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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।। कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती । बुझे वो प्यार के दीपक नहीं अब यूँ जलाता है ।। बहारें पूँछ लेती हैं अभी भी नाम क्या उसका । मुहब्बत में तुम्हें दोजख यहाँ जो अब दिखाता है ।। करो शिकवा गिला हमसे नही अब आप भी ज्यादा । तुम्हारी राह में वो गुल अकेला ही खिलाता है ।। बचाकर हुस्न रक्खा है सुनो उसके लिए मैने । हमारे जो इशारे पे ये तारे तोड़ लाता है ।। जताकर वो.वफ़ा हमसे हमारा आज तन माँगे । जो दुनिया से अलग खुद को मुझे अक्सर बताता है ।। सभी आते प्रखर दौड़े मुहब्बत का दीया लेकर । मगर मैं राह तकती हूँ जो लेकर चाँद आता है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।। कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती । बुझे वो प
ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।। कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती । बुझे वो प #शायरी
read moreYashpal singh gusain badal'
ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई । सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले । उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई । आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ । माटी का बना था सो माटी में मिल गई । नाज है किस बात का किसका गुरूर है । अच्छे-अच्छों की यहाँ हवा निकल गई । थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से । हाथों से वो प्यार की डोरी फिसल गई । "बादल" गलत उठे थे कदम राह-ए-शौक में, फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।। ©Yashpal singh gusain badal' #retro ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के र
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ख़ुद को इतना जो हयादार समझ रक्खा है ,क्या हमें बेहया_बेमेआर समझ रक्खा है//१ हमने अजमत के किरदार को लिबास की मानिंद पहना है,तुमने लिबासे कपड़ा ही को किरदार समझ रक्खा है// मेरी संजीदा सदाकत पे भी शक है लोगो को, जरदारो ने मुझको*पसमांदाकार समझ रक्खा है//३ उसको खुद्दार कैसे बताया जाय,फकत जिसने लूटमार को ही अपना कारोबार समझ रक्खा है//४ तू किसी रोज कहीं बेमौत न मारा जाए के"शमा" तुने सियासतदानो को ही*हमवार समझ रक्खा है//५ ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #againstthetide ख़ुदको इतना जो हयादार समझ रक्खा है,क्या हमें बेहया_ बेमेआर समझ रक्खा है//१ हमने अजमत के किरदार को लिबास की मानिंद पहना है,
#againstthetide ख़ुदको इतना जो हयादार समझ रक्खा है,क्या हमें बेहया_ बेमेआर समझ रक्खा है//१ हमने अजमत के किरदार को लिबास की मानिंद पहना है, #Live #writersofindia #nojotohindi #shamawritesBebaak
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