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रणजीत राही देवास
खिली है बाग़ में कलियाँ लगी पुरवाई चलने को, लो आया प्यार का मौसम लगे दो दिल मचलने को। रणजीत राही देवास
Shailendra Anand
रचना दिनांक २४,,९,,२०२३ वार रविवार समय शाम सात बजे ्््शीर्षक ्् ्््भावचित्र ्् ््सुगंध दशमी एवं तेजा दशमी पावन पर्व पर नागदाह है देवास का नागदा क्षैत्र में ्् ्््भावचित्र ्् यह सुगंध दशमी एवं तेजादशमी का पावन पर्व पर अगर ऐतिहासिक महत्व की झलक मिलती है जो शास्त्र सम्मत श्रीमद्भागवत पुराण कथा के दृष्टांत में व्दापर युग में राजा परीक्षित के श्रापित होने के पश्चात राजा जनमेजय ने नाग यज्ञ ऊंतक ऋषि आचार्यत्व में यज्ञ हुआ था। यही यज्ञ स्थली है जो मंत्रोपचार से आमन्त्रित कर नागो आवाहित किया गया था।।इस तपोस्थली पर आयुर्वेदाचार्य धनवन्तरी और अनेक श्रृषि मुनि महर्षियों वेदज्ञ महात्मा पधारे थे।।जिसका नाम महत्व इस देवास की शान है जो गौरवान्वित महसूस करते हुए यह संकलित आख्यान को पढ़कर आनंद लीजिए संकलन कर्ता कवि शैलेंद्र आनंद २४सितम्बर२०२३ ©Shailendra Anand #Wochaand सुगंध दशमी एवं तेजा दशमी के पावन पर्व पर नागदाह है देवास का नागदा क्षैत्र है ्््
Shailendra Anand
जंरचना दिनांक 13,,११,,२०२३ वार सोमवार समय ््सुबह ९,,००बजे ््््् शीर्षक ्् शीर्षक छाया चित्र मौरपंख में विराजित कृष्ण कन्हैया लाल सेठिया जी सेठ जी अन्नपूर्णा अन्नंअनामय में विराजित अन्नकूट महोत्सव प्रसाद ने संजाया गया श्रीनाथजी मंदिर को मन प्रसन्न है।। ््््् ईश्वर सत्य है अन्नंअनामय देवी भवानी सिंह वाहिनी कूष्माण्डा शुभदास्तु सदा करुणाकरणं श्रीं महालक्ष्मी देवीभ्यों से अपनी रूह मे खो कर प्यार करने वाले ।। श्रीं नाथजी से सुसज्जित श्रीनाथ जी के श्री चरणों में समर्पित अपनत्व करिष्यामि तदपश्यात कर्म भूमि वर्चस्व है ,, अन्नपूर्णा अन्नंअनामय में अन्नकूट प्रसादी ग्रहण में मंगलमय हो,, प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।्््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद १३नवम्बर २०२३httpshttps://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0SaYbpvrxPdF4gFsocrBaRhNK1yoMJwWhuyrT2Tsf2g8UnC4mg1TyesHcF5nv3bGTl&id=100086162924811&mibextid=Nif5oz://m.facebook.comhttps://m.facebook.com/story.php?story_fbidhttps://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0SaYbpvrxPdF4gFsocrBaRhNK1yoMJwWhuyrT2Tsf2g8UnC4mg1TyesHcF5nv3bGTl&id=100086162924811&mibextid=Nif5oz=pfbid0SaYbpvrxPdF4gFsocrBaRhNK1yoMJwWhuyrT2Tsf2g8UnC4mg1TyesHcF5nv3bGTl&id=100086162924811&mibextid=Nif5oz/story.php?story_fbid=pfbid0SaYbpvrxPdF4gFsocrBaRhNK1yoMJwWhuyrT2Tsf2g8UnC4mg1TyesHcF5nv3bGTl&id=100086162924811&mibextid=Nif5oz https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0SaYbpvrxPdF4gFsocrBaRhNK1yoMJwWhuyrT2Tsf2g8UnC4mg1TyesHcF5nv3bGTl&id=100086162924811&mibextid=Nif5oz है।। ©Shailendra Anand #ShubhDeepawअन्नकूटमहोत्सवव श्रीनाथ नाथद्वारा जी के श्रीचरणों में यह रचना मेरी ्शैलेन्द़ आनंद देवास गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश से ali
GANESH EDITZ
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त