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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#leafbook कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है

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Unsplash कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है 
और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है
माना मुमकिन नहीं है अब लौट कर आना 
बस यही आश में अपनो से दूर हुए बैठे है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #leafbook कभी कभी देखे हुए सपने भी टूट जाते है 
और हम सिर्फ दोराहे पर खड़े रह जाते है

बेजुबान शायर shivkumar

वो अच्छा है तो #बेहतर और #बुरा भी है तो कबूल मिजाज–ए–इश्क़ में ऐब ए यार नहीं देखे जाते... #बेजुबानशायर #शायरी #erotica #erotic

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वो अच्छा है तो बेहतर और बुरा भी है तो कबूल 
मिजाज–ए–इश्क में ऐब ए यार नहीं देखे जाते...

©बेजुबान शायर shivkumar वो अच्छा है तो #बेहतर  और #बुरा  भी है तो कबूल 
मिजाज–ए–#इश्क़ में ऐब ए यार नहीं देखे जाते...


#बेजुबानशायर #शायरी #Nojoto #erotica #erotic

Anant Nag Chandan

#Hug हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें, उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका। अनन्त

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हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका।
अनन्त

©Anant Nag Chandan #Hug हाय! कोई देखे ये मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
उसे गले लगाकर मैं कभी रो भी न सका।
अनन्त

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

भाषा शैली स्वलिखित पंजाबी रचनाएं हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक सुकून (ਸ਼ਾਂਤੀ) विधा शायरीनुमा भाव वास्तविक . .

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Sarfaraj idrishi

पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया ये आज तक पता नहीं लगा पाए लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है ये जरुर पता लगा लिए Isla

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पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया
 ये आज तक पता नहीं लगा पाए 

लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है
 ये जरुर पता लगा लिए 🤔

©Sarfaraj idrishi पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया ये आज तक पता नहीं लगा पाए लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है ये जरुर पता लगा लिए Isla

Jayesh gulati

तू आ कभी और मेरे बाल सवार दे । आ कर मेरा ये हाल सवार दे ।। देखो मेरी आंखों से, कभी तुम खुद को भी । छू कर इस बीमार की, तबियत सवार दे ।। कर

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White संवार दे।
(read full in caption)

©Jayesh gulati तू आ कभी और मेरे बाल सवार दे ।
आ कर मेरा ये हाल सवार दे  ।।

देखो मेरी आंखों से, कभी तुम खुद को भी ।
छू कर इस बीमार की, तबियत सवार दे ।।

कर

Rameshkumar Mehra Mehra

# किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना

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किसी को चूमना भी.............
एक तरह का सबांद है....!
जिसमें शब्द तो नही...!!
पर ब्याकरण जरुर है...!!!
चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है..!!!!
जो जिस्म से पहले....!!!!!
आत्मा को चूमना जानते है...

©Rameshkumar Mehra Mehra # किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना

Rameshkumar Mehra Mehra

# बेशक मै..... तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे

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White बेशक मै....................
तुम्हारी जिंदगी का बो गुलाब नही....!
जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता..!!
लेकिन हाँ......!!!
मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरूर था..!!!
जिसकी छाँव मे तुम आपने जीबन की...!!!!
हर तपिश से मुक्त हो सकती थी....!!!!!
अफसोस,तुम समझ ना सकी....💓

©Rameshkumar Mehra Mehra # बेशक मै.....
तुम्हारी जिंदगी का बो 
गुलाब नही,जो तुम्हारी जिंदगी को महका देता,लेकिन हाँ,मै तुम्हारी जिंदगी का बो पेड जरुर था,जिसकी छाॅब मे

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित हिन्दी रचना शीर्षक समय विधा विचार भाव वास्तविक अभी शून्य है तरु समय पक्ष में नहीं अपने जब होगा दुख भरे संघर्षों में थोड़ा सुक

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gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प
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