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sagar

अमन सिन्हा

DR. SANJU TRIPATHI

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अश्विनी कुमार नकुल सहदेव पांच पांडवों में चौथे और पांचवें स्थान पर थे।
माता माद्री के कोख से इनका जन्म चिकित्सक अश्विनों के वरदान से हुआ था।

नकुल, सहदेव शक्ति और रूप में जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से बढ़कर थे।
नकुल का अर्थ है परम विद्वान नकुल धर्म नीति और चिकित्सा शास्त्र में दक्ष थे।

नकुल के गुरु द्रोणाचार्य थे नकुल पशु चिकित्सा और अश्वविद्या में दक्ष थे।
अज्ञातवास में नकुल ने ग्रंथिक का भेष बना राजा विराट के घोड़ों की देखभाल की।

नकुल वर्षा में बिना जल छुए घुड़सवारी कर सकते थे घुड़सवारी में पारंगत थे।
पत्नी द्रौपदी से पुत्र शतानीक और पत्नी करेणुमति से निरमित्र पुत्र हुए थे।

नकुल कामदेव सम सुंदर थे इसी घमंड के कारण स्वर्ग जाने के मार्ग में मृत्यु हुई थी।
सहदेव सबसे छोटे पांडु पुत्र थे यह भी पशुपालन शास्त्र और चिकित्सा में दक्ष थे।

अज्ञातवास में राजा विराट के यहां पशुओं की देखरेख व गाय चराने का कार्य किया।
सहदेव ने द्रोणाचार्य से धर्मशास्त्र चिकित्सा के अलावा ज्योतिष विद्या भी सीखी।

त्रिकालदर्शी थे सहदेव महाभारत के परिणाम जानते थे श्रीकृष्ण ने श्राप से चुप रहे।
सहदेव की चार पत्नियां थी द्रौपदी विजया भानुमति और जरासंध की कन्या।

सहदेव के नाम से तीन ग्रंथ प्राप्त हैं व्याधिसंधिमर्दन अग्नि शोध और शगुन परीक्षा।
अश्विनी कुमार नकुल और सहदेव भाइयों और माताओं के अति प्रिय थे
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DR. SANJU TRIPATHI

हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी का पुत्र था दुर्योधन। महाबली योद्धा श्रेष्ठ गदाधारी द्रोणाचार्य का शिष्य था दुर्योधन। कौरव वंश का सौ पुत्रों में श्रेष्ठ पुत्र, बड़ा ही महत्वाकांक्षी था। शकुनि मामा ने बना दिया था दुर्योधन को राजपाट का लोभी। राजपाट और सिंहासन पाने को रहता था वह प्रबल आकांक्षी। कौरव सदा ही पांडवों को नीचा दिखाने की युक्ति लगाते थे।

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कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें
👇 👇 👇👇 हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी का पुत्र था दुर्योधन।
महाबली योद्धा श्रेष्ठ गदाधारी द्रोणाचार्य का शिष्य था दुर्योधन।

कौरव वंश का सौ पुत्रों में श्रेष्ठ पुत्र, बड़ा ही महत्वाकांक्षी था।
शकुनि मामा ने बना दिया था दुर्योधन को राजपाट का लोभी। 

राजपाट और सिंहासन पाने को रहता था वह प्रबल आकांक्षी।
कौरव सदा ही पांडवों को नीचा दिखाने की युक्ति लगाते थे।

DR. SANJU TRIPATHI

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भाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार है कृष्ण भार्या देवी रुक्मिणी।
भगवान कृष्ण की पत्नी और द्वारिका की रानी है देवी रुक्मिणी।

लक्ष्मी जी विष्णु की शक्ति और कृष्ण की शक्ति है रुक्मिणी।
शक्तिशाली विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी देवी रुक्मिणी।

गुण, चरित्र, आकर्षण और महानता में लोकप्रिय थी रुक्मिणी।
कृष्ण से प्रेम के कारण विवाह करना चाहती थी देवी रुक्मिणी।

भाई रुक्मी ने शिशुपाल से विवाह तय किया विरोधी थीं रुक्मिणी।
 कृष्ण को प्रेम पत्र लिखकर विवाह का प्रस्ताव भेज बुलायीं रुक्मिणी।

गिरजा मंदिर जाने के बहाने से महल के बाहर आई रुक्मिणी।
स्वेच्छा से कृष्ण के संग रथ पर सवार हो गई थी देवी रुक्मिणी।

रुक्मी व कृष्ण के बीच घमासान युद्ध में रुक्मी की जान बचाई रुक्मिणी।
द्वारिका में दोनों का विवाह रचाया गया प्रेम से संग रहे कृष्ण रुक्मिणी।

