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ad sanjay kumar prajapati

#सिटी राधे राधे #लव

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White चंद ख्वाहिशों ने बर्बाद कर रखी है 
जिंदगी मेरी..
       
मेरे दोस्त 
सहूलियतें तो मिलती हैं मगर सुकून 
नहीं मिलता..
❤️❤️

©ad sanjay kumar prajapati #सिटी राधे राधे

Jassi Chodhary

शहर को छोड़ कर गावों की तरफ लोटते हैं।
लाल थक जाए तो माओ की और लौटते हैं।।

©Jassi Chodhary #rush #सिटी #gav #city #Mohhabat #maa #pyar

हेयर स्टाइल by mv

#सिटी का नजारा# #मीम

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Sumit Sharma

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Daniyal

#सिटी #Forest #स्टोरी #कहानी #Nofear Riya Singh Laxman Roy Laxmi Narayan Roy Bhavna singh mautila registan #Motivational #सुना_है

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#सुना_है

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है
सुना है शेर का जब पेट भर जाए तो वो हमला नहीं करता
दरख़्तों की घनी छाँव में जा कर लेट जाता है
हवा के तेज़ झोंके जब दरख़्तों को हिलाते हैं
तो मैना अपने बच्चे छोड़ कर
कव्वे के अंडों को परों से थाम लेती है
सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े तो सारा जंगल जाग जाता है
सुना है जब किसी नद्दी के पानी में
बए के घोंसले का गंदुमी रंग लरज़ता है
तो नद्दी की रुपहली मछलियाँ उस को पड़ोसन मान लेती हैं
कभी तूफ़ान आ जाए, कोई पुल टूट जाए तो
किसी लकड़ी के तख़्ते पर
गिलहरी, साँप, बकरी और चीता साथ होते हैं
सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है
ख़ुदावंदा! जलील ओ मो'तबर! दाना ओ बीना! मुंसिफ़ ओ अकबर!
मिरे इस शहर में अब जंगलों ही का कोई क़ानून नाफ़िज़ कर!

©Daniyal #सिटी #Forest #स्टोरी #कहानी 

#Nofear  Riya Singh Laxman Roy Laxmi Narayan Roy Bhavna singh mautila registan

राहुल भारती

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आज से 5 साल पहले एक स्मार्ट से नेता ने सिटी बनाने की बात की थी। 
आज वही नेता उस स्मार्ट सिटी की फाईल को बाढ के पानी मैं ढुंड रहा है

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 5 – अक्रोध 'क्रोधं कामविवर्जनात्' हम सब उन्हें दादा कहते थे। सचमुच वे हमारे दादा - बड़े भाई थे। सगे बड़े भाई भी किसी के इतने स्नेहशील केदाचित् ही होते हों। उनका ध्यान हम सबों की छोटी-से-छोटी आवश्यकता पर रहता था। किसे कब क्या चाहिये। किसे क्या-क्या साथ ले जाना चाहिये।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
5 – अक्रोध

'क्रोधं कामविवर्जनात्'

हम सब उन्हें दादा कहते थे। सचमुच वे हमारे दादा - बड़े भाई थे। सगे बड़े भाई भी किसी के इतने स्नेहशील केदाचित् ही होते हों। उनका ध्यान हम सबों की छोटी-से-छोटी आवश्यकता पर रहता था। किसे कब क्या चाहिये। किसे क्या-क्या साथ ले जाना चाहिये।


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