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Dr Mahesh Kumar White
मेरे गांव से अगला उसका गांव है। मेरे पैर में जैसे उसका पैर है।। ©Dr Mahesh Kumar White #पड़ोस
Shahab
ज्यादा कुछ नहीं बदला जिंदगी में बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते हल्के हो गए हैं, आज की सच्चाई तो यह है कि फेसबुक और व्हाट्सएप पर 500 से ज्यादा फ्रेंड्स है और असल जिंदगी में अपने पड़ोस से बातचीत बंद है । #पड़ोस
पूर्वार्थ
पड़ोस की एक बगिया से फूल ले आया हूँ! माली ने दौड़ाया बहुत,बच बचा कर आया हूँ! इसे बालों में सजा लेना,काँटों से लड़ कर आया हूँ! प्रेम मेरा शायद ये कर दे बयां, उम्मीद यही लाया हूँ! इसकी खुशबू में खो जाओगी तुम,हौसला कमाल लाया हूँ! शरमा कर नजरें झुकनी ही थी,मैं फूल गुलाब लाया हूँ! फूल तुम्हें आये पसंद, पसंद तुम्हारी सखी से पूछ आया हूँ! मैं बस तुम्ही से कर सकूं, कुछ ऐसे सवाल लाया हूँ! हक़ीक़त में जीने की,छोटी से फरियाद लाया हूँ! फूलों सा हौसला,ज़िन्दगी सी तुम, मोह्हबत सा कुछ खास लाया हूँ! बगिया से एक फूल के लिए एक फूल लाया हूँ! ©पूर्वार्थ #पड़ोस #बगिया #फूल
Sumit Sharma
आज काल के नजारा दिखने में और कुछ लगता है बट सीटी में होता है और कुछ ©Sumit Sharma #सिटी#
Surekha Patel(Angel)
जो लकीरों में नही दिल उनकी तमन्ना कर बैठा है नैनो को रोने होंठो को हंसने का काम दे बैठा है ©Surekha Patel सिटी
Radheshyam
मन के पड़ोस का घर हैं ऐसा, मोहन, मनमोहन के जैसा उस घर में रहते मेरे भगवन हैं, उस घर में रहते श्याम सुमन हैं प्रेम की वो नगरी हैं, जीवन प्यार का वो शहर हैं, रहते उस शहर में मोहन, रहती जीवन की डगर हैं, रहना चाहूं मैं उस शहर में, जहां बस मोहन का घर हो, बीत जाएं सारी उमरियां, बीते जीवन पहर हो, हो ना कोई, इस जीवन की कैसी भी अगर, मगर हो वहां रहें मेरा श्याम हीं, वहीं इधर-उधर हो, वहीं बस हर पहर हो....... ©Radhika #NojotoHindi #श्याम सुमन का पड़ोस
suryakant sahu 'sahaj'🙏
फिर फिर लौट आतीं हैं पुरवाइयां , तुम्हारे विशाल पाषाण भवन के फौलादी दरवाजों, खिड़कियों से टकराकर , तुमने बंद कर लिये हैं,सारे झरोखे, जिनसे वायु का एक झोंका भी , नहीं घुस सके अनुमति के बिना, फिर तुम इसे वातानुकूलन कहते हो ! खड़े किये जा रहे हैं कंकरीट के जंगल, प्लास्टर से बने नकली पेड़,ग्रीन लाइट्स , नकली पेड़ों पर रखे जा रहे हैं जल पात्र युक्त कार्ड बोर्ड से बने नकली बर्ड हाउसेज, मैदानों में टर्फ बिछाई जा रही है, बालकनी में,बैठक में सजाई जा रही हैं नकली फूल पत्तियां , और इन कालोनियों को तुम ग्रीनसिटी कहते हो ! सिकुड़ता जा रहा है तुम्हारा हृदय, संकीर्ण होती जा रही हैं तुम्हारी रक्त नलिकाएं निरंतर, तुम्हारी धूर्तता लंपटता लोलुपता दंभ , तुम्हारे मस्तिष्क पर हावी होते जा रहे हैं लगातार, और तुम इसे ही एक सफल जीवन कहते हो ! #ग्रीन सिटी