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Amit Singhal "Aseemit"
भूमि, आकाश, वायु, जल और अग्नि का सकल योग, मनुष्य है सभी पाँचों तत्वों के गुणों की मिश्रित इकाई। मनुष्य है ईश्वर द्वारा रचित, जो करता बुद्धि का प्रयोग, बुद्धि का सदुपयोग विकास, दुरुपयोग है विनाश लाई। ©Amit Singhal "Aseemit" #सकल
abhaywriters_2.00
#Joker किस्मत में जो दर्द न था वो दर्द मेने देखा है.. जिसके बारेमे भला बुरा कहते थे उसी का होते देखा है... ओर भरोसा ना करना ईन मासूम सकल वालों का... मेने इनको बड़ी मासूमियत से दोखा देते देखा है... Abhay.... मासूम सकल...
Deepak Namdev
Shaitan Kehta Hai Ki जिनकी खुद की सकल तीतर जैसी होती है न, वो दूसरों की सकल पे Comment नहीं करते | #NojotoQuote तीतर जैसी सकल
Shashi Bhushan Mishra
खोखले वादों से बोलो क्या मिलेगा, पंक बिन पंकज बताओ कब खिलेगा, झूठ की तहरीर देते फिर रहे हो, सत्य का सूरज न बादल ढक सकेगा, जल प्रलय का दृश्य आए दिन है घटता, कुपित हो कर प्रकृति ऐसे ही छलेगा, कट रहे नित पेड़ जंगल जल रहा है, बोया जैसा बीज माज़ी भी चखेगा, अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार मत ख़ुद, कटे पैरों से भला क्या चल सकेगा, मत लगाओ आग नफ़रत के मुतासिर, लपटों की जद में तेरा भी घर जलेगा, कर भला तो हो भला का मंत्र 'गुंजन', जपो जीवन से सकल संकट टलेगा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सकल संकट टलेगा#
Deepak Namdev
Dekh bhai memes in hindi बहुत सुना और पढ़ा मैने कि प्यार सकल से नही दिल या सीरत से होता है आज मेरी सुनलो अब प्यार सकल देख के ही होता है दिल और सीरत सब बाद में आता है | #NojotoQuote प्यार की सकल
Deepak Namdev
कितनी खूबसूत है न वो जिंदगी/दुनिया सकल और सीरत दोनो देखती है और मेरी वाली दोनो में लाजबाब है | सकल और सीरत
Yudi Shah
हर चहेरे मे तेरि सकल नजर आए जो बोलु तुझें देख के ओ गजल बनजाए... by yudi shah #Love तेरी सकल नजर आए
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आज मावळतांना सूर्य मला काही सांगत होता जप माझ्या संध्येला म्हणून कळवळत होता होतो तो बावरा, व्याकुळ तिला भेटण्या,म्हणतो येते ती संध्या मज भेटाया का पुढे जाते मग दूर मला लोटण्या तप्त असा मी बघून तिला गार होतो माझ्यातल्या ज्वलंत पिवळ्या गोळ्याला लाल तिच्यावर पुन्हा पुन्हा इश्क़ होतो तिच्या विरहाने ग्रहणात मी जळतो बघतो तर काय ती तशीच शांत सुखद पुन्हा येऊन थांबते तरी मी वळण्यातच शहाणपण घेतो कळून चुकत मला ती माझी नव्हे पण तिच्या असण्यातच मला पुन्हा उगवण्यास अर्थ मिळतो त्रस्त तो,पुन्हा मावळण्या निघतो संध्ये साठी तीळ तीळ तुटतो मिळेल का ती मजला या भ्रमात रोज जळतो सुंदर,शांत,निथळ सुर्यालाही थोडी प्रेमात शांत करून देते स्वतः निःशब्द राहून,इतरांना व्यक्त करून जाते ##संध्या
Rãjpøôt BãÑä Ãkâsh
बेशक़ तकते हैं डूबते सवेरे को तेरी याद में, क्योंकि ज़िंदा हैं नये सवेरे के इंतेज़ार में, डूब रही हैं तू और तेरी याद मुझमे, क्योंकि दफन कर आये पुराने हम, तेरे प्यार में। #ATalk ✍️ #संध्या
Sandhya Sangdyangmu Lepcha
सबै मानिस एउटै कहिले हुदैन फरक धेरै हुन्छ नि.... तर एउटाको गल्तीको कारण हामीले अरूहरूलाई बुझ्न चाहादैनौ कहिले..!! ©Sandhya Sangdyangmu Lepcha #संध्या