वास्तविक आंतरिक सुंदरता से ओतप्रोत समर्पित पत्नी थी रुक्मिणी।
कृष्ण की अति प्रिया और सबसे समझदार पत्नी थी रानी रूक्मिणी।
-"Ek Soch"    #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #krishna_bharya_rukmini


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महाभारत के अत्यंत महत्वपूर्ण पात्र थे वीर योद्धा अभिमन्यु।
महाभारत के नायक अर्जुन और सुभद्रा के सुपुत्र थे अभिमन्यु।

अभिमन्यु का बाल्यकाल अपनी ननिहाल द्वारिका में बीता था ।
अभिमन्यु का विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ था।

माता की कोख में रहते हुए ही चक्रव्यूह भेदन का रहस्य जाना।
अर्जुन के मुख से व्यूह के छः द्वार भेदन ही वह सुन पाया था।

सुभद्रा के बीच में निद्रामग्न होने से बाहर आना न सुन पाया।
महाभारत के युद्ध में कौरवों ने पांडवों के लिए चक्रव्यूह रचा।

अर्जुन और कृष्ण को धोखे से युद्ध से दूर भेज दिया गया था।
अर्जुन के सिवा चक्रव्यूह का भेदन करना कोई नहीं जानता था।

अभिमन्यु मात्र सोलह वर्ष का था जब उसने युद्ध का निर्णय लिया।
अभिमन्यु की मृत्यु का कारण जयद्रथ था उसने पांडवों को रोक लिया।

व्यूह के अंतिम चरण में कौरवों ने युद्ध नीति के विरुद्ध कार्य किया।
अभिमन्यु अकेला था सब ने मिलकर उस पर वार कर वध किया।

अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने को अर्जुन ने जयद्रथ को मारा।
अभिमन्यु असाधारण योद्धा था युद्ध में छल द्वारा दु:खद अंत हुआ।
-"EkSoch"   #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #veer_abhimanyuu


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भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी तिथि की अर्द्धरात्रि में,
श्री विष्णु ने कृष्ण के रूप में मथुरा के कारागार में देवकी के गर्भ से जन्म लिया।

कृष्ण ने धरा पर अनाचार और अत्याचार को मिटाने के लिए ही अवतार लिया।
कृष्ण को मारने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद किया।

कृष्ण ने जब आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया कारागार के द्वार स्वत: ही खुल गए।
वासुदेव कृष्ण को लेकर जमुना पार करके अपने मित्र नंद के घर पर छोड़ आए।

कृष्ण नंद बाबा और यशोदा के लाडले पुत्र और गोकुल में सबके ही प्रिय कहलाए।
कंस ने कृष्ण को मारने के लिए पूतना के साथ-साथ ना जाने कितने राक्षस भिजवाए।

कृष्ण ने बाल लीलाएं दिखा दिखाकर सबका वध किया सबको अचरज में डाला।
कृष्ण की बाल लीलाएं और मोहनी मूरत को देखकर सब जन के मन हर्षाए।

गोकुल में कान्हा, गोपियों को छेड़ते, माखन चुराते, मटकी फोड़ते वस्त्र भी चुराए।
कभी गोवर्धन पर्वत को उठाये कभी कालिया नाग का मर्दन किया लीलाएं दिखाएं।

मथुरा में जब कंस का अत्याचार हद से बढ़ गया मैय्या को मथुरा जाने के लिए मनाए।
बलराम के संग कृष्ण मथुरा को गए, कंस को मारकर, कंस का अत्याचार मिटाएं।

राधा संग प्रेम कर महारास किया,गोपियों संग रास रचाए,सुदामा के मित्र कहलाए।
महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने गीता का ज्ञान देकर अपनों का मोह छुडा़ए।
-"Ek Soch"







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राजा द्रुपद की बेटी यज्ञ कुंड में जन्मी थी पांचाली।
स्वयंवर में मछली की आंख का भेदन करना था। 

अर्जुन ने लक्ष्य को साध कर द्रौपदी का वरण किया।
घर आकर अर्जुन ने मां से कहा भिक्षा मिली अनोखी।

माता ने बिना देखे ही आपस में बांट लेने को कहा। 
माता की अटल आज्ञा को पांडवों ने शिरोधार्य की।

पांचाली ने भी मां का आशीर्वाद समझकर स्वीकारा।
हस्तिनापुर आकर पतियों के साथ खुशी से रहने लगी।

धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से द्युतक्रीड़ा खेलने का संदेश भेजा।
दुर्योधन ने अपने संग मामा शकुनि को खेलने बैठाया।

पांडव राज- पाट, भाइयों के संग, स्वयं को भी हार गए।
अंतिम चाल में युधिष्ठिर ने पांचाली को भी दांव पर लगाया।

