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Priya Kumari Niharika
महाभारत वह अध्याय है जो धर्म का अभिप्राय है जहां धर्म न्याय का मान है, वहीं भूमि का कल्याण है विध्वंस के शुरुआत का धर्म के प्रभात का उद्देश्य नहीं संघार का, है धर्म के संग्राम का कहीं लोभ था राज का, कहीं चिंता धर्म काज का था समर जीत ना हार का केवल जग के उद्धार का कुरुक्षेत्र के सौभाग्य का, अन्याय के दुर्भाग्य का सत्य और यथार्थ का, स्वार्थ और परमार्थ का कर्मों के परिणाम का, कलंक और कल्याण का दर्द के उपचार का , धर्म के सुविचार का कर्तव्य के निर्वाह का, सामर्थ्य के प्रवाह का सत्यवती की महत्वाकांक्षा का, शकुनी की आकांक्षा का पांडु और धृतराष्ट्र का , अपराध गांधार राज का गांधारी के विवाह का, सौ पुत्रों के उत्साह का धर्म के साम्राज्य का , कौरवों के अन्याय का चौसर के हर चाल का , कुरुक्षेत्र के भीषण हाल का दुर्वासा के आशीर्वाद का , अखिलेश्वर के प्रसाद का भीष्म के भीषण प्रण का, द्रोपदी के वस्त्र हरण का कुरु वंश के आधार का, प्रपंच के कुविचार का सत्ता के अधिकार का, भीष्म के प्रतिहार का इच्छा के संताप का, संतोष के प्रताप का गुरु द्रोण के दिए ज्ञान का अर्जुन के एकाग्र ध्यान का युधिष्ठिर के धर्म का, अर्जुन के महाकर्म का सहदेव नकुल के रण का, संग भीम के महाबल का श्री कृष्ण के सामर्थ का, कौरवों के महा अनर्थ का सुभद्रा के अनुदान का, वीर अभिमन्यु महान का दुर्योधन के व्यभिचार का , कौरवों के अत्याचार का यह कर्ण के बलिदान का, पांचाली के अपमान का कुरु वंश के अभिमान का, विध्वंस के आह्वान का ग्रहण ये अंशुमान का, धर्म के विहान का समर नहीं अंधकार का, अधर्म के प्रतिकार का सृष्टि के नव निर्माण का, मनुष्य के कल्याण का कुरु वंश के रक्तपात का, कुकर्म के हालात का यह धर्म के आह्वान का, अधर्म के अवसान का है ©verma priya महाभारत वह अध्याय है जो धर्म का अभिप्राय है जहां धर्म न्याय का मान है, वहीं भूमि का कल्याण है विध्वंस के शुरुआत का धर्म के प्रभात का उद
DR. SANJU TRIPATHI
कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें। 👇👇👇👇 राजा प्रतीक कुरु वंश में हुए थे शांतनु उनके दूसरे पुत्र थे जब पुत्र की कामना से राजा प्रतीक गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके रूप सौंद
नेहा उदय भान गुप्ता
नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।। अनुशीर्षक में पढ़े...👇👇 नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।।1 चन्द्रवंशी शासक ये, प
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
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N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है, और इसे लिखने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है, इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न केवल भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परम्परा का भी सार है। महाभारत की विशालता महानता और सम्पूर्णता का अनुमान उसके प्रथमपर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका भावार्थ है, 'जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।' यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। अनुमान किया जाता है कि महाभारत में वर्णित 'कुरु वंश' १२०० से ८०० ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि अर्जुन के पोते परीक्षित और महापद्मनंद का काल ३८२ ईसा पूर्व ठहरता है। यह महाकाव्य 'जय', 'भारत' और 'महाभारत' इन तीन नामों से प्रसिद्ध हैं। वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भरतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले। इसके बाद व्यास जी ने २४,००० श्लोकों का बिना किसी अन्य ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों का केवल भरतवंशियों को केन्द्रित करके 'भारत' काव्य बनाया। इन दोनों रचनाओं में धर्म की अधर्म पर विजय होने के कारण इन्हें 'जय' भी कहा जाने लगा। महाभारत में एक कथा आती है कि जब देवताओं ने तराजू के एक पासे में चारों 'वेदों' को रखा और दूसरे पर 'भारत ग्रंथ' को रखा, तो 'भारत ग्रंथ' सभी वेदों की तुलना में सबसे अधिक भारी सिद्ध हुआ। अतः 'भारत' ग्रंथ की इस महत्ता (महानता) को देखकर देवताओं और ऋषियों ने इसे 'महाभारत' नाम दिया और इस कथा के कारण मनुष्यों में भी यह काव्य 'महाभारत' के नाम से सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। जय श्री कृष्ण। जय श्री राधे।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म
Vansh maurya"prince"
सराफत झलकती है जिनके लफ्ज़ो से वो बातों के खिताब रखते है।।। सच्चे आशिक़ जो टूट चुके है मोहब्बत में वो एक -एक बातों का हिसाब रखते हैं #Heart वंश