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Dhaneshdwivediwriter
रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है। ...... ©Dhaneshdwivediwriter रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि
रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि
read moreAnjali Singhal
"हमदर्द नहीं बन सकते तो न सही, पर दूसरों का दर्द कभी मत बनना, झूठी हमदर्दी जताकर तुम उनके, दिल में दर्द कभी मत भरना। एक बार टूटकर तो इंसान, फिर भी है संभल जाता, पर मुश्किल हो जाता है दोबारा, उसके लिए टूटकर संभलना।।" ©Anjali Singhal "हमदर्द नहीं बन सकते तो न सही, पर दूसरों का दर्द कभी मत बनना, झूठी हमदर्दी जताकर तुम उनके, दिल में दर्द कभी मत भरना। एक बार टूटकर तो इंसान,
"हमदर्द नहीं बन सकते तो न सही, पर दूसरों का दर्द कभी मत बनना, झूठी हमदर्दी जताकर तुम उनके, दिल में दर्द कभी मत भरना। एक बार टूटकर तो इंसान,
read moreHimanshu Prajapati
White एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं मानते हैं, बस यह बात सुनकर मेरा दिल रोने लगा था..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं
#love_shayari एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है, कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे। टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी, अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे। बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं, मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी। मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका, उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी। ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी, मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे। बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी, राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे। भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं, मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे। नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर, मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे। बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त, और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे। मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया, इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे। दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा, तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे। मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू, उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN #GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क
#GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क
read morepuja udeshi
रेत जैसी छूट रही हैं हथेली से life ज़ी लो ज़िन्दगी प्यार से..... अपनों के साथ ❤️ ©puja udeshi #Jindagi नहीं मिलेगी दोबारा
#Jindagi नहीं मिलेगी दोबारा
read moreAnjali Singhal
"यादों के आईने में उभरी है आज एक धुंधली-सी याद, उम्र मेरी रही होगी करीब आठ-दस साल। पाँचवीं-छठी में मैं पढ़ती थी प्रश्न को प्रसन्न कहती थी। वै
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