नैतिकता की मर्यादा तोड़ दुशासन द्रौपदी को सभा में लाया।
दुर्योधन ने द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का फरमान था सुनाया।

भरी सभा में किसी ने भी द्रौपदी का साथ ना था निभाया।
गिरधारी को याद किया चीर को बढ़ा कर लाज को बचाया।

वनवास में भी द्रौपदी ने पांडवों का पूरा-पूरा साथ निभाया।
अज्ञातवास में वेश बदल दासी बन रानी की सेवा में वर्ष बिताया।

महाभारत के युद्ध और कौरवों के वंश के विनाश का कारण बनी।
कृष्ण को सखा और कृष्ण की बहन सुभद्रा को छोटी बहन बनाया।

महाभारत के युद्ध में पांचाली ने अपने पांचों पुत्रों को गंवाया।
महाभारत के युद्ध में पांडवों ने धर्म की अधर्म पर जीत प्राप्त की।
-"Ek Soch"


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मानव जीवन के कर्म ही उसका जीवन सफल बनाते और दिशा तय करते हैं।
दुनियां में भीष्म के सिवा न कोई है जिसने पिता के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य अपनाया।

गंगा ने शांतनु से कार्य में हस्तक्षेप न करने का वचन ले विवाह कर पुत्रों को जन्म दिया। 
सात वसुओं को गंगा नदी में बहा श्राप मुक्त किया आठवीं में शांतनु ने रोक दिया।

जिस कारण गंगा छोड़ कर चली गईं आठवें पुत्र देवव्रत ही भीष्म पितामह कहलाए।
सद्गुणी वीरता से संपन्न आजीवन हस्तिनापुर के सिंहासन के प्रति निष्ठावान रहे।

निषाद कन्या सत्यवती के प्रेम में पड़कर महाराज शांतनु ने अपनी सुध बुध गंवाई।
देवव्रत ने पितृ मोह वश आजीवन ब्रह्मचारी रहने का वचन ले पिता का विवाह कराया।

पिता ने पुत्र भक्ति से प्रसन्न हो इच्छा मृत्यु का वरदान दिया इसलिए भीष्म कहलाए। 
सौतेले भाई विचित्रवीर्य के विवाह के लिए काशीराज कन्याओं का अपहरण किया।

अंबा के प्रेम को जान प्रेमी के पास भेजा अपना फर्ज समझकर निभाया।
प्रेमी ने तिरस्कार कर अंबा को लौटाया, भीष्म से  विवाह करने का मन बनाया।

भीष्म प्रतिज्ञा बता मना किया तो उनकी मृत्यु का कारण बनने का बीड़ा उठाया।
अंबा ने पुनर्जन्म लेकर महाभारत के युद्ध में भीष्म को मौत के द्वार पहुंचाया।

इच्छा मृत्यु अभिशाप साबित हुई जीवन पर्यंत निष्ठापूर्वक कर्त्तव्य में बिताया।
अच्छे बुरे सब दिन देखे अंत समय बाण शैय्या पर बिता अंत में मोक्ष को पाया।     #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #bhishma_pitamah


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भगवान श्री कृष्ण और बलराम की बहन थी राजरानी सुभद्रा।
पिता वासुदेव और माता रोहिणी की लाडली पुत्री थी सुभद्रा।

रैवतक पर्वत के प्रसिद्ध उत्सव में घूमने के लिए गयीं थी सुभद्रा।
उत्सव में वीर अर्जुन के तेज को देखकर मोहित हो गयीं सुभद्रा।

एक दूसरे को देखकर मन ही मन चाहने लगे अर्जुन और सुभद्रा।
बलराम ने दुर्योधन के साथ सुभद्रा का विवाह निश्चित था किया।

श्रीकृष्ण ने मन की बात जान अर्जुन को अपहरण का उपाय सुझाया।
शादी से पहले गौरी मंदिर गयीं वहीं से अर्जुन ने अपहरण कर लिया।

श्रीकृष्ण के कहने पर ही सुभद्रा ने स्वयं अर्जुन का रथ था चलाया।
इस कारण द्वारपाल न रोक सके, जाकर बलराम को तुरंत बताया।

क्रोधित बलराम को हकीकत बताकर श्रीकृष्ण ने क्रोध शांत कराया।
श्रीकृष्ण के समझाने पर ही बलराम ने धूमधाम से उनका ब्याह रचाया।

सुभद्रा ने द्रोपदी को बड़ी बहन माना, द्रोपदी ने भी सहर्ष गले लगाया।
द्रोपदी कृष्ण को अपना सखा व भाई मानती थी छोटी बहन बनाया।

सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी अर्जुन की पत्नी और अभिमन्यु की मां बन गौरव पाया।
वीर अभिमन्यु ने महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह को तोड़ वीरगति पायी।
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