे पहले भी बहुत आए और चले गए इस दुनिया से
तू खुदा है ये महज गलतफहमी है जो दिमाग में रखता है!!!

   
       
        #वेद #हकीकत #सच्चाई_ज़िंदगी_की

शून्य(ब्राह्मण)

शून्य(ब्राह्मण)

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#मेरे______जाने_के_बाद 

मेरे जान के बाद तुझे भी मेरी कमी महसूस तो ज़रूर होगी ..
किस हाल में हूँ मैं ये सोचकर तेरी आँख नम ज़रूर होगी !
आसां नहीं है मेरी यादों को मिटाना इतनी आसानी से ..
होकर गिरफतार मेरी यादों में बिन मौसम बरसात भी ज़रूर होगी !.
मेरे जाने के बाद तुझे भी मेरी कमी महसूस तो ज़रूर होगी !!!

समेट लेना सीने मे उन हसीं लम्हों को हमने साथ बिताये थे ..
बिना मेरे अब अकेले जीने में तुझे परेशानी तो ज़रूर होगी !
तू ज़ितना मेरे पास होगी उतना ही खुद से तू दूर होगी ..
जो बस चला किस्मत पर तो ये मुकालात ज़रूर होगी !
मेरे जाने के बाद तुझे मेरी कमी महसूस तो ज़रूर होगी !!

कोई ख्वाहिश नहीं थी कि किसी के इतने खास बन जायें 
मगर हसरत मेरे दिल की तुझे पाने की अब ज़रूर होगी !
तुम तो ड़ूब ना जाना खामोशी में खुद को ही खोकर कहीं .
ज़िन्दगी रही तो अधुरी दास्तां भी मुकम्मल भी ज़रूर होगी !
मेरे जाने के बाद तुझे भी मेरी कमी महसूस तो ज़रूर होगी !!!

लौटकर आऊँगा मैं तुझसे आज वादा ये करके ही जाता हूँ ..
तू दीवानगी है दिल की मेरे तू ही इस दिल का फितूर होगी !
ज़िसको झुका ना पायेगा ज़माना तू मेरा वो गुरूर होगी ..
मालूम है अब अलविदा कहने का वक्त नहीं पर तू मुझसे दूर होगी !
मेरे जान के बाद तुझे भी मेरी कमी महसूस तो ज़रूर होगी !!!!

#वेद

'मनु' poetry -ek-khayaal

वेद

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वेद के पहले न सत्य था न असत्य, प्रथम वेद में देवता भी उन्हें माना गया जो दृश्यमान प्राकृतिक शक्ति उर्जा स्त्रोत एवम तत्व थे, प्रथम वेद स्तुति संग्रह है, 
मानव बुद्धि के विकास के साथ साथ समाज और ईश्वर की धारणा को बल दिया गया। 
'मनु' वेद
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