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Stories related to बेटी के जन्म पर शायरी

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हेयर स्टाइल by mv

#बेटी के जन्म पर# #मीम

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Anchor naveen Shrama

बेटी पर शायरी #BeatMusic

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Anokhi

#MyTopics#एक गरीब के घर में बेटी के जन्म का डर। #nojotovideo

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Maroof alam

बेटी/शायरी

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बेटी   जहालत की दिवारों पर इल्म का गढ़ना बुरा लगता है
आज भी कुछ लोगों को एक बच्ची का पढ़ना बुरा लगता है
वो रोकना चाहते हैं रस्ता उजाले का
अंधेरों को रोशनी का बढ़ना बुरा लगता है

मारुफ आलम बेटी/शायरी

Maroof alam

बेटी/शायरी

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बुझे बुझे हैं मुस्कुराना छोड़ दिया
खिलखिलाकर हंसना हसाना छोड़ दिया
बेटी जबसे पैदा हुई घर मे ऐ 'आलम'
कुछ लोगों ने घरों मे चराग़ जलाना छोड़ दिया

मारुफ आलम बेटी/शायरी

Uttam Bajpai

#शायरी बेटी के विदा होने के बाद का दुख। #कविता

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Akram Ghaziabadi

नन्ही सी जान पर Stars बेटी शायरी shayri #

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अब   और   कितने   ढ़ायगा   बेटे   की  चाह  में
ज़ुल्म-ओ-सितम का क़हर् तू नन्ही सी जान पर

मां के  शिकम  में  क़त्ल  जिसे  कर  दिया  गया
मासूम    थी    वो    आह   गई    आसमान   पर
Akram Ghaziabadi

©Akram Ghaziabadi नन्ही सी जान पर #Stars #बेटी #शायरी #shayri #

Kalpana shah

२७ मे को समायरा के जन्म की बधाई बेटी सलोनी को #nojotophoto

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 २७ मे को समायरा के जन्म की बधाई बेटी सलोनी को

Meenakshi Sharma

बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया #कविता

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बेटी बनकर जन्म लिया तो मुझको यह उपहार मिला
बोझ कलंक पराया धन,
इन शब्दों का गहरा जख्म,
बोझ मुझे जब समझा गया,
मेरे दिल पर तब घात हुआ
बेटी बनकर मैनें जन्म लिया,
 तो इन शब्दों का मुझे ताज मिला,
बोझ कलंक पराया धन,
इन शब्दों का है गहरा जख्म।
बोझ कलंक पराया धन,
इन बाणों का है तीखा जख्म,
कलंक मुझे जब समझा गया,
दर्द से मेरा तब नाता बना,
बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया,
तो इन शब्दों का मुझे उपहार मिला,
बोझ कलंक पराया धन,
इन बाणों का तीखा जख्म।
बोझ कलंक पराया धन,
इन खंजरों का है दर्द नाक जख्म,
पराया धन जब मुझे समझा गया,
अपनेपन का तब अस्तित्व मिटा,
दिल पर मेरे तब दर्द उठा,
बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया,
इन शब्दों से मुझें सुसज्जित किया गया,
दर्द से मेरा तब गहरा नाता बना,
बोझ कलंक पराया धन,
इन खंजरों का है दर्द नाक जख्म।

©Meenakshi Sharma बेटी बनकर जब मैंने जन्म लिया

Neeta Bisht

जब जन्म लेती हैं बेटी ❤️ #कविता

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❣️जब जन्म लेती हैं बेटी ❣️

वो दिन भी होता है शुभ जब जन्म लेती हैं बेटी।।
घर के आँगन में उछलती और कूदती है बेटी।।
चिड़िया के जैसे चहकती और फूलो के जैसे महकती है बेटी।।
मां, बहन, बहु, पत्नी, भाभी सभी रूप में नजर आती है बेटी।।
जीवन के हर रूप में जीना सिखाती हैं बेटी।।
दो घरों की लाज बचाती हैं बेटी ।।
दो परिवारों के रिश्तों को मधुर बनाती हैं बेटी।।
दीया और बाती है बेटी सबके मन को भाती हैं बेटी।।

©Neeta Bisht जब जन्म लेती हैं बेटी ❤️
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